शरद पौर्‍णिमा – तिथि, महत्व और पूजा विधि

जब बात शरद पौर्‍णिमा, हिन्दू कैलेंडर में शरद ऋतु की पूर्णिमा को कहा जाता है, शरद पूर्णिमा होते हैं, तो इसका मतलब सिर्फ एक माह नहीं, बल्कि कई पहलू मिलते हैं। यह दिन शरद ऋतु, ऑक्टूबर‑नवम्बर का ठंडा मौसम दौर से जुड़ा है, और अक्सर खेती‑बाड़ी, ज्योतिष और धार्मिक अनुष्ठान में महत्वपूर्ण माना जाता है। मूल रूप से, शरद पौर्‍णिमा सूर्य के क्षीण होते प्रकाश को संतुलित करने का संकेत देती है—इसलिए इस रात को कई लोग विशेष मंत्र पढ़ते हैं।

शरद पौर्‍णिमा हिन्दू पूजा, प्राचीन रीति‑रिवाज़ों और मंत्रों से भरपूर अनुष्ठान का एक अच्छा मौका है। इस दिन धान की फसल, कुश्ती, और सत्संग जैसे कार्यक्रम आम हैं। कई परिवार इस पूर्णिमा को जल-देवता को अर्पित करते हैं, क्योंकि माना जाता है कि पानी की शुद्धता से पूरे वर्ष की न्यायसंगतता बनी रहती है। साथ ही, इस तिथि पर कई ज्योतिषी ज्योतिष, ग्रहों की स्थितियों का अध्ययन के अनुसार शुभ कार्य जैसे गृह प्रवेश, नई व्यापारिक शुरुआत या शशकलेटर तैयारी की सलाह देते हैं।

मुख्य तिथियाँ और उनका प्रभाव

शरद पौर्‍णिमा का कैलेंडर में स्थान हमेशा बदलता रहता है, लेकिन सामान्यतः यह अक्टूबर के पहले या दूसरे हफ़्ते में पड़ता है। इस दिन ग्रहों की स्थिति से बौद्धिक कार्य, लिखी‑पढ़ी और सामाजिक समरसता में वृद्धि होती है। जब चंद्रमा पूर्णिमा पर अपना उज्ज्वल प्रकाश देता है, तो कई लोग मन‑शांति के लिये ध्यान‑धूप लगाते हैं। कृषि क्षेत्र में, इस दिन से फसल कटाई का शुरुआती संकेत मिलता है और किसानों को ज्यादा फसल‑भर्ती के लिये तैयार रहना चाहिए।

ऐतिहासिक रूप से, शरद पौर्‍णिमा कई धार्मिक ग्रंथों में उल्लेखित है। ऋग्वेद में इस पूर्णिमा को “आदित्यवदन” कहा गया है, जिसका अर्थ है सूर्य की ओर मुख करना। पुराणों में बताया गया है कि इस रात शैतान के प्रभुत्व में बदलाव होता है, इसलिए कई लोग इस समय अंधकार को दूर करने हेतु दीप जलाते हैं। आधुनिक समय में, इस त्योहार को स्कूल‑कॉलेज में सांस्कृतिक कार्यक्रम और सामाजिक संगोष्ठियों के रूप में मनाया जाता है, जिससे युवा वर्ग भी इस परंपरा से जुड़ता है।

शरद पौर्‍णिमा का संगीत, कला और साहित्य में भी बड़ा योगदान है। कई कवियों ने इस पूर्णिमा को प्रेरणा का स्रोत बनाया, और कई फिल्में इस रात के रूमानी माहौल को दिखाती हैं। यदि आप किसी विशेष शहर में पढ़ रहे हैं, तो स्थानीय मंदिरों की विशेष पूजा‑कार्यक्रम देखें—वे अक्सर प्रातः और रात्रि के समय विशेष अर्घ्य और कथा सत्र आयोजित करते हैं। इस दौरान आप स्थानीय व्यंजनों, जैसे गजक, खीर या फुका रोटी का स्वाद ले सकते हैं, जो इस मौसम की ठंडक को और भी आरामदायक बनाते हैं।

समग्र तौर पर, शरद पौर्‍णिमा केवल एक कैलेंडर टैग नहीं, बल्कि जीवन के कई क्षेत्रों में संतुलन, पुनर्स्थापना और नई शुरुआत का प्रतीक है। चाहे आप ज्योतिष में रुचि रखते हों, खेती‑बाड़ी से जुड़े हों, या सिर्फ एक शांति‑भरा शाम चाह रहे हों, इस पूर्णिमा के दिन के बारे में सही जानकारी आपके लिए फायदेमंद होगी। नीचे आप शरद पौर्‍णिमा से जुड़े नवीनतम समाचार, विश्‍लेषण और विशेषज्ञ राय देख पाएँगे, जो आपके लिये दिशा‑निर्देश बन सकते हैं।

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