24 नवंबर, 2025 को तमिलनाडु के 19 जिलों में स्कूल और कॉलेज बंद हो गए — न सिर्फ बारिश के कारण, बल्कि बंगाल की खाड़ी में बढ़ते साइक्लोन सेन्यार की आशंका के कारण। ये निर्णय बिल्कुल अचानक नहीं लिया गया। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने पिछले दिन से ही चेतावनी दी थी: दक्षिण अंडमान सागर में बना एक निम्न दबाव क्षेत्र, जो रविवार को बना था, अब गहरी अवस्था में बदल चुका था। अगले 48 घंटों में यह साइक्लोन सेन्यार बनने की संभावना थी। और जैसा कि अक्सर होता है, जब बारिश बहुत ज्यादा होती है, तो बच्चों की सुरक्षा सबसे पहले।
किन जिलों में बंदी? कौन क्या घोषित कर रहा है?
जिन जिलों में स्कूल और कॉलेज दोनों बंद हुए, उनमें तिरुनेलवेली, टेंकासी और तूतीकोरिन शामिल हैं। यहाँ तक कि रात के 11 बजे भी तिरुनेलवेली के अधिकारियों ने घोषणा कर दी — अगले दिन का दिन बरसात के लिए बंद रहेगा। इसके अलावा, मदुरै, कुड्डलोर, नागपट्टिनम, करूर, वीरूधुनगर, रामनाथपुरम, तिरुचिरापल्ली, तिरुवारूर, सिवगंगा, पुदुक्कोट्टई, तिरुवन्नामलै, तिरुवल्लूर, वेल्लोर, विल्लुपुरम जैसे जिलों में सिर्फ स्कूल बंद रहे। कुछ जिलों में तो बाद में भी बंदी का दायरा बढ़ाया गया — रानीपेट, सेलम, नीलगिरि जैसे जिलों में भी बारिश के कारण शिक्षा संस्थानों को बंद करने का निर्णय लिया गया।
कल्लाकुरिचि के जिला अधिकारी एम.एस. प्रसन्थ और रामनाथपुरम के सिमरनजीत सिंह कहलोन ने अपने-अपने जिलों में बंदी की घोषणा की। पुदुचेरी के गृह मंत्री ए. नामस्सिवायम ने भी पुदुचेरी और करैकल के सभी शिक्षण संस्थानों के लिए एक दिन की छुट्टी की घोषणा की। ये सभी निर्णय एक दिन पहले शुरू हुई बारिश और उसके भविष्य के प्रभावों के आधार पर लिए गए।
बारिश का आंकड़ा: कहाँ कितनी बारिश हुई?
23-24 नवंबर के बीच रिकॉर्ड की गई बारिश की मात्रा चिंताजनक थी। तिरुनेलवेली में औसतन 89.73 मिमी बारिश हुई — यह सबसे ज्यादा था। तूतीकोरिन में 57.04 मिमी, टेंकासी में 57 मिमी, और कन्याकुमारी में 17.29 मिमी। इन आंकड़ों के सामने ये बात स्पष्ट हो जाती है कि ये सिर्फ बारिश नहीं, बल्कि एक आपदा का संकेत था। तिरुनेलवेली के एक गाँव में बाढ़ के कारण एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई। एक जान खोने का खतरा तब भी नहीं भूला जा सकता, जब आप लाखों बच्चों की सुरक्षा के बारे में सोच रहे हों।
आपदा प्रतिक्रिया बल की तैनाती: तैयारी की असली तस्वीर
सरकार ने सिर्फ घोषणा ही नहीं की — वह तैयार भी थी। राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) के तीन टीमें तैनात की गईं: दो टीमें तूतीकोरिन और एक टीम तिरुनेलवेली में। ये टीमें बाढ़ से फंसे लोगों को बचाने, बरसात के बाद अनाथ बच्चों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने, और बिजली के खंडहरों से बाधाएँ हटाने के लिए तैयार थीं। ये कोई नाटकीय दृश्य नहीं था — ये रोजमर्रा की आपदा प्रबंधन की वास्तविकता है।
एक IMD अधिकारी ने ANI को बताया: "यह निम्न दबाव क्षेत्र अब बंगाल की खाड़ी में आगे बढ़ रहा है, और अगले 48 घंटों में यह एक साइक्लोनिक तूफान में बदल सकता है।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ओडिशा को अगले सात दिनों तक कोई खतरा नहीं है — यह तूफान दक्षिणी तमिलनाडु और पुदुचेरी को ही निशाना बना रहा है।
अगले दिन का खतरा: क्या 25 नवंबर को भी बंदी होगी?
यहाँ का सबसे बड़ा सवाल अभी भी बाकी है — क्या 25 नवंबर को भी बंदी रहेगी? IMD के अनुसार, बारिश अगले दिन भी जारी रहने की संभावना है। मदुरै में तो पहले ही बाढ़ ने सड़कें बहा दीं। अगर बारिश बंद नहीं हुई, तो वहाँ के स्कूलों को फिर से बंद करना पड़ सकता है। यह एक निरंतर चेतावनी है — जब तक साइक्लोन सेन्यार नहीं बिखर जाता, तब तक जिला प्रशासन बंदी के फैसले लेते रहेंगे।
क्यों ये बारिश इतनी खतरनाक है?
ये सिर्फ बारिश नहीं है। ये एक अक्सर दोहराई जाने वाली आपदा की कहानी है। तमिलनाडु के दक्षिणी जिले — जहाँ जमीन कम ऊँची है, नहरें पुरानी हैं, और नालियाँ अक्सर अव्यवस्थित हैं — वहाँ बारिश का असर तेज होता है। 2023 में भी ऐसा ही हुआ था — तिरुनेलवेली में 100 मिमी बारिश के बाद 7 लोग मारे गए थे। इस बार जब तक साइक्लोन सेन्यार ने अपना आकार नहीं लिया, तब तक ये बारिश भी एक बड़ी आपदा बन सकती थी। लेकिन इस बार जिला प्रशासन ने जल्दी एक्शन लिया। और यही अंतर है — अब वे निर्णय बाद में नहीं, बल्कि पहले ले रहे हैं।
अगले कदम: क्या होगा अगले दिन?
25 नवंबर की सुबह 6 बजे तक, IMD का अपडेट आएगा। अगर साइक्लोन सेन्यार ने अपना रूप बदल लिया और तेज हो गया, तो और जिलों में बंदी की संभावना है। विल्लुपुरम, वेल्लोर, तिरुवन्नामलै जैसे जिले अब नजर में हैं। साथ ही, स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू और पानी के रोगों के खतरे के लिए अस्पतालों को तैयार कर लिया है। अगर बारिश रुक गई, तो स्कूलों को फिर से खोलने की तैयारी शुरू हो जाएगी — लेकिन तब तक, बच्चों को घर में रहना ही सुरक्षित है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या साइक्लोन सेन्यार तमिलनाडु में बड़ा नुकसान पहुँचाएगा?
अभी तक, साइक्लोन सेन्यार एक तूफान के रूप में नहीं, बल्कि एक गहरी अवस्था के रूप में है। लेकिन अगर यह 48 घंटों में तेज हो गया, तो तिरुनेलवेली, तूतीकोरिन और कन्याकुमारी जैसे तटीय जिलों में भारी बाढ़ और लहरों का खतरा है। IMD के अनुसार, तट पर 3-4 मीटर ऊँची लहरें आ सकती हैं। यह वही जगह है जहाँ 2023 में एक साइक्लोन ने 12,000 घरों को नुकसान पहुँचाया था।
क्यों केवल तमिलनाडु और पुदुचेरी को प्रभावित कर रहा है?
इस निम्न दबाव क्षेत्र की गति वेस्ट-नॉर्थवेस्ट है — यानी यह दक्षिणी तमिलनाडु की ओर बढ़ रहा है। ओडिशा और आंध्र प्रदेश के तट इसके रास्ते से बाहर हैं। यह विशेष रूप से बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी हिस्से में बना है, जहाँ वायु दबाव और समुद्री तापमान दोनों बारिश के लिए अनुकूल हैं। इसलिए अन्य राज्यों को अभी कोई प्रभाव नहीं हो रहा।
क्या यह बारिश बाद में भी बरकरार रहेगी?
हाँ। IMD के अनुसार, 25 नवंबर को भी तमिलनाडु के दक्षिणी और मध्य भागों में भारी बारिश की संभावना है। अगर साइक्लोन सेन्यार अपनी तीव्रता बनाए रखता है, तो 26 नवंबर तक बारिश जारी रह सकती है। इसलिए जिला प्रशासन अभी भी बंदी के लिए तैयार हैं।
क्या शिक्षा विभाग ऑनलाइन कक्षाएँ शुरू करेगा?
अभी तक, तमिलनाडु शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन कक्षाओं की घोषणा नहीं की है। लेकिन कई निजी स्कूल अपने छात्रों के लिए डिजिटल लेक्चर्स जारी कर रहे हैं। राज्य सरकार का आधिकारिक रुख है कि बच्चों को घर में रहने के लिए कहा जा रहा है — न कि उन्हें इंटरनेट पर भेजा जाए। इस बार बारिश के कारण बिजली और इंटरनेट दोनों अस्थिर हैं।
क्या बारिश के कारण अन्य सेवाएँ भी प्रभावित हुई हैं?
हाँ। तिरुनेलवेली और तूतीकोरिन में कई राजमार्ग बाढ़ से बंद हो गए हैं। बस सेवाएँ रोक दी गई हैं। रेलवे ने तिरुनेलवेली-तूतीकोरिन लाइन पर ट्रेनों को रद्द कर दिया है। अस्पतालों में आपातकालीन स्थिति घोषित कर दी गई है। यह सिर्फ स्कूलों की बात नहीं — पूरा शहर अपने आप को बाढ़ से बचाने के लिए तैयार कर रहा है।
क्या भविष्य में ऐसी बारिश और आपदा रोकी जा सकती है?
पूरी तरह नहीं, लेकिन कम की जा सकती है। तमिलनाडु में पिछले दो वर्षों में नहरों की सफाई, ड्रेनेज सिस्टम का अपग्रेड और बाढ़ के लिए अलर्ट सिस्टम को मजबूत किया गया है। यही कारण है कि इस बार जान नुकसान कम हुआ। अगर यही रुख बना रहा, तो अगले दशक में आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सकता है।