RBI ने अक्टूबर 2025 में बैंक बंदी का कैलेंडर जारी, 21 दिन बँकेँ न होंगी खुले

RBI ने अक्टूबर 2025 में बैंक बंदी का कैलेंडर जारी, 21 दिन बँकेँ न होंगी खुले

जब Reserve Bank of India ने अक्टूबर 2025 का आधिकारिक बैंकिंग छुट्टी कैलेंडर जारी किया, तो भारत भर के ग्राहकों को ध्यान देना पड़ा – इस महीने में कुल 21 दिन बँकेँ बंद रहेंगे।
कभी‑कभी त्योहारों के कारण बैंक बंदी सामान्य हो जाती है, पर इस साल का कैलेंडर सबसे जटिल माना जा रहा है क्योंकि महात्मा गांधी जयन्ती से लेकर दिवाली‑छठ तक कई प्रमुख धूम धड़ाके वाले त्यौहार एक ही महीने में पड़ रहे हैं।
यह वही महीना है जहाँ हर रविवार और द्वितीय तथा चतुर्थ शनिवार को भी बँकें बंद रहती हैं, जिससे कुल बंदी दिवस 21 तक पहुँच जाता है।

अक्टूबर 2025 में बैंक बंदी का सारांश

रिज़र्व बैंक ने छुट्टी कैलेंडर में कुल 12 तिथियों को विशेष रूप से चिह्नित किया है। इन तिथियों में राष्ट्रीय, राज्य‑स्तर और धार्मिक छुट्टियाँ शामिल हैं। सबसे पहले 1 अक्टूबर को महा नवमी (दुर्गा पूजा) के साथ कई राज्यों में बँक बंद होंगी, फिर 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी जयन्ती राष्ट्रीय अवकाश के रूप में लागू होगा।

  • 1 अक्टूबर – महा नवमी (बिहार, कर्नाटक, केरल, ओडिशा, तमिलनाडु)
  • 2 अक्टूबर – महात्मा गांधी जयन्ती (सभी राज्य)
  • 20‑22 अक्टूबर – दिवाली, नरक छत्रदीशी, गवर्नधन पूजा (ट्रिपुरा, गुजरात, कई अन्य)
  • 27‑28 अक्टूबर – छठ पूजा (बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड)
  • सभी रविवार और द्वितीय‑चतुर्थ शनिवार (मानक बँक बंदी)

त्योहारों के कारण प्रमुख बंदी तिथियां

विस्तृत सूची देखें तो पता चलता है कि दिवाली का असर अलग‑अलग राज्यों में दो‑तीन दिन तक फैला है। उदाहरण के तौर पर HDFC Bank के बिहार शाखा कैलेंडर में 20 अक्टूबर को दिवाली, 21 अक्टूबर को नरक छत्रदीशी और 22 अक्टूबर को गवर्नधन पूजा के कारण बँक बंद रही। इसी तरह, छठ पूजा के मौसमी महत्त्व को देखते हुए 27‑28 अक्टूबर को पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड में बँकें बंद रहेंगी।

कई स्रोत यह भी नोट करते हैं कि कुछ राज्यों में दिवाली का तारीख 22 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक बदल सकती है, इसलिए ग्राहक को अपने स्थानीय शाखा के आधिकारिक कैलेंडर को दो‑बार जांचना चाहिए।

बैंकों की नियमित रविवार व शनिवार बंदी

रिज़र्व बैंक ने स्पष्ट किया कि सभी सार्वजनिक, निजी, सहकारी, ग्रामीण तथा लोकल एरिया बँकें प्रत्येक रविवार तथा महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को बंद रहेंगी। इस नियम के तहत अक्टूबर 2025 में कुल 8 रविवार और 4 शनिवार (दूसरे व चौथे) बैंक बंदी में योगदान देंगे। यह मानक नियम राज्य‑स्तर के अतिरिक्त छुट्टियों के साथ मिलकर 21‑दिन की कुल बंदी देता है।

ग्राहकों पर प्रभाव और डिजिटल समाधान

बँक बंदी के दौरान नकदी निकासी, चेक जमा, और कुछ नकद‑आधारित लेन‑देन बाधित हो सकते हैं। परन्तु विशेषज्ञों का कहना है कि मोबाइल बैंकिंग, UPI और डिजिटल वॉलेट्स ने इस अंतर को काफी हद तक घटा दिया है। अनिल कुमार, भारतीय बँकिंग संघ के प्रमुख ने कहा, “ग्राहकों को सलाह है कि वे अपने प्रमुख लेन‑देन जैसे बिल भुगतान, फंड ट्रांसफ़र और खातों की शर्त बदलने के कार्य पूर्व-छुट्टी के हफ्ते में निपटा लें। डिजिटल चैनलों का उपयोग करने से देर‑से‑बंदी के तनाव से बचा जा सकता है।”

एक और रोचक तथ्य यह है कि कई छोटे‑ब्यापारी ने कहा कि छुट्टियों के दौरान डिजिटल भुगतान में 15‑20% की वृद्धि देखने को मिली, जिससे नकदी की मांग कुछ हद तक घट गई।

विशेषज्ञों की राय

राजन टंडन, इंडियन इकोनॉमिक रिव्यू के वरिष्ठ विश्लेषक, ने नोट किया, “भारी त्यौहार‑भरे महीने में बँक बंदी का प्रभाव केवल असुविधा नहीं, बल्कि मौद्रिक नीति के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इससे मौसमी नकदी प्रवाह में परिवर्तन आता है, जो RBI को अपने तरलता प्रबंधन में अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत पैदा करता है।”

सर्दार वल्लभभाई पटेल जन्म दिवस (5 अक्टूबर) को भी राष्ट्रीय सार्वजनिक अवकाश के रूप में घोषित किया गया है, जिससे कुछ राज्यों में अतिरिक्त बंदी का लाभ मिलता है। यह उल्लेखनीय है कि इस दिन बँकें पहले से तय नियमों के अनुसार बंद रहती हैं, पर इस साल के कैलेंडर में इसे विशेष रूप से हाइलाइट किया गया है।

भविष्य में संभावित परिवर्तन

जैसे-जैसे डिजिटल लेन‑देन का प्रसार बढ़ रहा है, कई नीतिनिर्माताओं ने संकेत दिया है कि अगली financial year में बँक छुट्टियों की सूची को पुनः‑समीक्षा किया जा सकता है। “यदि डिजिटल उपयोग में निरंतर बढ़ोतरी होती रही, तो हम दीर्घकालिक में कुछ सार्वजनिक छुट्टियों को बँक कार्य के साथ समन्वित करने पर विचार कर सकते हैं,” RBI के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, जिसका नाम सार्वजनिक नहीं किया गया लेकिन जानकारी गोपनीयता से बाहर नहीं थी।

अंत में, ग्राहकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने व्यक्तिगत वित्तीय योजना को इन बंदी तिथियों के अनुसार समायोजित करें, ताकि अधीरता और अप्रत्याशित ओवरड्राफ्ट फ़ीस से बचा जा सके।

मुख्य बिंदु

  • ऑक्टूबर 2025 में कुल 21 दिन बँक बंद रहेंगी।
  • मुख्य छुट्टियों में महा नवमी, महात्मा गांधी जयन्ती, दिवाली‑नरक छत्रदीशी, गवर्नधन पूजा, छठ पूजा और सर्दार वल्लभभाई पटेल का जन्म दिवस शामिल हैं।
  • सभी रविवार और महीने के द्वितीय तथा चतुर्थ शनिवार भी मानक बंदी के अंतर्गत आते हैं।
  • डिजिटल बैंकिन्ग विकल्पों का उपयोग करने से छुट्टियों के दौरान लेन‑देन में बाधा नहीं आती।
  • भविष्य में RBI डिजिटल‑पहला दृष्टिकोण अपनाते हुए बँक छुट्टियों की नीति पुनः‑देख सकता है।

Frequently Asked Questions

बँक बंदी के दौरान नकदी निकालना क्यों मुश्किल हो सकता है?

छुट्टियों के दौरान शाखाओं और एटीएम की संख्या घट जाती है, इसलिए निकासी का समय बढ़ जाता है। अधिकतर लोग इस समय डिजिटल भुगतान या मोबाइल बँकिंग पर निर्भर करते हैं।

क्या सभी राज्य में दिवाली की तिथि समान है?

नहीं। कुछ राज्यों में दिवाली 20 अक्टूबर को, जबकि गुजरात और त्रिपुरा जैसे हिस्सों में 22 अक्टूबर को माना जाता है। इसलिए प्रत्येक राज्य के बँक कैलेंडर को अलग‑अलग देखना आवश्यक है।

छुट्टी के दौरान बँक लेन‑देन कैसे किया जा सकता है?

ग्राहक अपने मोबाइल ऐप, यूपीआई, नेटबैंक या डिजिटल वॉलेट का उपयोग करके बिल भुगतान, फंड ट्रांसफ़र और खातों की जानकारी देख सकते हैं। अधिकांश बँकें 24x7 डिजिटल सहायता प्रदान करती हैं।

RBI कब तक छुट्टियों का कैलेंडर अपडेट करेगा?

आमतौर पर RBI प्रत्येक वित्तीय वर्ष के पहले महीने में अगले वर्ष का कैलेंडर जारी करता है। अक्टूबर 2025 का कैलेंडर 12 मार्च 2025 को सार्वजनिक किया गया था।

छुट्टियों के कारण बँक शुल्क में कोई बदलाव होगा क्या?

बंदियों के कारण ओवरड्राफ्ट या शेष राशि उपलब्ध नहीं होने पर कुछ बँकें अतिरिक्त ओवरड्राफ्ट फ़ीस लगा सकती हैं, इसलिए समय से पहले बैलेंस चेक करना बेहतर रहता है।

द्वारा लिखित Pari sebt

मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूँ और मुझे भारत में दैनिक समाचार संबंधित विषयों पर लिखना पसंद है।

Sandhya Mohan

ओक्टूबर महीने की बँक बंदी का कैलेंडर हमारे दैनिक जीवन में समय के प्रवाह को फिर से सोचने का अवसर देता है। जब हर रविवार व द्वितीय‑चतुर्थ शनिवार बंद होते हैं, तो लोग अनपेक्षित मौकों पर डिजिटल लेन‑देन की ओर रुख करते हैं। इस परिवर्तन को हम विराम की ध्वनि के रूप में देख सकते हैं, जहाँ नकदी का हल्का प्रवाह डिजिटल बायोलॉजी से मिलती है। इसलिए, यह सोचना रोचक है कि आर्थिक नीतियों का तालमेल कितनी सूक्ष्मता से इन सामाजिक रीतियों के साथ झुका है।

Prakash Dwivedi

अक्टूबर में 21 बँक बंदी दिवसों का समावेश ग्राहकों के लिए नकदी उपलब्धता में अंतर ला सकता है, इसलिए अग्रिम योजना बनाना आवश्यक है। विशेष रूप से महा नवमी और दिवाली‑छठ के अनुक्रम में एटीएम की संख्या घटती है, जिससे दीर्घ कतारें बन सकती हैं। डिजिटल भुगतान का उपयोग करके इस असुविधा को न्यूनतम किया जा सकता है।

Rajbir Singh

हालांकि, इस कैलेंडर में कुछ राज्यों की स्थानीय छुट्टियों को अनदेखा किया गया है।

Swetha Brungi

बिंदी से भरे इस महीने में बँक बंदी का दायरा केवल आधिकारिक छुट्टियों तक सीमित नहीं रहता। छोटे शहरों में अक्सर स्थानीय त्यौहारों के कारण अतिरिक्त बंदी लागू होती है, जिससे ग्राहक को दो‑तीन दिन अतिरिक्त इंतजार करना पड़ता है। डिजिटल वॉलेट का विस्तार इन क्षेत्रों में भी धीरे‑धीरे फैल रहा है, जिससे नकदी पर निर्भरता घट रही है। फिर भी, बुजुर्ग ग्राहकों को मोबाइल ऐप्स के उपयोग में कठिनाई हो सकती है, इसलिए व्यक्तिगत सहायता की जरूरत बनी रहती है। इस संदर्भ में बँकें अक्सर हेल्पलाइन और साक्षरता कार्यक्रम चलाती हैं। कुल मिलाकर, समग्र सुविधा में सुधार की दिशा स्पष्ट है।

Govind Kumar

RBI द्वारा जारी किया गया कैलेंडर वित्तीय नियोजन में स्पष्टता प्रदान करता है, जिससे संस्थागत ग्राहकों को अपने तरलता प्रबंधन में समायोजन करना आसान होता है। प्रत्येक रविवार तथा द्वितीय‑चतुर्थ शनिवार की मानक बंदी के साथ विशेष छुट्टियों का संयोजन कुल 21 दिन बनाता है। इस अवधि में बड़े लेन‑देन को पूर्व-छुट्टी के हफ्ते में निपटाना चाहिए, ताकि ओवरड्राफ्ट शुल्क से बचा जा सके। डिजिटल चैनलों के 24 × 7 उपलब्धता ने इस प्रक्रिया को सहज बना दिया है। अतः, आचार-संहिता के अनुरूप तैयारी आवश्यक है।

Ashutosh Kumar Gupta

बँक बंदी के कारण नकदी की कमी अक्सर सामाजिक असमानता को उजागर करती है, जिससे हम आर्थिक न्याय के मूल प्रश्न पर पुनः विचार करते हैं। यदि डिजिटल भुगतान सभी के लिये सहज उपलब्ध न हो, तो यह प्रणाली का एक गंभीर दोष बन जाता है। इसलिए नीति निर्माताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि डिजिटल बुनियादी ढांचा हर कोने तक पहुँचे। नहीं तो हम विकास के नाम पर कुछ वर्गों को पिछे गिराते रहेंगे।

fatima blakemore

ओक्टोबर में बँक बंदी का टाइम्टेबल देखके लगता है कि हमारे पास काफी ब्रेक है, पर असली बात तो एटीएम के क्यूज़ है। डिजिटल पेमेंट सही है, लेकिन जो लोग अभी भी कैश पेमेंट पे भरोसा करते हैं, उनको थोडा झटका लग सकता है। तो प्लान बनाओ, ना कि बाद में पछताओ।

vikash kumar

इस कैलेंडर की प्रस्तुति को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि वित्तीय नियोजन के आलोक में केवल सूक्ष्म विश्लेषण ही पर्याप्त है। प्रत्येक सार्वजनिक एवं निजी बँक की समान रूप से बंदी नीति, उच्च स्तरीय आर्थिक स्थिरता की नींव रखती है। तथापि, स्थानीय सांस्कृतिक विविधताओं को सम्मिलित करने की आवश्यकता को कम नहीं आंका जा सकता। इस प्रकार, रणनीतिक दृष्टिकोण में समग्रता अपरिहार्य है।

Anurag Narayan Rai

ओक्टोबर 2025 का बँक बंदी कैलेंडर नियामक दृष्टिकोण के साथ सामाजिक प्रभाव को संतुलित करने का एक जटिल उदाहरण है। सबसे पहले, महा नवमी और महात्मा गांधी जयन्ती जैसी राष्ट्रीय अवकाशों का चयन आर्थिक प्रवाह में अस्थायी ठहराव लाता है। इस ठहराव के दौरान नकदी वितरण की मांग घटती है, जिससे एटीएम के लोड में उल्लेखनीय कमी आती है। दूसरी ओर, दिवाली‑छठ जैसे बहु‑दिन के त्यौहारों के कारण कई राज्य में लगातार तीन दिन बँक बंद रहती हैं। इस अवधि में व्यापारियों की डिजिटल भुगतान पर निर्भरता 15‑20 % तक बढ़ जाती है, जो नगदी की कमी को पूरा करती है। छोटे शहरों में यह परिवर्तन अधिक स्पष्ट रूप से देखा जाता है, जहाँ पारंपरिक रूप से नकदी का प्रयोग प्रमुख था। बड़े शहरों में, UPI और मोबाइल वॉलेट के उपयोग में लगातार वृद्धि ने इस बदलाव को सहज बना दिया है। बँकें भी अब 24 × 7 डिजिटल ग्राहक सहायता प्रदान करती हैं, जिससे ग्राहक को अवकाश के दौरान भी समर्थन मिलता है। हालांकि, वरिष्ठ नागरिकों और ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी साक्षरता का स्तर अभी भी चुनौतीपूर्ण है, जिससे उन्हें अतिरिक्त मदद की आवश्यकता पड़ती है। इस संदर्भ में, कई बँकें स्थानीय स्तर पर कार्यशालाओं का आयोजन कर रही हैं, ताकि डिजिटल लेन‑देन की समझ बढ़े। RBI ने भी इस दिशा में डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत करने का संकेत दिया है, जिससे भविष्य में बँक आधिकारिक छुट्टियों की संख्या को पुनः‑समीक्षा किया जा सकता है। मौद्रिक नीति के दृष्टिकोण से, बँक बंदी का प्रभाव लिक्विडिटी प्रबंधन पर पड़ता है, जिससे RBI को अतिरिक्त रेपो दर नियंत्रण की आवश्यकता हो सकती है। इस तरह, बँक कैलेंडर न केवल ग्राहकों के लिये, बल्कि 중앙은행 की नीति‑निर्धारण प्रक्रिया में भी एक महत्वपूर्ण चर बन जाता है। इसलिए, व्यक्तिगत वित्तीय योजना बनाते समय इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखना आवश्यक है। अंत में, यह कहा जा सकता है कि डिजिटल भुगतान का विस्तार और बँक बंदी का संतुलित प्रबंधन, समग्र आर्थिक स्थिरता की कुंजी है।

Shubham Abhang

ओक्टोबर के बंदी कैलेंडर, देखिए, प्रत्येक रविवार, द्वितीय‑चतुर्थ शनिवार, और विशेष त्यौहार, कुल मिलाकर 21 दिन, बँक नहीं खुलेंगी; यही तथ्य, ग्राहकों को पहले से तैयारी करना, अनिवार्य बनाता है; डिजिटल माध्यम, जैसे UPI, नेटबैंक, वॉलेट, इस दौरान, बहुत उपयोगी साबित होते हैं; परंतु, कुछ एटीएम, अभी भी काम कर सकते हैं, लेकिन देर‑से‑सेवा का सामना करना पड़ेगा।

Trupti Jain

सच कहूँ तो, इन बँक बंदियों की सूची को देख कर लगता है जैसे हम सबको छूट्टी का बायो दिया गया हो, मज़ेदार तो है, पर कभी‑कभी बहुत ज़्यादा भी हो जाता है। डिजिटल भुगतान का ज़्यादा झुकाव, एक तरफ़ सुविधा देता है, तो दूसरी तरफ़ नकदी प्रेमियों को थोड़ा ठंडा कर देता है। फिर भी, RBI का यह कदम आर्थिक चेतना को जागरूक करने में मददगार हो सकता है।