मुरादाबाद में वैलेंटाइन डे के खिलाफ विरोध, पुलवामा शहीद दिवस घोषित

मुरादाबाद में वैलेंटाइन डे के खिलाफ विरोध, पुलवामा शहीद दिवस घोषित

मुरादाबाद में वैलेंटाइन डे पर विरोध और पुलवामा शहीद दिवस की मांग

अगर आप 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे मनाने का सोच रहे थे, तो मुरादाबाद का नजारा आपको चौंका सकता है। यहां मुरादाबाद के संगठनों, जैसे राश्ट्रीय बजरंग दल और भारतीय सूफी फाउंडेशन, ने वैलेंटाइन डे मनाने के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इन्होंने ऐलान किया कि 14 फरवरी को 'वैलेंटाइन डे' नहीं, बल्कि पुलवामा शहीद दिवस के तौर पर याद किया जाएगा। उनके मुताबिक, यह दिन 2019 में पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए 40 जवानों की याद में समर्पित रहेगा।

इसी वजह से शहर में सुरक्षा और चर्चा दोनों ही गर्म रहे। राश्ट्रीय बजरंग दल ने मुरादाबाद शहर में 12 पेट्रोलिंग टीमें बनाईं और आसपास के जिलों में 20 अतिरिक्त टीमें तैनात रहीं। इन टीमों का मकसद साफ था: पार्कों, रेस्टोरेंट और दूसरी सार्वजनिक जगहों पर वैलेंटाइन डे मनाने वालों की तलाश और रोकथाम।

खुलेआम नैतिकता पर पहरा और पुलिस की दखल

इन कार्यकर्ताओं ने पार्कों और रेस्टोरेंटों में बैठे युवाओं से उनका रिश्ता पूछना शुरू किया। अगर कोई जोड़ा अविवाहित निकलता, तो उनसे राखी बंधवाने की मांग की गई। बजरंग दल के प्रदेश अध्यक्ष रोहन सक्सेना का कहना था कि भारतीय संस्कृति में पत्नी को छोड़कर बाकी सभी महिलाओं को बहन जैसी मान्यता दी जाती है। इसी तर्क के साथ जोड़ों को सार्वजनिक रूप से राखी बंधवाते देखा गया ताकि वे भाई-बहन के रिश्ते के प्रतीक बनें।

सार्वजनिक जगहों पर इस तरह के हस्तक्षेप से कुछ लोगों को परेशानी भी हुई। कई युवाओं ने इस तरह के व्यवहार को उनकी निजता में दखल बताया। मामला बढ़ा तो पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। पुलिस अफसरों ने पार्कों और भीड़-भाड़ वाले स्थानों से इन संगठनों के कार्यकर्ताओं को हटाया। फिर भी, विरोध की गूंज सुनाई देती रही।

  • राश्ट्रीय बजरंग दल समेत संगठनों ने सार्वजनिक जगहों पर सख्ती दिखाई।
  • अविवाहित जोड़ों पर राखी बांधने का दबाव बनाया गया।
  • संस्कृति और परंपरा की दुहाई के साथ वैलेंटाइन डे पर रोक की कोशिश जारी रही।
  • पुलिस ने विवादित स्थानों पर पहुंचकर स्थिति संभाली।

गुजरात के गांधीनगर जैसे शहरों में भी इस तरह के नैतिक पहरेदारी के मामले सामने आए। वहाँ भी पार्कों में ऐसे कार्यकर्ता पहुंचे, जोड़ों को टोकने लगे और उन्हें सांस्कृतिक तर्क दिए।

यह विवाद केवल एक शहर तक सीमित नहीं रहा, बल्कि युवाओं की अभिव्यक्ति और परंपरा के बीच बढ़ते तनाव को भी उजागर कर गया। कुछ लोग इसे पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव मानते हैं, तो कुछ धार्मिक और राष्ट्रीय भावनाओं के साथ इसे जोड़कर देखते हैं। मुरादाबाद की घटना एक बार फिर सवाल खड़ा करती है कि बदलती सोच और पुरानी परंपराओं के बीच मेल कैसे संभव होगा।

द्वारा लिखित Pari sebt

मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूँ और मुझे भारत में दैनिक समाचार संबंधित विषयों पर लिखना पसंद है।

Avdhoot Penkar

ये वैलेंटाइन डे का झंडा उड़ा दो, और पुलवामा शहीदों को याद करो 😤

Akshay Patel

हमारी संस्कृति में प्यार का अर्थ शादी के बाद होता है। ये बाहरी आदतें बदलाव नहीं, बल्कि अपराध हैं। इन लोगों को सबक सिखाना जरूरी है।

Krishnan Kannan

मुझे लगता है कि ये सब एक बड़ा धोखा है। वैलेंटाइन डे तो बस एक दिन है, लेकिन पुलवामा की याद हमेशा रहेगी। लेकिन क्या इस तरह का दबाव असली सम्मान है? सोचने लायक है।

Dev Toll

पार्क में बैठे युवाओं को राखी बांधने की जरूरत नहीं। अगर कोई चाहे तो अपनी इच्छा से करे, नहीं तो छोड़ दो।

utkarsh shukla

ये बजरंग दल वाले असली देशभक्त हैं! जब तक देश के शहीदों की याद नहीं रखेंगे, तब तक वैलेंटाइन डे की कोई जगह नहीं! जय हिन्द! 🇮🇳

Amit Kashyap

yeh sab kuchh bilkul theek hai.. koi aurat apne bhai ke saath rakhii bandhe to kya hua? par agar ye love karta hai to phir kyu nahi? yeh sab log kya samajhte hain?

mala Syari

ये लोग अपने घरों में भी अपनी बेटियों को आजाद नहीं देते, फिर सार्वजनिक जगहों पर नैतिकता का पाठ कैसे पढ़ रहे हैं? 🤦‍♀️

Kishore Pandey

वैलेंटाइन डे के खिलाफ आंदोलन अवैध नहीं है, लेकिन जब यह जबरन बन जाता है, तो यह लोकतंत्र के विरुद्ध है। निजता का अधिकार भी एक अधिकार है।

Kamal Gulati

हम सब इस देश के लिए कुछ करते हैं... लेकिन क्या हम अपने दिल की आवाज़ को दबा रहे हैं? शहीदों की याद करना अच्छा है, लेकिन क्या इसके लिए युवाओं को दबाव डालना जरूरी है?

Atanu Pan

अगर वो जोड़े अपने आप में खुश हैं, तो कोई उन्हें रोके नहीं। संस्कृति बदलती है, और ये बदलाव भी जीवन का हिस्सा है।

Pankaj Sarin

rakhii bandhwa krna kya hai? ye sab log apne ghar me kya krte hain? koi bhi ladki apne bhai se pyaar kr skti hai ya nahi? ye sab log kya samajhte hain

Mahesh Chavda

यह देश इतना कमजोर हो गया है कि एक दिन के लिए भी हम अपने शहीदों की याद को नहीं रख पा रहे? यह बहुत दुखद है।

Sakshi Mishra

क्या हम अपने बच्चों को अपनी परंपराओं के बारे में सिखा रहे हैं, या उन्हें डरा रहे हैं? क्या प्यार को समझना, सम्मान करना, और उसे व्यक्त करना गलत है? क्या हम अपने आत्मा के लिए जिंदा रहना भूल गए हैं?

Radhakrishna Buddha

वैलेंटाइन डे तो बस एक दिन है... लेकिन शहीदों की याद तो हमेशा के लिए है! अगर आपको लगता है कि ये दिन नहीं मनाना चाहिए, तो ठीक है... लेकिन अगर आपको लगता है कि ये दिन मनाना चाहिए, तो भी ठीक है! जीवन बहुत छोटा है, अपने तरीके से जियो 😎

Govind Ghilothia

भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र है - अहिंसा, सम्मान और आत्मनियंत्रण। वैलेंटाइन डे का उद्देश्य भावनाओं का व्यापार बनाना है, जबकि पुलवामा शहीद दिवस आत्मबलिदान का प्रतीक है। यह तुलना अनुचित नहीं है।

Sukanta Baidya

अरे भाई, ये लोग अपने घर में भी अपनी बेटी को फोन चलाने नहीं देते, फिर बाहर राखी बांधवाने की बात कर रहे हैं? ये सब बकवास है।

Adrija Mohakul

मैंने देखा है कि जब युवा जोड़े शांति से बैठे होते हैं, तो कोई भी उन्हें नहीं रोकता। लेकिन जब कोई संगठन आता है, तो सब कुछ बदल जाता है। शायद इन्हें बस ध्यान चाहिए।

Dhananjay Khodankar

हम सब अलग-अलग सोचते हैं, और ये बात बहुत अच्छी है। लेकिन जब हम दूसरों को बदलने की कोशिश करते हैं, तो हम खुद को बदल रहे होते हैं। शांति और सम्मान के साथ रहें, यही असली देशभक्ति है।

shyam majji

पुलवामा शहीदों को याद करना बहुत जरूरी है। लेकिन वैलेंटाइन डे तो बस एक दिन है। दोनों को अलग तरह से मान्यता दो।

shruti raj

ये सब एक बड़ी साजिश है... ये लोग युवाओं को डरा रहे हैं ताकि वो अपने दिल की बात न कह पाएं। ये राखी बांधने का नाटक बस एक चाल है... जिसे आपको बर्दाश्त नहीं करना चाहिए 😡❤️‍🩹