पीएम मोदी ने राष्ट्रपति को सौंपा इस्तीफा, संभवतः 8 जून को लेंगे शपथ

पीएम मोदी ने राष्ट्रपति को सौंपा इस्तीफा, संभवतः 8 जून को लेंगे शपथ

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना और अपने मंत्रिपरिषद का इस्तीफा सौंप दिया है। राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और नई सरकार के गठन तक मौजूदा प्रशासन को कार्यभार संभालने का अनुरोध किया है। यह घटना उस समय सामने आई है जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने लोकसभा चुनाव में 292 सीटों पर विजय प्राप्त की है, जो कि बहुमत के लिए आवश्यक 272 सीटों से अधिक है।

इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत, नरेंद्र मोदी का 8 जून को तीसरे बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने की संभावना है। बीजेपी इस चुनाव में अकेले बहुमत हासिल करने में असफल रही, जिसके कारण उसे अपने सहयोगियों के समर्थन की आवश्यकता है। इनमें प्रमुख सहयोगी शामिल हैं - तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी), जनता दल (यूनाइटेड) (जेडीयू), एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिव सेना और चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)।

चुनाव परिणामों को देखते हुए, नए सरकार के गठन की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। एनडीए के शीर्ष नेता, जैसे नितीश कुमार जो जेडीयू के प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री हैं, और एन चंद्रबाबू नायडू जो टीडीपी अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के आगामी मुख्यमंत्री हैं, मिलने वाले हैं ताकि सरकार गठन के विवरण पर चर्चा कर सकें। नयी सरकार की संरचना और स्वरूप पिछले सरकार से काफी अलग होने की संभावना है जिसमें बीजेपी के सहयोगियों की बड़ी भूमिका होगी।

इस बार की सरकार गठबंधन के नए समीकरणों और रणनीतियों के आधार पर चलेगी। उदाहरणस्वरूप, शिव सेना के साथ संबंधों को मजबूत करना एक महत्वपूर्ण आवश्यकता होगी, विशेषकर महाराष्ट्र में। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में गई शिव सेना के समर्थन को बनाए रखना बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण होगा। साथ ही, बिहार में नितीश कुमार की जेडीयू के साथ तालमेल की प्रगाढ़ता को ध्यान में रखते हुए कार्य किया जाएगा।

मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य को समझते हुए, यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकार का गठन एक जटिल लेकिन महत्वपूर्ण प्रक्रिया होगी। बीजेपी के लिए आवश्यक है कि वह अपने सहयोगियों के साथ संतुलन बनाए रखे और विभिन्न राज्यों में उनकी आवश्यकताओं को समझे। आदान-प्रदान और संवाद के माध्यम से ही यह गठबंधन मजबूती से चल पाएगा और सरकार प्रभावी रूप से कार्य कर पाएगी।

चुनावी वादों और कार्यक्रमों को धरातल पर उतारने के लिए बीजेपी का यह तीसरा कार्यकाल चुनौतियों से भरा हो सकता है लेकिन सहयोग और सामंजस्य की भावना से यह नियमन संभव हो सकेगा।

देश में लोकतंत्र की प्रक्रिया का यह एक महत्वपूर्ण उदाहरण है कि कैसे प्रधानमंत्री ने अपने और अपने मंत्रिपरिषद का इस्तीफा सौंप कर नई सरकार के गठन के रास्ते को सुगम बनाया। इस प्रकार के सद्भावनापूर्ण और सम्मानजनक कार्य लोकतंत्र को मजबूत बनाते हैं और जनता के मन में विश्वास को बढ़ाते हैं।

अब यह देखने वाली बात होगी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सहयोगियों की नई सरकार किस प्रकार देश को नई ऊँचाइयों पर ले जाने का संकल्प लेती है और अपने तीसरे कार्यकाल में कौन-कौन से सुधार और विकास कार्य करती है। जनता ने जो विश्वास दिखाया है, उसकी कसौटी पर खरा उतरना इस नवगठित सरकार के लिए प्रमुख उद्देश्य होना चाहिए।

द्वारा लिखित Pari sebt

मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूँ और मुझे भारत में दैनिक समाचार संबंधित विषयों पर लिखना पसंद है।

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utkarsh shukla

ये तो बस शुरुआत है भाई! अब तो देखना है कि कौन सा मंत्री किस राज्य की बात करता है और कौन सी बात असली तौर पर होगी। जनता ने वोट दिया, अब वोट का बदला देना होगा। देश बदलेगा, बस देखोगे!

Amit Kashyap

BJP ne jeet liya phir bhi coalition? Kya baat hai!! Ab toh sab ko samjha dena padega ki ek hi party ka hi control chahiye. India ko strong banana hai ya sabko satisfy karna hai?!!

mala Syari

अब तो ये सब नाटक है। बीजेपी के साथ जो भी बैठ रहे हैं, उनके पास कोई विज़न नहीं, बस अपने राज्य की सीटें बचाने की चाहत है। आप लोग इसे 'गठबंधन' कहते हैं, मैं कहती हूँ - बेवकूफों का गुट।

Kishore Pandey

संविधान के अनुच्छेद 75 के अनुसार, प्रधानमंत्री का इस्तीफा स्वीकार करने के बाद राष्ट्रपति का कर्तव्य है कि वह उसी दल के नेता को नई सरकार गठित करने का अवसर दे। यह प्रक्रिया पूरी तरह से संवैधानिक है। कोई अनियमितता नहीं है।

Kamal Gulati

दोस्तों, ये सब तो बस एक नाटक है। जब तक इंसान अपने लाभ के लिए चलता है, तब तक देश का विकास नहीं होगा। आप लोग तो बस बातें कर रहे हो, लेकिन असली दर्द तो गाँव के उस आदमी का है जिसके पास दो रोटियाँ नहीं हैं।

Atanu Pan

मैं सिर्फ ये कहना चाहता हूँ कि ये सब जो हो रहा है, वो लोकतंत्र का ही हिस्सा है। अच्छा है कि सब कुछ शांति से हो रहा है।

Pankaj Sarin

coalition? more like chaos. modi will survive by bending like a bamboo. all these regional parties? they want power not policy. who cares? just give us roads and electricity

Mahesh Chavda

क्या आपने कभी सोचा है कि इस गठबंधन के बाद कौन असली निर्णय लेगा? क्या शिव सेना के लिए महाराष्ट्र की आवश्यकताएँ बीजेपी के लिए अधिक महत्वपूर्ण हो जाएँगी? यह सब एक धोखा है।

Sakshi Mishra

यह तो एक अद्भुत दृश्य है - एक देश, जिसने अपने नेताओं को चुना है, लेकिन फिर भी उन्हें अलग-अलग राज्यों की भावनाओं के साथ जोड़ना पड़ रहा है। क्या यह लोकतंत्र का असली अर्थ है? या फिर यह बस एक बहाना है अलग-अलग शक्तियों को संतुलित करने का?

Radhakrishna Buddha

अरे भाई, ये तो बस एक नया सीज़न शुरू हो रहा है! अब देखोगे, कौन बड़ा बाज़ार बनाता है - नितीश कुमार या चंद्रबाबू नायडू? ये लोग तो अपनी अपनी चाल चल रहे हैं। बस अब देखो कि मोदी कैसे इन सबको एक साथ लाते हैं!

Govind Ghilothia

भारतीय लोकतंत्र का यह एक अद्वितीय उदाहरण है - जहाँ विविधता को सम्मान दिया जाता है, और एक नेता अपनी शक्ति के बावजूद इस्तीफा देकर राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देता है। यही तो वास्तविक नेतृत्व है।

Sukanta Baidya

ये सब गठबंधन बातें तो बस फैशन है। असली लोग तो अपने घर पर चाय पी रहे हैं और देख रहे हैं कि ये लोग कितनी बार नए नए नाम लगाते हैं।

Adrija Mohakul

मैंने देखा है कि बिहार में जेडीयू के साथ तालमेल का मतलब है - बिहार के लोगों को नौकरियाँ और योजनाएँ मिलें। और आंध्र में टीडीपी के साथ - वो तो अपने लोगों के लिए जल और बिजली की बात कर रहे हैं। ये सब असली बातें हैं, न कि सिर्फ नाम के लिए।

Dhananjay Khodankar

इस गठबंधन को देखकर लगता है कि भारत अब और ज्यादा समझदार हो रहा है। कोई एक पार्टी अकेले नहीं चल पाएगी। अब बात ये है कि इन सबके बीच बातचीत होगी, और वो बातचीत देश के लिए अच्छी होगी।

shyam majji

बस इतना कहना है - अब देखना है कि कौन सा मंत्री किस राज्य के लिए क्या करेगा। बाकी सब तो बस बातें हैं।

shruti raj

ये सब एक नाटक है... मैं जानती हूँ कि बीजेपी ने अपने दोस्तों को बुलाया है क्योंकि वो चाहते हैं कि कोई भी नेता उनके खिलाफ न बोले। ये सब चुनाव के बाद बनाया गया एक जाल है। और अब तुम सब इसे लोकतंत्र कह रहे हो? 😒

Khagesh Kumar

अगर बीजेपी को अकेले बहुमत नहीं मिला तो इसका मतलब ये नहीं कि वो कमजोर है। इसका मतलब है कि लोगों ने अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग जरूरतों को देखा। अब बात है कि सरकार उन सबको सुने।

Ritu Patel

ये तो बस एक चाल है। नितीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू तो बस अपने लिए बात बना रहे हैं। असली देश के लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता। बस बातें करते रहो।

Deepak Singh

लोकतंत्र का असली अर्थ तो यही है - जब एक पार्टी अकेले नहीं चल पाती, तो दूसरों के साथ साझा करना पड़ता है। यह दुर्बलता नहीं, बल्कि समझदारी है। अगर बीजेपी ने अकेले चलने की कोशिश की, तो देश फट जाता।

Rajesh Sahu

हर बार यही बात! जब बीजेपी जीतती है, तो सब कहते हैं - अब तो देश बदल जाएगा! लेकिन जब गठबंधन बनता है, तो वो खुद भी डर जाते हैं! असली देश के लोग तो अभी भी गरीबी में जी रहे हैं - और ये सब लोग बस अपने नाम लिखवा रहे हैं!