केरल में फिर से निपाह वायरस से मौत: 14 वर्षीय लड़के का इलाज के दौरान निधन

केरल में फिर से निपाह वायरस से मौत: 14 वर्षीय लड़के का इलाज के दौरान निधन

केरल में फिर से निपाह वायरस से मौत

केरल में एक बार फिर से निपाह वायरस ने अपना कहर बरपाया है। मलप्पुरम जिले के चेम्ब्रसेरी के पास पंडिक्कड से आने वाले एक 14 वर्षीय लड़के की निपाह संक्रमण के कारण मृत्यु हो गई। यह दुर्भाग्यपूर्ण हादसा कोझिकोड के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 21 जुलाई, 2024 को हुआ।

लड़के की स्थिति और इलाज

लड़का पिछले कई दिनों से बुखार और थकान से जूझ रहा था, जब वह 10 जुलाई को स्कूल से लौटा। शुरुआत में उसे एक निजी क्लिनिक में दिखाया गया, लेकिन उसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। 12 जुलाई को उसे पास के एक अन्य निजी अस्पताल ले जाया गया, और बाद में 15 जुलाई को एक और निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।

17 जुलाई को उसकी हालत गंभीर हो गई और उसे कोझिकोड के एक निजी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया। हालांकि, उसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ और अंततः उसे गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। 21 जुलाई को, सुबह करीब 11 बजे उसे एक बड़ा दिल का दौरा पड़ा और डॉक्टरों के तमाम प्रयासों के बावजूद, सुबह 11:30 बजे उसकी मौत हो गई।

स्वास्थ्य मंत्री की पुष्टि

स्वास्थ्य मंत्री, वीना जॉर्ज ने इस घटना की पुष्टि की। उन्होंने यह भी बताया कि लड़के के करीबी तीन रिश्तेदार और चार अन्य संबंधित जनों को निगरानी में रखा गया है। जिनमें से एक को आईसीयू में रखा गया है।

मंत्री ने बताया कि लड़के को आस्ट्रेलिया से मंगाई गई मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दी गई थी। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के माध्यम से उपलब्ध कराई गई यह दवा केवल संक्रमण के पांच दिनों के अंदर ही प्रभावी होती है, परंतु यह लड़के की स्थिति में मदद नहीं कर पाई।

निपाह वायरस के पुनः प्रकोप

केरल में यह पांचवीं बार है जब निपाह वायरस का संक्रमण देखा गया है। इससे पहले 2018, 2019, 2021, और 2023 में इस जानलेवा वायरस के प्रकोप हुए थे। निपाह वायरस एक अत्यधिक संक्रामक रोग है, जो संक्रमित सूअरों और चमगादड़ों के संपर्क में आने के बाद मनुष्यों में फैलता है।

इस प्रकोप के बाद, कोझिकोड के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। सभी आगंतुकों के लिए फेस मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग सभी मरीजों और उनके परिवार वालों से अतिरिक्त सावधानी बरतने की अपील कर रहा है।

निपाह वायरस के लक्षण और उपाय

निपाह वायरस के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, माइग्रेन, उल्टी, और सांस लेने में कठिनाई शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ मरीजों में न्यूरोलॉजिकल लक्षण भी विकसित हो सकते हैं, जिनमें सेरेब्रल इन्फ्लैमेशन और एन्सेफलाइटिस शामिल हैं।

संक्रमण से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना, संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाकर रखना, और स्वास्थ्य निर्देशों का पालन करना बेहद महत्वपूर्ण है। जिन क्षेत्रों में निपाह वायरस का प्रकोप हो, वहां यात्रा करने से बचना चाहिए और यदि अनिवार्य हो, तो अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए।

अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया

अस्पताल प्रशासन ने भी इस घटना के चलते अनेक एहतियाती कदम उठाए हैं। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सभी डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को हाई अलर्ट पर रखा गया है। स्वास्थ्य कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है ताकि वे ऐसे मरीजों का सही तरीके से इलाज कर सकें।

हालांकि, इस घटना ने एक बार फिर से निपाह वायरस के खतरे को उजागर किया है, और इसके प्रभाव से निपटने के लिए व्यापक तैयारियां ज़रूरी हैं।

द्वारा लिखित Pari sebt

मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूँ और मुझे भारत में दैनिक समाचार संबंधित विषयों पर लिखना पसंद है।

Krishnan Kannan

ये वायरस तो हर साल आ रहा है, पर सरकार की तरफ से कोई लंबी अवधि की योजना नहीं है। बस जब मरीज मरता है तभी हुए जैसे अलर्ट बजाते हैं। चमगादड़ों के घोंसलों को हटाने का कोई प्रोग्राम क्यों नहीं? ये सिर्फ अस्पताल में मास्क लगाने से काम नहीं चलेगा।

Dev Toll

14 साल का बच्चा... बस स्कूल से लौटा तो बुखार, और फिर ये सब। दिल टूट गया।

utkarsh shukla

इस वायरस के खिलाफ दवा तो ऑस्ट्रेलिया से मंगवानी पड़ती है? भारत में कोई रिसर्च नहीं है क्या? हम तो बाहर की चीज़ों पर भरोसा करते हैं, अपनी चीज़ों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। इसीलिए हमेशा पीछे रह जाते हैं।

Amit Kashyap

अब तो ये वायरस बाहरी देशों से आ रहा है, ये लोग भी बस घर बैठे चिल्लाते हैं। हमारे डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारी बहुत अच्छे हैं, लेकिन जब तक सरकार अपनी जिम्मेदारी नहीं लेगी, तब तक ये सब चलता रहेगा। अगर इस बार भी नहीं सुधारा तो अगली बार किसी और की जान जाएगी।

mala Syari

ये बच्चा किस तरह के खाने पीने का आदी था? शायद उसने आम के नीचे बैठकर फल खाए होंगे, या चमगादड़ के गोबर से बनी चाय पी होगी? बस दोष देने की जगह थोड़ा अपनी जिम्मेदारी समझो। ये बच्चा शायद घर पर भी साफ-सफाई नहीं करता था।

Kishore Pandey

इस घटना के बाद भी जब तक निपाह वायरस के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग से नियम-निर्माण नहीं होगा, तब तक ये दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ दोहराई जाएँगी। स्वास्थ्य मंत्रालय को अब तक के अनुभवों के आधार पर एक निरंतर निगरानी प्रणाली बनानी चाहिए, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में भी डिटेक्शन क्षमता शामिल हो।

Kamal Gulati

क्या हमने कभी सोचा कि ये वायरस हमारी निर्ममता का परिणाम है? हम जंगलों को काट रहे हैं, चमगादड़ों को उनके घर से निकाल रहे हैं, और फिर जब वे हमारे घर आते हैं तो हम उन्हें बुरा कहते हैं। ये सिर्फ एक वायरस नहीं, ये हमारी अहंकार की आत्मा का परिणाम है। बच्चे की मौत से अगर हम नहीं सीखेंगे, तो अगली मौत किसी और की होगी।

Atanu Pan

मैंने अपने दोस्त को इसी अस्पताल में भर्ती कराया था, जब 2023 में ये वायरस फैला था। वहाँ के स्टाफ बहुत अच्छे थे, बहुत अच्छे। बस अब ज्यादा से ज्यादा लोग इस बारे में जागरूक हो जाएं।