ग्रे मार्केट प्रीमियम क्या है? सरल शब्दों में समझें
जब कोई कंपनी का शेयर बाजार में ट्रेड होता है, तो उसका आधिकारिक कीमत (इश्यू प्राइस) और वास्तविक ट्रेडिंग मूल्य अलग हो सकता है। इस अंतर को ग्री मार्ket premium कहते हैं। आमतौर पर यह तब दिखता है जब कुछ लोग ऑफ‑मार्केट या लिस्टेड नहीं हुए शेयर खरीदते‑बेचते हैं, यानी ग्रे मार्केट में.
ग्रे मार्केट प्रीमियम का मतलब सिर्फ अतिरिक्त कीमत नहीं, बल्कि उस समय के बाजार भावना और मांग‑सप्लाई का भी संकेत होता है. अगर बहुत लोग किसी स्टॉक को जल्दी से चाहते हैं, तो प्रीमियम बढ़ जाता है. इसी तरह अगर सप्लाई ज्यादा हो तो प्रीमियम घट सकता है.
ग्रे मार्केट कैसे बनता है?
एक शेयर का आधिकारिक लिस्टिंग नहीं हुआ हो या कंपनी के अंदरूनी दस्तावेज़ पूरे न हों, तब भी लोग निजी तौर पर उस शेयर को खरीदते हैं. ये लेन‑देन एक्सचेंज की निगरानी से बाहर होते हैं और इसलिए इसे ग्रे मार्केट कहा जाता है. इस मार्केट में ट्रेड होने वाले शेयरों का मूल्य अक्सर आधिकारिक कीमत से अलग रहता है – यही प्रीमियम या डिस्काउंट बनता है.
उदाहरण के तौर पर, अगर कोई कंपनी अपने IPO में 100 रुपये तय करती है, लेकिन ग्रे मार्केट में वही शेयर 120 रुपये पर ट्रेड हो रहा है, तो 20% का प्रीमियम है. निवेशक इस अतिरिक्त राशि को जोखिम की कीमत समझते हैं.
प्रीमियम कैसे निकालें और क्या देखें?
प्रीमियम का प्रतिशत निकालने के लिए बस (ग्रे मार्केट मूल्य - ऑफ़िशियल मूल्य) / आधिकारिक मूल्य * 100 करें. इससे आपको पता चलेगा कि बाजार में कितना अतिरिक्त भुगतान कर रहे हैं.
ट्रेंड देखिए: अगर प्रीमियम लगातार बढ़ रहा है, तो यह संकेत हो सकता है कि शेयर की माँग बढ़ रही है या कंपनी के बारे में कुछ सकारात्मक अफवाहें चल रही हैं.
वॉल्यूम चेक करें: उच्च ट्रेडिंग वॉल्यूम के साथ प्रीमियम होना अक्सर अस्थायी ट्रेंड नहीं, बल्कि मजबूत बाजार रुचि दिखाता है.
समाचार और रुमर्स: ग्रे मार्केट में कीमतें जल्दी बदलती हैं. इसलिए कंपनी से जुड़ी कोई बड़ी खबर या रेज़ल्ट्स का असर तुरंत प्रीमियम पर पड़ता है.
ध्यान रखें – ग्रे मार्केट में निवेश जोखिम भरा होता है क्योंकि ये लेन‑देन एक्सचेंज के नियमों के बाहर होते हैं. इसलिए अगर आप शुरुआती हैं, तो पहले आधिकारिक लिस्टेड शेयरों से शुरू करना बेहतर रहेगा.
सुरक्षित रहने के टिप्स
1. ड्यू डिलिजेंस: कंपनी की वित्तीय स्थिति और प्रबंधन को अच्छी तरह पढ़ें.
2. बजट बनाएं: ग्रे मार्केट में जितना भी पैसा लगाना है, उसे पहले तय कर लें, ताकि बाद में पछतावा न हो.
3. स्टॉप‑लॉस सेट करें: अगर प्रीमियम अचानक गिरता है तो नुकसान को सीमित करने के लिए स्टॉप‑लॉस का प्रयोग करें.
4. विकल्प देखें: यदि किसी शेयर की ग्रे मार्केट प्रीमियम बहुत हाई है, तो वैकल्पिक कंपनी या समान सेक्टर में कम कीमत वाले विकल्प देखें.
ग्रे मार्केट प्रीमियम को समझना आसान नहीं, लेकिन ऊपर दिए गए बुनियादी बातों से आप बेहतर निर्णय ले सकते हैं. याद रखें – कोई भी निवेश करने से पहले खुद की रिसर्च जरूरी है. अगर आपको अभी भी शंका है तो वित्तीय सलाहकार से मदद लें.
आशा करता हूँ अब आप ग्रे मार्केट प्रीमियम को सही ढंग से पढ़ पाएँगे और अपने पैसे का बेहतर उपयोग कर सकेंगे.
सुरक्षा डायग्नोस्टिक लिमिटेड का प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) 29 नवंबर से 3 दिसंबर 2024 तक खुला रहेगा। इस आईपीओ के माध्यम से कंपनी 846.25 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है, जिसके तहत प्रमोटरों और अन्य विक्रय शेयरधारकों के 1.92 करोड़ शेयर बिकेंगे। आईपीओ का प्राइस बैंड 420 से 441 रुपये प्रति शेयर रखा गया है। ग्रे मार्केट प्रीमियम शून्य पर है। विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनी का अच्छा जाल विस्तारित व्यापार में सहायक हो सकता है।