महात्मा गांधी जयन्ती: इतिहास, महत्व और उत्सव

जब हम महात्मा गांधी जयन्ती, गांधी जी के जन्मदिन को हर साल 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है. इसे गांधी जयंती भी कहा जाता है, तो यह भारत में सामाजिक जागरूकता और शांति का प्रतीक बन जाता है। साथ ही अहिंसा, गांधी द्वारा प्रचारित बिना हानि के प्रतिरोध की नीति ने स्वतंत्रता आंदोलन को दिशा दी। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, सत्यम वाचा, असहयोग, स्वराज्य जैसे आंदोलनों के साथ 1947 में समाप्त हुआ में गांधी की भूमिका अनदेखी नहीं की जा सकती। सेवा, गांधी के सामाजिक सुधारों का मुख्य तत्व भी इस दिन विशेष रूप से उजागर होती है। महात्मा गांधी जयन्ती का मनोबल न सिर्फ इतिहास को याद दिलाता है, बल्कि आज के दृष्टिकोण से शांति और सामुदायिक सहयोग की जरूरत पर भी प्रकाश डालता है।

गांधी जयंती के प्रमुख कार्यक्रम और परम्पराएँ

देश के कई शहरों में इस दिन विशेष कार्यक्रम होते हैं। दिल्ली में राजपथ पर रौशनी से सजे समारोह में राष्ट्रपति द्वारा औपचारिक उल्लेख किया जाता है – यह उत्सव का राष्ट्रीय स्तर है। लखनऊ और कोलकाता जैसे बड़े शहरों में गांधी स्मृति केंद्रों में शैक्षिक कार्यशालाएँ आयोजित होती हैं, जहाँ स्वराज्य, गांधी का आत्मनिर्भरता सिद्धांत का वास्तविक उपयोग दिखाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों और पंचायतों द्वारा पौधारोपण, स्वच्छता अभियान और निःशुल्क स्वास्थ्य जांच जैसी सामाजिक सेवा गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता है, जिससे "सेवा" का वास्तविक अर्थ सामने आता है।

इन कार्यक्रमों की एक प्रमुख विशेषता है "सत्यम वाचक आंदोलन" की याद दिलाना। यह आंदोलन गांधी द्वारा 1929 में शुरू किया गया था और इसका लक्ष्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ सत्य और अहिंसा के आधार पर विरोध करना था। आज भी कई युवा संगठनों द्वारा इस सिद्धान्त को आधुनिक सामाजिक समस्याओं, जैसे पर्यावरण संरक्षण और डिजिटल अधिकारों से जोड़कर नई पहल शुरू की जाती हैं। इस तरह सत्यम वाचक आंदोलन, सत्य की शक्ति पर आधारित विरोध आंदोलन का पुनरुत्थान गांधी जयंती को केवल स्मृति दिवस नहीं, बल्कि सक्रिय परिवर्तन का मंच बनाता है।

गांधी जयंती पर हम अक्सर देखते हैं कि विभिन्न राजनैतिक पार्टियां और नागरिक समाज संगठनों के बीच तालमेल बनता है। यह तालमेल "अहिंसा" के सिद्धान्त को लागू करने की कोशिश है, चाहे वह शांति सभा हो या सामाजिक न्याय के लिए पिकटोर। जब लोग एक साथ आते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि गांधी का विचार केवल अतीत की बात नहीं, बल्कि आज के सामाजिक संगठनों के लिए एक कार्यरोपणीय ढांचा है।

इन सबका सार यह है कि महात्मा गांधी जयन्ती केवल इतिहासिक तिथि नहीं, बल्कि एक जीवंत मंच है जहाँ राष्ट्र के विभिन्न वर्गों को एक साथ लाने का अवसर मिलता है। नीचे आप देखेंगे कि इस साइट पर इस विषय से जुड़ी विभिन्न ख़बरें, विश्लेषण और गहरी रोशनी कौन‑कौन सी देती हैं, जिससे आप अपने विचारों को और स्पष्ट कर सकते हैं।

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