महाराष्ट्र के वरिष्ठ अभिनेता विजय कदम का 68 वर्ष की आयु में कैंसर से निधन

महाराष्ट्र के वरिष्ठ अभिनेता विजय कदम का 68 वर्ष की आयु में कैंसर से निधन

वरिष्ठ मराठी अभिनेता विजय कदम का निधन: कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद ली अंतिम सांस

मराठी सिनेमा में अपनी गहरी छाप छोड़ने वाले वरिष्ठ अभिनेता विजय कदम का 9 अगस्त, 2024 को कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद निधन हो गया। 68 वर्ष की आयु में अपने अंतिम समय तक उन्होंने मनोरंजन की दुनिया में सक्रिय भूमिका निभाई। कदम की अदाकारी का जादू दशकों से मराठी फैन्स के दिलों पर राज करता आ रहा था।

विजय कदम का जन्म मुंबई में हुआ था और उन्होंने शुरुआत से ही अपने अभिनय करियर में महारत हासिल की थी। मराठी थिएटर से लेकर सिनेमा और टेलीविजन तक, कदम की यात्रा हमेशा विविधतापूर्ण और प्रेरणादायक रही। उन्होंने निजी एवं सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्मों में काम करके अपने दर्शकों के दिलों में विशेष जगह बनाई।

कदम की प्रमुख फिल्मों में 'शाहिर', 'एक होत लेखक', और 'पाच नार मला' जैसे नाम शामिल हैं। ये फिल्में उनके अद्वितीय अभिनय कला की जीवंत मिसाल हैं। इसके अलावा, उन्होंने 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' जैसे लोकप्रिय टीवी शोज में भी अपनी भूमिका निभाई थी। उनका करियर अपनी गुणवत्तापूर्ण अदाकारी और समर्पण के कारण अद्वितीय रहा है।

जीवन की लड़ाइयों का सामना

विजय कदम ने कैंसर के साथ अपने संघर्ष को बहुत ही साहस और धैर्य के साथ जीया। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, वे पिछले कुछ सालों से कैंसर से जूझ रहे थे, लेकिन उन्होंने कभी अपनी मानसिकता गिरने नहीं दी। डॉक्टरों की सारे इलाज की कोशिशें बेकार गईं, पर उन्होंने अपनी जिंदगी का हर पल पूरी तरह जीने की कोशिश की।

उनके निधन की खबर से मराठी फिल्म बिरादरी और प्रशंसकों में गहरा शोक है। सोशल मीडिया पर उनके साथी कलाकार और प्रशंसक कदम के लिए श्रद्धांजलि संदेश भेज रहे हैं। एक्टर नाना पाटेकर ने एक ट्वीट में कहा, "विजय कदम एक महान कलाकार थे। उनकी अदाकारी और उनकी सहृदयता हमेशा याद आएगी।"

कदम की विरासत

विजय कदम की विरासत आज भी जिंदा है, और मराठी सिनेमा और थिएटर पर उनकी छोड़ी गई छाप को आसानी से भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने अपने लंबे और विविधतापूर्ण करियर के माध्यम से अनगिनत युवा अभिनेताओं को प्रेरित किया है। उनकी फिल्में और नाटकें आज भी विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं, और उनकी कला की सराहना हर पीढ़ी की जाती रहेगी।

उनके योगदान ने मराठी सिनेमा को वैभव और गर्व के प्रतीक के रूप में प्रतिष्ठित किया है। वे एक अभिनेता के रूप में उतने ही मशहूर थे जितने कि एक इंसान के रूप में। उन्होंने हमेशा नए कलाकारों को प्रोत्साहन दिया और अपनी कला के प्रति जुनून को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

परिवार और निजी जीवन

अपने अभिनय करियर के अलावा, विजय कदम का व्यक्तिगत जीवन भी काफी समर्पित और प्यार भरा था। उनके परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं, जो हमेशा उनके साथ खड़े रहे। उनके परिवार वालों ने उनके स्वास्थ्य में आई सभी कठिनाइयों का साहसपूर्वक सामना किया।

विजय कदम ने अपने परिवार के साथ जितना भी समय बिताया, उसे उन्होंने मूल्यवान बनाया। उनके परिवार और दोस्त उन्हें एक प्यार करने वाले, देखभाल करने वाले व्यक्ति के रूप में याद करते हैं, जो हमेशा दूसरों के हित के बारे में सोचते थे। उनके निधन से उनके परिवारजनों को गहरा दुख पहुंचा है, लेकिन वे उनके द्वारा सिखाए गए मूल्यों और संस्कारों के प्रति सदा कृतज्ञ रहेंगे।

अंतिम श्रद्धांजलि

अंतिम श्रद्धांजलि

विजय कदम का अभिनय करियर उनके अभिनय क्षमता और समर्पण का प्रतिबिंब था। वे हमेशा अपने पात्रों में जान डाल देते थे और दर्शकों को अपने किरदारों के साथ जोड़ देते थे। उनके अभिनय की एक प्रमुख विशेषता उनकी सजीव और वास्तविक अभिव्यक्तियाँ थीं, जो हर किरदार को असली सा बना देती थीं।

उनकी मृत्यु के पश्चात उनकी फिल्में और नाटक हमेशा के लिए जीवित रहेंगे और उनका काम नई पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनेगा। उनकी भूमिकाओं की गहराई और उनकी प्रस्तुति की संजीदगी ने मराठी सिनेमा को एक नया आयाम दिया।

विजय कदम का नाम अब उनकी कला के माध्यम से अनंत काल तक जीवित रहेगा। उन्होंने जो योगदान मनोरंजन की दुनिया को दिया है, वह कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। उनके निधन के बाद भी उनकी कलात्मक आत्मा मराठी सिनेमा और थिएटर की धड़कन के रूप में हमेशा जीवित रहेगी।

अग॰ 10, 2024 द्वारा Pari sebt

द्वारा लिखित Pari sebt

मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूँ और मुझे भारत में दैनिक समाचार संबंधित विषयों पर लिखना पसंद है।

Radhakrishna Buddha

विजय कदम तो बस अभिनेता नहीं, एक जीवंत इतिहास थे। मैंने उनकी 'शाहिर' फिल्म देखी थी जब मैं छोटा था... और आज भी वो दृश्य मेरे दिमाग में बसा है। कैंसर के बीच भी वो हंसते रहे, ये बात सबसे ज्यादा दिल छू गई।

Govind Ghilothia

विजय कदम के अभिनय का शैली सिर्फ अभिनय नहीं, भारतीय सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग था। उनकी भूमिकाएँ लोककथाओं के साथ जुड़ी थीं, और उनका प्रत्येक शब्द एक शिक्षा था।

Sukanta Baidya

अरे भाई, ये सब तो बस ट्रेडिशनल ड्रामा है। आज के टाइम में कोई इतना लंबा बयान नहीं पढ़ता। ये फिल्में तो अब बूमरैंग हैं।

Adrija Mohakul

मैंने उन्हें तारक मेहता में देखा था... उनका आवाज़ और उनकी आँखों की भावना इतनी असली लगती थी कि मुझे लगता था मेरा दादा बोल रहा है। बहुत दिल छू गया।

Dhananjay Khodankar

कदम साहब के बारे में जो भी लिखा गया है, वो सच है। लेकिन अगर हम उनकी विरासत को बरकरार रखना चाहते हैं, तो हमें युवाओं को उनकी फिल्में दिखानी चाहिए। स्कूलों में उनके दृश्य देखने का प्रोग्राम शुरू करें।

shyam majji

अच्छा अभिनय होता है तो लोग याद करते हैं। बाकी सब बकवास है।

shruti raj

क्या आप जानते हैं? कैंसर का इलाज असल में बहुत सस्ता होता है... पर फार्मा कंपनियाँ इसे छुपाती हैं। विजय कदम को ये जानकारी नहीं मिली थी... वो शायद अभी जीवित होते। 😔

Khagesh Kumar

उन्होंने जो किया, वो बहुत बड़ी बात है। बस अभिनय करना ही नहीं, दिल से करना। इसलिए लोग उन्हें याद करेंगे।

Ritu Patel

हर कोई कह रहा है वो बहुत बड़े थे... पर क्या आपने कभी सोचा कि इतने बड़े अभिनेता क्यों नहीं बन पाए? क्योंकि बॉलीवुड ने उन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया। ये राजनीति है।

Deepak Singh

उनकी फिल्मों के बारे में बात करने से पहले, आपको ये जानना चाहिए कि उनकी अदाकारी का आधार नाटकीय वास्तविकता थी-जो अब बहुत कम देखने को मिलता है। आधुनिक अभिनय में विश्लेषणात्मक गहराई का अभाव है।

Rajesh Sahu

मराठी सिनेमा के बारे में बात करने वालों को याद रखना चाहिए कि ये भारत का सच्चा सिनेमा है! बॉलीवुड के झूठे बड़े बनाने वालों से बेहतर है विजय कदम जैसा अभिनेता!

Chandu p

उनकी आवाज़ और अंदाज़ देखकर लगता था कि वो हमारे घर के बुजुर्ग हैं। अब वो नहीं हैं... लेकिन उनकी यादें हमेशा रहेंगी। 🙏

Gopal Mishra

विजय कदम के जीवन का सबसे बड़ा संदेश यह था कि कला और इंसानियत एक ही चीज़ है। उन्होंने अपने अभिनय के माध्यम से यह साबित किया कि एक व्यक्ति की असली शक्ति उसकी निष्ठा में होती है। यह विरासत न सिर्फ मराठी सिनेमा के लिए, बल्कि पूरे भारतीय सांस्कृतिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।

Swami Saishiva

सब याद कर रहे हैं... पर किसने उनकी फिल्मों को रीमेक किया? किसने उनके नाम का इस्तेमाल अपने फैंस को बेचने के लिए किया? ये सब नकली श्रद्धांजलि है।

Swati Puri

उनकी अदाकारी में एक अनूठी आत्मीयता थी-एक ऐसी एक्सप्रेशनल ऑथेंटिसिटी जो आज के डिजिटल एक्टिंग के लिए एक बेंचमार्क है। उनके द्वारा बनाए गए किरदारों के लिए एक नए अभिनय लैंग्वेज की आवश्यकता है।

megha u

मैंने उन्हें कभी नहीं देखा... पर ये सब बहुत ज्यादा रोमांचक लग रहा है। क्या ये सब ट्रेंड है? 😴

Govind Ghilothia

मैंने विजय कदम के बारे में जो लिखा है, वह उनकी विरासत का एक अंश है। लेकिन यदि हम उनके योगदान को वास्तविक रूप से सम्मानित करना चाहते हैं, तो हमें उनके नाम पर एक अखिल भारतीय अभिनय पुरस्कार स्थापित करना चाहिए।