DLS मेथड – बारिश‑प्रभावित क्रिकेट में लक्ष्य संशोधन का पूरा गाइड
जब आप DLS मेथड, डकवर्थ‑लुईस‑स्ट्रेन की गणितीय पद्धति, जो बारिश या अन्य बाधाओं से रुकावट वाले क्रिकेट मैचों में लक्ष्य को पुनः निर्धारित करती है को समझते हैं, तो यह ज़रूरी है कि आप बारिश, वो मौसमीय स्थिति जो ओवरों को रोकती है और स्कोर को असमान बनाती है और क्रिकेट, एक टीम‑स्पोर्ट जिसमें बैट, बॉल और पिच मुख्य तत्व होते हैं के मूल नियमों को भी जानते हों। इस पद्धति को इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC), क्रिकेट का वैश्विक नियामक निकाय ने आधिकारिक रूप से अपनाया है, इसलिए हर अंतरराष्ट्रीय मैच में इसका उपयोग अनिवार्य है। DLS मेथड का लक्ष्य यह है कि खेल को न्यायसंगत बनाते हुए दोनों टीमों को समान अवसर दिया जाए।
DLS मेथड तीन मुख्य घटक — उपलब्ध ओवर, उपलब्ध विकेट और स्कोर — को एक फॉर्मूला में जोड़ता है। जब बारिश के कारण ओवर कम हो जाते हैं, तो फॉर्मूला मौजूदा संसाधनों को पुनः वितरित करके नया लक्ष्य बनाता है। उदाहरण के तौर पर, 50‑ओवर मैच में 20‑ओवर की कमी होने पर, टीम‑B को पहले टीम‑A के स्कोर का लगभग 75 % मिल जाता है, बशर्ते दोनो टीम‑A के सभी विकेट गिरे न हों। इस तरह का पुनर्मूल्यांकन खेल का संतुलन बनाए रखता है।
DLS मेथड के प्रमुख पैरामीटर
सूत्र में प्रयुक्त प्रमुख पैरामीटर में ‘ग्रेस पैरामीटर’ और ‘रिज़ॉल्यूशन फॉर्मूला’ शामिल हैं। ग्रेस पैरामीटर दर्शाता है कि टीम‑A के कितने विकेट बचने चाहिए ताकि लक्ष्य का प्रतिशत कम न हो। रिज़ॉल्यूशन फॉर्मूला ओवर घटने पर लक्ष्य के प्रतिशत को गणना करता है। जब दोनों टीम‑A के विकेट कम होते हैं, तो लक्ष्य का प्रतिशत घटता है, यानी टीम‑B को आसान लक्ष्य मिल जाता है। इस कारण से बेहतर बल्लेबाजी या तेज़ स्कोरिंग वाले टीमों को कभी‑कभी कम लक्ष्य मिलता है, जो खेल को रोमांचक बनाता है।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि DLS मेथड केवल अंतरराष्ट्रीय फॉर्मेट में नहीं, बल्कि घरेलू वन‑डे और T20 मैचों में भी लागू किया जाता है। भारत में IPL के दौरान कई बार बारिश के कारण मैच रोकना पड़ा, और फिर DLS मेथड के अनुसार लक्ष्य तय किया गया। ऐसी स्थिति में टीज़र‑ऑन‑डाइम (T20) में टॉस जीतने वाली टीम को अक्सर अधिक टेम्पो बनाए रखने की जरूरत पड़ती है, ताकि कम ओवर में भी लक्ष्य हासिल हो सके।
कभी‑कभी DLS मेथड को लेकर विवाद भी होते हैं। उदाहरण के तौर पर, एक test match में जब स्नो और धुंध ने खेल को बाधित किया, तो ICC ने ‘DLS‑T’ (टेस्ट) संस्करण को लागू किया। इस संस्करण में समय के साथ-साथ पिच की स्थितियों को भी ध्यान में रखा जाता है, जिससे लक्ष्य की गणना अधिक सटीक होती है। इस बदलाव ने कई खिलाड़ियों को राहत दी, क्योंकि अब उन्हें केवल ओवर की कमी ही नहीं, बल्कि पिच के धीरे‑धीरे बदलते बाउन्ड्री भी देखनी पड़ती है।
व्यावहारिक रूप से, अगर आप किसी क्रिकेट मैच को लाइव देख रहे हैं और अचानक बारिश का अलर्ट आता है, तो आप DLS मेथड का उपयोग करके तुरंत समझ सकते हैं कि नई लक्ष्य कितनी होगी। अधिकांश टीवी चैनल और ऑनलाइन स्कोरबोर्ड इस गणना को रीयल‑टाइम में दिखाते हैं। जब भी आप इस जानकारी को देखेंगे, तो याद रखें कि लक्ष्य का प्रतिशत और उपलब्ध विकेट की मात्रा दोनों को मिलाकर ही नया लक्ष्य तय होता है। इससे आप खेल के आगे के रुझान को भी बखूबी समझ पाएँगे।
खेल के शौकीन अक्सर पूछते हैं, “क्या DLS मेथड के बिना मैच का परिणाम निष्पक्ष रह सकता है?” उत्तर सरल है—बिना इस पद्धति के, बारिश‑रुकावट वाले मैचों में अक्सर एक टीम को बहुत अधिक फायदा या नुकसान हो जाता। इसलिए ICC ने इस सिद्धान्त को अपनाया ताकि हर रुकावट के बाद खेल का संतुलन बना रहे। यही कारण है कि आज के अधिकांश क्रिकेट प्रेमी DLS मेथड को समझना चाहते हैं, ताकि वे मैच के हर मोड़ पर सही अनुमान लगा सकें।
अब जब हमने DLS मेथड के बुनियादी सिद्धान्त, मुख्य पैरामीटर और व्यावहारिक उपयोग पर चर्चा कर ली, नीचे दी गई लेखों की सूची में आप इस पद्धति से जुड़ी ताज़ा खबरें, मैच विश्लेषण और विशेषज्ञ राय पाएँगे। इन लेखों को पढ़कर आप यह जान पाएँगे कि कैसे विभिन्न परिस्थितियों में DLS मेथड ने खेल को प्रभावित किया और कब कौन‑से नियम बदलाव हुए। पढ़ते रहिए, सीखते रहिए—क्रिकेट का मज़ा तभी बढ़ता है जब आप हर विवरण को समझते हैं।
बारिश‑प्रभावित दूसरे ODI में England Women ने DLS नियम के तहत 8 विकेट से जीत पाकर सिर्फ़ सीरीज़ को 1‑1 कर दिया। India Women 143/8 बनाकर रोकती रहीं, जबकि Tammy Beaumont की तेज़ी से 116/2 बनाने वाली पारी ने इंग्लैंड को आसानी से जीत दिलाई। दोनों टीमों के बीच फिर से गड़बड़ी और तनाव दिखे, जिससे मैच में अतिरिक्त रोमांच जुड़ा। अब निर्णायक तिसरे ODI का इंतजार है।