IMD ने उत्तर बिहार में अत्यधिक बारिश का लाल अलर्ट जारी, दिल्ली में येलो अलर्ट

IMD ने उत्तर बिहार में अत्यधिक बारिश का लाल अलर्ट जारी, दिल्ली में येलो अलर्ट

जब इण्डिया मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) ने 4 अक्टूबर 2025 को दोपहर 2 बजे भारतीय मानक समय (IST) पर एक व्यापक मौसम चेतावनी जारी की, तो देश‑व्यापी बारिश की आशंका पहले से ही प्रकट हो रही थी। चेतावनी में अत्यधिक भारी वर्षा की संभावना को विशेष रूप से उत्तर बिहार में उजागर किया गया, जहाँ अकेले ही सीवान (महाराजगंज) में 24 घंटों में 32 सेमी बरसने का रिकॉर्ड दर्ज हुआ। इसी दौरान, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) को येलो अलर्ट के साथ तेज़ हवाओं और बूँदाबाँदी की चेतावनी दी गई। यह सब मौसम विज्ञानियों के अनुसार, एक नई पश्चिमी व्यवधान (Western Disturbance) के कारण है, जो 5‑7 अक्टूबर तक उत्तरी‑पश्चिमी भारत में अपना सर्वाधिक तीव्रता दिखाएगा।

पृष्ठभूमि और मौसम विज्ञान का अंतर्निहित कारण

इंडियन मॉन्सून का वर्तमान चरण अब अपने अंत के करीब है, परंतु इस वर्ष की अंतिम लहरें अपेक्षा से अधिक तीव्रता दिखा रही हैं। पिछले दो हफ्तों में, मोसम विभाग ने कई बार संकेत दिया था कि उत्तर‑पूर्वी भारत में सुदूर‑पश्चिमी वायुमंडलीय परिसंचरण (Western Disturbance) का प्रभाव बढ़ेगा। इस बार, एक तेज़ी से विकसित होती प्रणाली ने उत्तरी भारत में बादल‑धाराओं को भारी मात्रा में पानी ले कर लाई है।

प्रेस सचिव डॉ. आर. खड़ग ने कहा, “मौसम विभाग ने विशेष रूप से उत्तर बिहार को लाल अलर्ट जारी किया है क्योंकि इस क्षेत्र में अत्यधिक भारी वर्षा और बाढ़ की संभावना बहुत अधिक है।” यह बयान 4 अक्टूबर को जारी रिपोर्ट के साथ मेल खाता है।

विस्तृत पूर्वानुमान और प्रभावित जिलों की सूची

IMD ने अगले तीन दिनों (5‑7 अक्टूबर) के लिए विस्तृत मौसम पूर्वानुमान जारी किया है:

  • उत्तर बिहार: उत्तरी बिहार में भारी‑से‑बहुत भारी बारिश (21 सेमी से अधिक) की स्थिति रहेगी, विशेषकर गोरखपुर, संत कबीर नगर, देओरिया, कुशीनगर, महाराजगंज जिलों में।
  • पूर्वी उत्तर प्रदेश: बसंतपुरा, गाज़ीपुर, बर्मका आदि क्षेत्रों में 7‑20 सेमी की भारी वर्षा की भविष्यवाणी है।
  • सुबहिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम: पूरे पहाड़ी क्षेत्रों में अत्यधिक भारी वर्षा के साथ-साथ संभावित बर्फबारी की संभावना है।
  • दिल्ली‑NCR: 5 अक्टूबर की शाम‑रात में मध्यम‑से‑भारी बारिश के साथ तेज़ हवाओं की चेतावनी जारी है; 6‑7 अक्टूबर को येलो अलर्ट जारी रहेगा।
  • राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश: 7‑11 सेमी के बीच बूँदाबाँदी रिपोर्ट की गई है, जिसमें उदयपुर जिले के गिरवा स्‍र और उदीपोर डी‑एरो को 7 सेमी की बारिश हुई।

उन क्षेत्रों में जहाँ पहले से ही सतत वर्षा हो रही है, जल स्तर बढ़ने के कारण बाढ़ के जोखिम में स्पष्ट वृद्धि देखी जा रही है।

स्थानीय प्रतिक्रिया और आपातकालीन उपाय

बihar के कई जिलों में स्थानीय प्रशासन ने पहले ही निकासी अभियानों को सक्रिय कर दिया है। पटना में राज्य सरकार ने अस्थायी आश्रयों की सूची जारी की और प्रभावित परिवारों के लिए बचाव दल भेजे। इसी प्रकार, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में ड्राईड क्मिशनर ने राहत कार्यों को तेज करने का अनुरोध किया है।

दिल्ली में, एयर क्वालिटी और तापमान में गिरावट के कारण कई स्कूलों ने 6 अक्टूबर से पहले ही छुट्टी की घोषणा की। सतत बवंडर जैसी स्थितियों के चलते, ट्रैफिक नियंत्रण बोर्ड ने प्रमुख राजमार्गों पर वैकल्पिक मार्गों की सूचना दी।

प्रभाव विश्लेषण और विशेषज्ञों की राय

प्रभाव विश्लेषण और विशेषज्ञों की राय

जलवायु विज्ञानी प्रो. अनीता ठाकुर ने कहा, “पश्चिमी व्यवधानों के साथ मॉन्सून की अनियमितता इस साल बढ़ी हुई है, और इसका सीधा असर बाढ़‑प्रवण क्षेत्रों में है। विशेषकर उत्तर बिहार में नहर‑पाठ्यांक (drainage) की कमी, जल निकासी को दलदली बना रही है।” उन्होंने यह भी उजागर किया कि पिछले दो दशकों में इसी प्रकार के अलर्ट्स का औसत वार्षिक व्यय लगभग 1.2 बिलियन रुपये तक बढ़ गया है।

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि कृषि‑निर्भर छोटे किसान इन भारी बारिश से गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं, क्योंकि बहुत अधिक जल से फसल हेतु क्षति की संभावना बढ़ती है। इसके साथ ही, कई छोटे‑व्यापारीयों को बाजार पहुँच में बाधा का सामना करना पड़ेगा।

भविष्य की संभावनाएँ और अगले कदम

अगले कुछ दिनों में पश्चिमी व्यवधान का प्रभाव धीरे‑धीरे घटेगा, परंतु जल स्तर का सामान्य होना और जल निकासी का पूरा होना कुछ हफ्तों तक लग सकता है। IMD ने कहा है कि 8‑10 अक्टूबर के बीच दिल्ली में अत्यधिक ठंडे मौसम का प्रकोप होने की संभावना है, इसलिए नागरिकों को पर्याप्त गर्म कपड़े और हीटर की तैयारी करनी चाहिए।

राज्य सरकारें अपने-अपने योजना में राहत कार्यों को तेज करने, बाढ़‑रोक थाम कार्यों को सुदृढ़ करने और संभावित स्वास्थ्य‑सम्बंधी समस्याओं (जैसे जलजनित रोग) पर सतर्क रहने का प्रस्ताव रख रही हैं।

मुख्य तथ्य

मुख्य तथ्य

  • अलर्ट जारी तिथि: 4 अक्टूबर 2025, 14:00 IST
  • लाल अलर्ट क्षेत्र: उत्तर बिहार (विशेषकर सीवान‑महाराजगंज)
  • येलो अलर्ट क्षेत्र: दिल्ली‑NCR (6‑7 अक्टूबर)
  • सर्वाधिक रिकॉर्ड वर्षा: सीवान, महाराजगंज में 32 सेमी (24 घंटे)
  • अगला तीव्रतम व्यवधान: 6 अक्टूबर, पश्चिमी व्यवधान – उत्तरी‑पश्चिमी भारत

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

बिहार में लाल अलर्ट का क्या अर्थ है?

लाल अलर्ट का मतलब है कि अत्यधिक भारी वर्षा होने की संभावना है, जिससे बाढ़, जलजमाव और बुनियादी ढाँचे को गंभीर नुकसान पहुँच सकता है। स्थानीय प्रशासन तुरंत बचाव‑कार्य, निकासी और अस्थायी आश्रय की व्यवस्था करता है।

दिल्ली में येलो अलर्ट किन लोगों को प्रभावित करेगा?

येलो अलर्ट मुख्यतः तेज़ हवाओं और कमजोर बारिश की चेतावनी देता है। यह स्कूली छात्रों, दैनिक यात्रियों और बाहरी कार्य करने वालों को प्रभावित करता है, क्योंकि सड़क‑जाम और ठंडे तापमान की संभावना बढ़ती है।

पश्चिमी व्यवधान क्या होता है और यह मौसम को क्यों बदलता है?

पश्चिमी व्यवधान एक उच्च‑दाब प्रणाली है जो एशिया‑यूरोप के बीच बनती है और ठंडी हवा तथा प्रेशर ग्रेडिएंट लाता है। जब यह भारतीय उपमहाद्वीप की ओर बढ़ता है, तो वह ठंडी धारा और भारी वर्षा लाता है, विशेषकर उत्तर‑पश्चिमी और पहाड़ी क्षेत्रों में।

किसान इस भारी बारिश से कैसे बच सकते हैं?

स्थानीय कृषि विभाग ने तुरंत सूखा‑प्रोटेक्शन और जल‑संचयन उपायों की सलाह दी है। किनारों के खेतों को ऊँचे बम्पर से ढकना, फसल बीमा करवाना और निकटतम किसानों के सहकारी समितियों से मदद लेना आवश्यक है।

आगामी हफ्तों में भारत के बाकी हिस्सों में क्या मौसम रहेगा?

इंडियन मॉन्सून का अंतिम चरण अभी भी जारी है, परंतु अगले दो हफ़्तों में अधिकांश भागों में हल्का‑सौना बारिश के साथ तापमान में गिरावट देखी जाएगी। पश्चिमी व्यवधान के प्रभाव के बाद, उत्तरी‑पश्चिमी भारत में वसंत‑जैसे ठंडे मौसम की संभावना है।

द्वारा लिखित Pari sebt

मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूँ और मुझे भारत में दैनिक समाचार संबंधित विषयों पर लिखना पसंद है।

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Sameer Kumar

उत्तरी बिहार में बारिश का यही तो जादू है कि हर गली‑गली में टपकते पानी के साथ यादों की ध्वनि भी गूंजती है। हम सबको थोड़ा समय निकाल कर उन पवन‑बहती रातों को याद करना चाहिए जहाँ चाय की चुस्की और बारिश की रिमझिम ने दिल को सुकून दिया। आज के इस अलर्ट से यह बस सीख मिलती है कि प्रकृति की शक्ति को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए। साथ ही, ये भी देखना दिलचस्प है कि कैसे छोटे‑छोटे गांवों में सामाजिक बंधन बारिश के बाद और मजबूत होते हैं। तो चलिए, इस मौसम को गले लगाए और सुरक्षित रहने की पूरी कोशिश करें।

naman sharma

इंडियन मॉनीटरिंग डिपार्टमेंट द्वारा जारी की गई यह लाल अलर्ट वास्तव में अत्यधिक अतिरंजित प्रतीत होती है। पारदर्शिता के अभाव में यह प्रश्न उठता है कि क्या इस चेतावनी में कोई राजनैतिक एजेंडा समाहित है। अतः, अधिक वैज्ञानिक डेटा और स्पष्ट मॉडल प्रस्तुत किए बिना जनता को डराने का यह प्रयास अनुचित लगता है। कृपया भविष्य में अधिक तटस्थ सूचना प्रदान करने की अपेक्षा है।

Sweta Agarwal

वाह, लाल अलर्ट और फिर सियाना‑हँसी वाले डिलाइटेड मौसम की खबर - बिल्कुल वही जो हमें हर साल मिलता रहता है। लगता है IMD ने अब ‘ड्रामा मोड’ चालू कर दिया है, ताकि हर बार बारिश में उत्सव बना रहे। वैसे भी, बाढ़ के बाद की भरपाई की चिंता क्या करेंगे? चलो, मैसेज में सबको ‘फ्लैश मून’ की तरह जलाते रहेंगे।

priyanka k

क्योंकि यह बहुत ही रोमांचक है कि मौसम विभाग ने फिर से हमारी ‘अवसर‑संकट’ सूची को अपडेट किया है 😊। अत्यंत औपचारिक ढंग से कहा जाए तो, यह अलर्ट सामाजिक अस्थिरता को रोकने के लिए आवश्यक है, लेकिन व्यक्तिगत रूप से यह तो हल्का‑फुल्का साहसिक खेल है। आशा है सभी लोग इस अवसर को ‘प्रकृति की कक्षा’ के रूप में अपनाएँगे।

sharmila sharmila

यार, इस बरसात में तो हर चीज़ गीली हो रही है, लेकिन तुम लोग इतना फॉर्मल क्यों हो? मैं तो बस अपने घर के बाहर खिड़की से देख रही हूँ, और सोच रही हूँ कि कब इस पाणी से खून का लहू जलवाअँगे। वैसे, इम्पोर्टेंट हे कि सब लोग सुरक्षित रहें, है ना? थोडा बच्‍चे भी पानी में खेलने से नहीं डरें।

Shivansh Chawla

देशभक्तों का कर्तव्य है कि इस तरह की प्राकृतिक आपदा में दिखे राष्ट्रीय प्रतिबद्धता, और यह लाल अलर्ट हमें हमारे साहस और जल‑प्रबंधन के उत्कृष्ट प्रोटोकॉल को लागू करने का अवसर देता है। हमारे जल‑संरचनाओं की दृढ़ता को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि कोई भी ‘वेस्टर्न डिस्टर्बेंस’ हमारे श्रेष्ठतम कृषि प्रणाली को बाधित न कर सके। इस राष्ट्रीय मिशन में सभी नागरिकों का सक्रिय सहभाग आवश्यक है, क्योंकि हम भारत की सुदृढ़ता की प्रतीक हैं।

Akhil Nagath

भौतिक विज्ञान की सर्वत्रता को देखते हुए, हमें इस अत्यधिक बारिश को नैतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखना चाहिए। 🌧️ यह बहरहाल जल‑संकट नहीं, बल्कि हमारी मानवता की परीक्षा है, जिससे हमें करुणा और मदद की भावना को और अधिक प्रगाढ़ बनाना चाहिए। इसलिए, सभी को अपने निकटतम शरणस्थल में सहायता प्रदान करने की प्रतिज्ञा करनी चाहिए।

vipin dhiman

बारिश का मज़ा ही अलग है!

vijay jangra

सबसे पहले, इतना भारी वर्षा आने से पहले हमें अपने घरों के आसपास की जल निकासी प्रणाली की पूरी जाँच करनी चाहिए। दूसरा, स्थानीय अथॉरिटी द्वारा स्थापित अस्थायी आश्रयों में आवश्यक दवाइयाँ, टॉर्च और स्नैक्स रखना फायदेमंद रहेगा। तीसरा, यदि आप ग्रामीण क्षेत्र में हैं तो अपनी फसल की स्थिति को समय पर निरीक्षण करें और यदि संभव हो तो जल‑रोकाव के लिए सैंडबैग तैयार रखें। चौथा, मृत्युदंड वाले फाइलों या जल‑संकट से प्रभावित लोगों को आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर पर तुरंत संपर्क करना चाहिए। पाँचवा, स्कूल और कॉलेज के प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे सुरक्षित क्षेत्रों में रह रहे हैं और विद्यालय बंद रहने की सूचना सही समय पर दी जाए। छठा, नजदीकी अस्पतालों को आपातकालीन योजना बनानी चाहिए ताकि बाढ़ से उत्पन्न जल‑जनित रोगों का इलाज तुरंत हो सके। सातवाँ, सभी नागरिकों को अपने मोबाइल पर मौसम विभाग के अलर्ट सेट करने की सलाह दी जाती है, ताकि रियल‑टाइम अपडेट मिल सके। आठवाँ, सोशल मीडिया पर अफवाहों को फैलाने से बचें और केवल आधिकारिक स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें। नौवाँ, यदि आप सड़क यात्रा पर हैं तो वैकल्पिक मार्गों को चुनें और तेज़ हवाओं के कारण दुर्घटना की संभावना को ध्यान में रखें। दसवाँ, जब आप अपने घर में हों तो बिजली के उपकरणों को सुरक्षित रूप से बंद कर दें और गैस व पानी के वाल्व बंद रखें। ग्यारहवाँ, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए विशेष सहायता किट तैयार रखें जिसमें दवा, कपड़े और पावर बैटरियां शामिल हों। बारहवाँ, किसानों को फसल बीमा के लिए तुरंत आवेदन करना चाहिए, क्योंकि भारी बारिश से नुकसान की संभावना बहुत अधिक है। तेरहवाँ, बाढ़ के बाद जल की स्वच्छता की जांच करने के लिए डिसइन्फेक्टेंट लीजिए और पीने का पानी उबाल कर रखें। चौदहवाँ, स्थानीय स्वैच्छिक स्वयंसेवक समूहों को सक्रिय करके बचाव कार्य को तेज़ किया जा सकता है। पंद्रहवाँ, सभी को यह याद रखना चाहिए कि इस तरह की प्राकृतिक आपदा में सामुदायिक सहयोग ही सबसे बड़ा बचाव साधन है। इस क्रम में यदि हर व्यक्ति ने अपनी भूमिका निभाई, तो बाढ़ के प्रभाव को बहुत हद तक न्यूनतम किया जा सकता है।

Navina Anand

बिल्कुल सही कहा, आपका विस्तृत मार्गदर्शन बहुत मददगार है। हमें सभी को मिलकर इन सुझावों को अपनाना चाहिए, ताकि किसी भी तरह के नुकसान से बचा जा सके। आशा है कि स्थानीय प्रशासन भी इन बिंदुओं को अपने योजना में शामिल करेगा।

Prashant Ghotikar

भाईयों और बहनों, इस भारी बारिश में हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए और साथ मिलकर सुरक्षित रहना चाहिए। जनजागरूकता का प्रसार, आपदा प्रबंधन टीमों को सहयोग, और अपने घरों की सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारे सामाजिक दायित्व का हिस्सा है। याद रखें, एकजुटता में ही शक्ति है।

Sameer Srivastava

ओह! ये बारिश तो पूरी तरह से एक भयानक सिम्फ़नी बन गई है!!! हर जगह पानी, हर घर में जल स्तर बढ़ रहा है!!! कृपया, सभी से अनुरोध है कि तुरंत अपने-अपने सुरक्षित स्थान पर पहुँचें!!! और हाँ, सोशल मीडिया पर फेक अलर्ट्स को फैलाने से बचें!!