निपाह वायरस एक ऐसा संक्रमण है जो मुख्यतः पालतू पशुओं जैसे चमगादड़ और घोड़े को प्रभावित करता है, लेकिन इंसानों में भी फैल सकता है। भारत के कई हिस्सों में इस बीमारी की रिपोर्ट मिलती रही है, इसलिए इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।
वायरस का मुख्य स्रोत जानवरों का शरीर तरल—जैसे लार, मल या रक्त—होता है। जब कोई व्यक्ति उन पदार्थों से संपर्क करता है तो वायरस उसकी श्वसन प्रणाली या पेट-आंतरिक मार्ग से अंदर जा सकता है। इस कारण अक्सर पशु चिकित्सक, किसान और बाज़ार वाले अधिक जोखिम में रहते हैं।
लक्षण और पहचान
इन्फेक्शन के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसी होते हैं: बुखार, सिर दर्द, थकान और मांसपेशियों में दर्द। कुछ मामलों में उल्टी, दस्त या खांसी भी दिख सकती है। अगर बीमारी गंभीर हो तो भ्रम, दौरे या श्वसन समस्याएँ सामने आ सकती हैं।
इन लक्षणों को देख कर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि शुरुआती इलाज सफलता की संभावना बढ़ा देता है। अधिकांश मामलों में रक्त परीक्षण द्वारा वायरस की पुष्टि की जाती है, इसलिए अपने स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र पर जाँच करवाना ज़रूरी है।
रोकथाम के आसान उपाय
निपाह वायरस से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है संपर्क कम करना। यदि आप पालतू जानवरों के साथ काम करते हैं तो ग्लव और मास्क पहनें, हाथ धोएँ और सतहों को साफ रखें। घर में अगर कोई रोगी है तो उसके बिस्तर और उपयोग वाली चीज़ें अलग रखें, ताकि वायरस का फैलाव रोका जा सके।
खाने‑पीने की चीज़ें भी साफ रखनी चाहिए—जैसे कच्चा दूध या मीट को अच्छी तरह पकाएँ। बाजार में जब भी जीवित जानवर खरीदें तो उन्हें ठीक से निरीक्षण कर लें और बीमार दिखने वाले पशुओं से दूर रहें।
सरकार ने कई बार निपाह वायरस के लिए टीके की प्रयोगशाला तैयार करने की बात की है, लेकिन अभी तक व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं हुआ है। इसलिए व्यक्तिगत सफाई और स्वच्छता पर ध्यान देना सबसे असरदार उपाय है।
यदि आप या आपका कोई परिचित बीमारी के लक्षण महसूस करे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ, दवाओं का खुद‑से प्रयोग न करें। उपचार में आमतौर पर सपोर्टिव थैरेपी—जैसे हाइड्रेशन और बुखार कम करने वाली दवा—शामिल होती है। कुछ मामलों में एंटीवायरल ड्रग्स भी दी जा सकती हैं, लेकिन वह डॉक्टर की सलाह से ही देना चाहिए।
समय पर पहचान और उचित देखभाल निपाह वायरस को नियंत्रित रखने में मदद करती है। अपने आसपास के लोगों को भी इस जानकारी से अवगत कराएँ—जागरूकता फैलाने से ही हम इस खतरनाक रोग को कम कर सकते हैं।
अंत में, याद रखें कि साफ‑सफाई और सतर्क रहना निपाह वायरस से बचाव की कुंजी है। यदि आप इन सरल कदमों का पालन करेंगे तो जोखिम बहुत हद तक घट जाएगा और आप स्वस्थ जीवन जी पाएँगे।
केरल के मलप्पुरम जिले के चेम्ब्रसेरी के पास पंडिक्कड में 14 वर्षीय लड़के की निपाह वायरस संक्रमण से मृत्यु हो गई। स्वास्थ्य मंत्री, वीना जॉर्ज ने इस खबर की पुष्टि की और बताया कि लड़के के तीन करीबी रिश्तेदार और चार अन्य जान-पहचान वाले निगरानी में हैं।
कोझिकोड, केरल में निपाह वायरस का प्रकोप हुआ है, जब मालप्पुरम जिले के एक 14 वर्षीय लड़के में इस वायरस की पुष्टि हुई। स्वास्थ्य मंत्री ने चेतावनी जारी करते हुए लड़के को कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है। यह केरल में निपाह वायरस का नया मामला है। सरकार ने इसके फैलाव को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं। जनता को सतर्क रहने और किसी भी लक्षण की रिपोर्ट तुरंत देने की सलाह दी गई है।