ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने बीजेपी के 'कंट्रोल' दावे पर दिया जवाब
ओडिशा में राजनीतिक हलचल
ओडिशा में राजनीतिक गलियारों में हलचल तब बढ़ गई जब असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया जिसमें बीजद नेता वीके पांडियन ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के हाथों को नियंत्रित करते नजर आ रहे थे। इस वीडियो के माध्यम से सरमा ने दावा किया कि पटनायक पर पांडियन का गहरा प्रभाव है और यह ओडिशा के भविष्य के लिए चिंता का विषय है।
वीडियो के वायरल होते ही राजनीतिक रंग लेना शुरू कर दिया और इसके प्रतिध्वनि ओडिशा के स्थानीय और राष्ट्रीय मंचों पर सुनाई देने लगी। बीजेपी ने इस वीडियो को आधार बनाकर पटनायक पर तीखे हमले किए और कहा कि यह दिखाता है कि राज्य में पटनायक के नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं।
नवीन पटनायक की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने इसे बीजेपी की “गैर-मुद्दों को मुद्दा बनाने” की नीति बताते हुए कहा कि ऐसे वीडियो के माध्यम से लोगों का ध्यान असली मुद्दों से हटाने की कोशिश हो रही है। पटनायक ने कहा, “यह बीजेपी का स्वयं द्वारा उत्पन्न विवाद है जिसका कोई ठोस आधार नहीं है। राज्य की जनता हमारे कार्यों को देखकर हमें समर्थन दे रही है और यह आरोप केवल चुनावी हताशा दर्शाते हैं।”
वीके पांडियन ने भी इस विषय पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि वह केवल मुख्यमंत्री के एक कर्मठ अधिकारी हैं और बीजेपी के यह आरोप उनकी अपनी कमजोरी को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि इन आरोपों से बीजद को ही लाभ होगा और जनता को उनके गुमराह करने की कोशिशें असफल होंगी।
चुनावी माहौल
यह विवाद ऐसे समय में उभरा है जब ओडिशा में विधानसभा और लोकसभा चुनाव समवर्ती रूप से चल रहे हैं। ये चुनाव चार चरणों में 13 मई से 1 जून तक होने वाले हैं और मतगणना 4 जून को निर्धारित की गई है। ऐसे समय में इस प्रकार की राजनीति घटनाएं जनता के निर्णय पर कितना असर डालेंगी, यह तो समय ही बताएगा।
चुनावी माहौल में राजनीतिक पार्टियों के बीच ऐसे आरोप-प्रत्यारोप सामान्य होते हैं, लेकिन इस विवाद ने निश्चित रूप से ओडिशा की सियासत में एक नई आग लाने का काम किया है। जनता को यह समझना होगा कि उनके वोट का महत्व क्या है और उन्हें सत्ता में किसे लाना चाहिए।
बीजद और बीजेपी की कवायद
बीजेपी और बीजद के बीच ऐसे आरोप-प्रत्यारोपों का इतिहास रहा है। प्रत्येक चुनाव के समय दोनों पार्टियों में इस प्रकार की बयानबाजी तेज हो जाती है। बीजद के लंबे समय तक सत्ता में रहे नवीन पटनायक के खिलाफ कोई भी आरोप लगाने का मौका बीजेपी नहीं छोड़ती है।
बीजद ने अपने शासन काल में अनेक योजनाओं और विकास कार्यों को लागू किया है, जिससे जनता का एक बड़ा वर्ग अब भी पटनायक के समर्थन में दिखाई देता है। दूसरी ओर बीजेपी का दावा है कि राज्य में जिस प्रकार से विकास कार्य होने चाहिए थे, वे नहीं हुए हैं और यह केवल पांडियन जैसे लोगों की मनमानी के कारण है।
जनता का मत
इस बड़े और महत्वपूर्ण चुनावी वर्ष में जनता का मत ही सबसे प्रभावी होगा। जहां एक ओर बीजद अपने विकास कार्यों को और पटनायक के नेतृत्व को दर्शा रही है, वहीं दूसरी ओर बीजेपी मुद्दों को उजागर कर रही है जो वह मानती है कि राज्य में समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव के इस दौर में ऐसे आरोप-प्रत्यारोप जनता के विचारों को प्रभावित कर सकते हैं। लेकिन अंततः यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जनता अपने मतदान के माध्यम से किसे समर्थन देती है।
ओडिशा की राजनीति में नवीन पटनायक का एक लंबा इतिहास है और उन्हें लगातार जनसमर्थन मिलता रहा है। लेकिन इस बार के परिणामों को लेकर दोनों पार्टियों में जो उत्सुकता है, वह इस बात का प्रमाण है कि इस बार का चुनाव हर मायने में महत्वपूर्ण है।
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