जीनत अमान ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए बॉलीवुड के दिग्गज फिरोज खान के खिलाफ एक ऐसा खुलासा किया, जिसने पूरे सिनेमा दुनिया को हिला दिया। 1970 के दशक में फिल्म धर्मात्मा में उनकी भूमिका ठुकराने के बाद, फिरोज खान ने उन्हें फोन पर ऐसा दुर्व्यवहार किया था कि उन्होंने रिसीवर कान से हटा दिया। ये बातें सिर्फ एक रिश्ते की खराब शुरुआत नहीं, बल्कि उस समय के हिंसक, अनुशासनहीन सेट संस्कृति का एक अंश हैं। और अब, उनके पुत्र फरदीन खान की प्रतिक्रिया ने इस बातचीत को एक नए आयाम दे दिया है।
"रिज़" से शुरू हुआ एक बुरा अनुभव
जीनत अमान ने अपनी पोस्ट की शुरुआत 2023 के ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के शब्द 'rizz' से की — जो किसी के चार्म और आकर्षण का संक्षिप्त रूप है। उन्होंने कहा, "अगर किसी के पास रिज़ था, तो वह फिरोज खान थे।" लेकिन ये चार्म उनके साथ व्यवहार में नहीं, बल्कि उनके अहंकार में छिपा था। जब उन्होंने धर्मात्मा में एक सेकंडरी लीड रोल का ऑफर ठुकरा दिया, तो फिरोज खान ने फोन पर उन्हें गालियां देना शुरू कर दिया। "खूब खरी-खोटी सुनाई, बहुत उल्टा-सुल्ता सुना दिया," जीनत ने लिखा। उन्होंने याद किया कि वो फोन रखकर खड़ी हो गईं — न तो जवाब दिया, न ही बहस की। बस चुप रहीं।
कुर्बानी के सेट पर भी थी वही नीति
फिरोज खान की नियंत्रण की आदत फिल्मों के सेट तक पहुंच गई। जीनत अमान ने बताया कि कुर्बानी के सेट पर एक बार वे एक घंटे लेट पहुंचीं। कोई डांट नहीं, कोई चेतावनी नहीं। बस एक शांत, ठंडी आवाज़ में: "बेगम, आप देर से आईं और कीमत चुकानी पड़ेगी..." और उनकी पूरी दिनभर की फीस काट दी गई। ये बात सिर्फ एक निर्माता की अक्षमता नहीं, बल्कि एक अधिकार के दुरुपयोग का उदाहरण है। इसके बाद, फिरोज खान ने उन्हें कुर्बानी में मुख्य भूमिका देकर माफी मांगी। और वो फिल्म, 1980 में रिलीज होकर बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट बनी।
फरदीन खान की प्रतिक्रिया: "पिता हंस रहे होंगे"
जब जीनत अमान के आरोप वायरल हुए, तो फरदीन खान ने सीधे जवाब दिया। उन्होंने जीनत को 'आंटी' कहकर संबोधित किया और कहा, "मेरे पिता इस स्थिति पर हंस रहे होंगे।" ये जवाब सिर्फ एक बेटे की भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक पूरी पीढ़ी के दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है। फरदीन खान ने अपने पिता की छवि की रक्षा की, लेकिन उन्होंने इस बात का जिक्र नहीं किया कि फिरोज खान ने जीनत को कुर्बानी में लीड रोल देकर वास्तविक माफी मांगी थी। क्या ये आत्मसमर्पण था? या बस एक बाजारी फैसला?
बॉलीवुड का वह समय: जब शक्ति बर्बरता थी
जीनत अमान के आरोप आज के समय में अजीब लग सकते हैं, लेकिन 1970-80 के दशक में ये आम बात थी। निर्माता और निर्देशक अक्सर अभिनेत्रियों के साथ ऐसा व्यवहार करते थे। अमिताभ बच्चन के सेट पर जीनत ने भी एक घटना का जिक्र किया — जब वे लेट लतीफी के कारण डांट खाईं, तो अमिताभ ने बाद में उनसे माफी मांगी। ये अंतर स्पष्ट है: एक ने सम्मान किया, दूसरे ने अधिकार का दुरुपयोग किया।
क्या ये बस एक रिश्ते का अंत था?
जीनत अमान ने लिखा कि धर्मात्मा के बाद उनका रिश्ता सुधर गया। कुर्बानी ने उन्हें एक नई शक्ति दी। लेकिन ये सुधार क्या वास्तविक था? या बस एक व्यावहारिक समझौता? उनके बारे में जानने वाले कहते हैं कि जीनत ने कभी भी फिरोज खान के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की — न तभी, न बाद में। शायद उन्होंने अपनी आवाज़ बचाने का फैसला किया। या शायद, उन्होंने जान लिया था कि इस दुनिया में अभिनेत्रियों की आवाज़ कभी नहीं सुनी जाती।
फिल्मों का वो इतिहास जो हम भूल गए
फिरोज खान (1938-2009) बॉलीवुड के एक अद्वितीय व्यक्तित्व थे। वे हीरो बने, फिर विलेन, फिर निर्देशक। उन्होंने कुर्बानी, फरमान, अपना बना लो जैसी फिल्मों के जरिए बॉलीवुड को बदल दिया। लेकिन इसी निर्माता की एक तरफ निर्माण शक्ति थी, तो दूसरी तरफ एक अहंकार था जो आदमी को निर्माता बनाता था, लेकिन मानव नहीं।
अब क्या होगा?
जीनत अमान के आरोप बॉलीवुड के इतिहास को फिर से देखने का एक अवसर देते हैं। क्या आज के समय में भी ऐसे निर्माता हैं? क्या अभिनेत्रियों को अब भी फोन पर गालियां सुननी पड़ती हैं? ये सवाल अभी भी बाकी हैं। फरदीन खान की प्रतिक्रिया ने इस बात को साफ कर दिया कि पीढ़ियां बदल रही हैं — लेकिन क्या संस्कृति बदल रही है?
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
जीनत अमान ने फिरोज खान के खिलाफ क्या आरोप लगाए?
जीनत अमान ने आरोप लगाया कि 1970 के दशक में फिल्म धर्मात्मा में अपनी भूमिका ठुकराने के बाद फिरोज खान ने उन्हें फोन पर दुर्व्यवहार किया था, जिसमें खूब गालियां और उल्टा-सुल्ता सुनाया गया। इसके अलावा, कुर्बानी के सेट पर एक घंटे लेट पहुंचने पर उनकी पूरी दिनभर की फीस काट दी गई।
फरदीन खान ने इन आरोपों का क्या जवाब दिया?
फरदीन खान ने जीनत अमान को 'आंटी' कहकर संबोधित करते हुए कहा कि उनके पिता फिरोज खान इस स्थिति पर 'हंस रहे होंगे'। उन्होंने अपने पिता की छवि की रक्षा की, लेकिन फिल्म कुर्बानी में लीड रोल देकर माफी मांगे जाने के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की।
कुर्बानी फिल्म किस तरह इस विवाद का हिस्सा बनी?
जीनत अमान के अनुसार, धर्मात्मा के बाद फिरोज खान ने उन्हें कुर्बानी में मुख्य भूमिका देकर माफी मांगी। ये फिल्म 1980 में रिलीज हुई और बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट बनी, जिसने जीनत के करियर को नई ऊंचाइयां दीं।
1970-80 के दशक में बॉलीवुड में अभिनेत्रियों के साथ कैसा व्यवहार होता था?
उस समय निर्माता और निर्देशक अक्सर अभिनेत्रियों के साथ अहंकारपूर्ण और अनुशासनहीन व्यवहार करते थे। फीस काटना, देरी पर डांटना, फोन पर गालियां देना आम बातें थीं। जीनत अमान ने अमिताभ बच्चन के विपरीत बताया कि उन्होंने उनसे माफी मांगी, जो दुर्लभ था।
क्या जीनत अमान ने कभी इन घटनाओं के खिलाफ शिकायत की?
नहीं। जीनत अमान ने जीवनभर इन घटनाओं के खिलाफ कोई आधिकारिक शिकायत नहीं की। वे शायद जानती थीं कि उस समय बॉलीवुड में अभिनेत्रियों की आवाज़ नहीं सुनी जाती थी। उन्होंने अपनी शक्ति अपने काम के जरिए बनाई — न कि शिकायतों के जरिए।
इस विवाद का आज के बॉलीवुड पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
ये विवाद आज के युवा अभिनेत्रियों के लिए एक अहम संदेश देता है: अतीत के अत्याचारों को भूलना नहीं चाहिए। यह बातचीत अभिनेत्रियों के अधिकारों, सेट की सुरक्षा और शक्ति के असंतुलन पर पुनः चर्चा का आह्वान करती है — जो आज भी अधूरी है।