कोओ ने विफल अधिग्रहण वार्ताओं के बाद बंद किया सेवा, भारतीय सोशल मीडिया का नया अध्याय

कोओ ने विफल अधिग्रहण वार्ताओं के बाद बंद किया सेवा, भारतीय सोशल मीडिया का नया अध्याय

कोओ बंद होने के फैसले का ऐलान

माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफार्म कोओ ने अपनी सेवा बंद करने का ऐलान किया है। कंपनी के सह-संस्थापक मयंक बिडावतका ने 3 जुलाई, 2024 को एक लिंक्डइन पोस्ट के माध्यम से इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कोओ ने कई बड़ी इंटरनेट कंपनियों, कॉनग्लोमेरेट्स और मीडिया हाउसों के साथ साझेदारी की संभावनाएं तलाशी थीं, लेकिन ये वार्ताएं सफल नहीं हो सकीं।

भारतीय सोशल मीडिया मंच की यात्रा

भारतीय सोशल मीडिया मंच की यात्रा

कोओ, जिसे 2020 में लॉन्च किया गया था, को भारतीय उपयोगकर्ताओं द्वारा ट्विटर के विकल्प के रूप में देखा गया था। इसके पास 2.1 मिलियन दैनिक सक्रिय उपयोगकर्ता, 10 मिलियन मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता और 9000 से अधिक VIP उपयोगकर्ता थे जिनमें प्रमुख हस्तियां शामिल थीं। कोओ ने अपने उपयोगकर्ताओं को स्थानीय भाषाओं में संवाद करने का एक मंच प्रदान करने का प्रयास किया था।

अधिग्रहण वार्ताओं में रुकावटें

कोओ के सामने सबसे बड़ी चुनौती अधिग्रहण वार्ताओं की विफलता रही। मयंक ने बताया कि ज्यादातर कंपनियां उपयोगकर्ता-जनित सामग्री और सोशल मीडिया कंपनी की अनिश्चितता से निपटना नहीं चाहती थीं। इससे पहले, डेलीहंट के साथ एक शेयर-स्वैप समझौते के तहत अधिग्रहण की वार्ता हो रही थी, लेकिन वह भी सफल नहीं हो सकी।

फंडिंग विंटर और बाजार की मूड

बिडावतका ने इसके पीछे फंडिंग विंटर और बाजार के मूड को जिम्मेदार ठहराया। फंडिंग विंटर का मतलब है कि निवेशकों का रुचि कम होना और बाजार में निवेश की मात्रा घट जाना। इस कारण कंपनियां नए अधिग्रहणों में कम रुचि दिखा रही थीं। इसके अलावा, कुछ कंपनियों ने साइन करने के करीब आते ही प्राथमिकताएं बदल लीं।

कोओ की विरासत और आयाम

कोओ की विरासत और आयाम

हालांकि कोओ बंद हो रहा है, इसके सह-संस्थापक ने इशारा किया कि कंपनी के पास जो भी संपत्तियाँ हैं, वे उन्हें उन लोगों के साथ साझा करना चाहती हैं जो भारत के सोशल मीडिया की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। वे इसे एक डिजिटल सार्वजनिक वस्तु बनाने पर भी विचार कर रहे हैं ताकि दुनिया भर में स्थानीय भाषाओं में सामाजिक संवाद को प्रोत्साहित किया जा सके।

कोओ की यात्रा, भले ही छोटी रही हो, लेकिन उसने यह साबित किया कि भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफार्म भी बड़े खिलाड़ियों के मुकाबले में खड़े हो सकते हैं। यह दिखाता है कि स्थानीय भाषाओं में संवाद का महत्व कितना अधिक है और कैसे इसका प्रभाव उपयोगकर्ताओं पर पड़ता है।

समाप्ति और आगे की राह

समाप्ति और आगे की राह

अंततः, कोओ का बंद होना एक नई शुरआत का संकेत है। यह भारतीय तकनीक उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है कि कैसे संयोजन, सामरिक साझेदारी और बाजार के रुझानों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ा जा सकता है। उम्मीद है कि इस अनुबंध के बाद भी भारतीय प्लेटफार्म अन्य अवसरों की तलाश में आगे बढ़ते रहेंगे और नई ऊंचाइयों को छूएंगे।

संभावित भविष्य की परियोजनाएं

भविष्य में, कोओ की सोच के अनुसार, वे अपनी तकनीक और अन्य संसाधनों को डिजिटल सार्वजनिक वस्तु के रूप में उपयोग करने की योजना बना रहे हैं। इसका उद्देश्य है कि भारत के लोगों को और अन्य देशों के लोगों को भी स्थानीय भाषाओं में संवाद करने का मौका मिले और वे अपने विचारों को स्वतंत्र रूप से साझा कर सकें। यह कदम बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह डिजिटल संवाद को एक नए आयाम तक ले जा सकता है।

कोओ का सफर भले ही समाप्त हो रहा हो, लेकिन इसने तेजी से बदलते तकनीकी परिदृश्य में अपना स्थान बनाया है। जिसने भारत में सोशल मीडिया के उपयोग को एक नया मोड़ दिया। यह एक प्रेरणादायक कहानी है कि कैसे भारतीय स्टार्टअप वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सकते हैं।

द्वारा लिखित Pari sebt

मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूँ और मुझे भारत में दैनिक समाचार संबंधित विषयों पर लिखना पसंद है।

Sree A

कोओ का फेल होना एक सिस्टमिक फेलियर था। यूजर-जेनरेटेड कंटेंट के मॉडरेशन में ओवरलैपिंग गवर्नेंस लेयर्स ने स्केल करने की क्षमता को कतरा दिया। फंडिंग विंटर में जब सब ऑप्टिमाइज कर रहे थे, कोओ ने एंगेजमेंट डेंसिटी पर फोकस किया, जो एक टेक-डिफेंडेड अप्रोच थी। लेकिन इंवेस्टर्स ने लॉन्ग-टर्म वैल्यू के बजाय CAC और LTV को प्राथमिकता दी।

DEVANSH PRATAP SINGH

बहुत अच्छा लगा कि उन्होंने स्थानीय भाषाओं को इतना फोकस दिया। मैंने हिंदी, तमिल और बांग्ला में बात करने के लिए कोओ का इस्तेमाल किया था। ट्विटर पर तो अंग्रेजी में ही सब कुछ चलता है। अगर ये खुला सोर्स हो जाए, तो मैं एक छोटा सा डिस्कॉर्ड सर्वर बनाने वाला हूँ जहाँ लोग अपनी भाषा में बात कर सकें।

SUNIL PATEL

ये सब बकवास है। भारत में कोई भी स्टार्टअप ट्विटर के साथ कॉम्पिट करने की कोशिश नहीं कर सकता। ये लोग अपने आप को नेशनल हीरो समझते हैं, लेकिन उनके पास न तो टेक्नोलॉजी है और न ही ऑपरेशनल एक्सपर्टाइज। फंडिंग विंटर का बहाना बनाकर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। असली कारण? उनकी लीडरशिप फेल हो गई।

Avdhoot Penkar

अरे भाई ये तो बहुत बढ़िया हो गया 😭 अब क्या होगा? मैं तो कोओ पर ही अपनी मम्मी को बताता था कि मैंने क्या खाया 😅

Akshay Patel

भारतीय स्टार्टअप्स को विदेशी टेक कंपनियों के साथ टक्कर देने की हिम्मत नहीं है। ये सब फेल हो रहे हैं क्योंकि वो अपने आप को देशभक्त समझते हैं, लेकिन देश के लिए कुछ नहीं करते। अगर ये लोग अपनी चीजें भारतीय बनाते, तो इतना बोझ नहीं पड़ता। ये सब बाहरी टेक की नकल कर रहे हैं।

Raveena Elizabeth Ravindran

कोओ बंद हो गया? ओह तो अब मैं ट्विटर पर वापस जाऊंगी... लेकिन उनका इंटरफेस तो बहुत बुरा था 😴 और लोगों के पोस्ट्स में गलत बातें थीं। मैंने तो बस एक बार डाउनलोड किया था।

Krishnan Kannan

कोओ की यात्रा सिर्फ एक फेलियर नहीं, बल्कि एक टेस्ट केस है कि भारत में स्थानीय भाषा-फर्स्ट प्लेटफॉर्म कैसे काम कर सकते हैं। उन्होंने डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को एक नए तरीके से सोचा। अगर ये संपत्तियाँ ओपन सोर्स हो जातीं, तो ये भारत के लिए एक डिजिटल नेशनल रिसोर्स बन सकती हैं। इसके लिए एक टेक-नॉन-प्रॉफिट ट्रस्ट बनाया जा सकता है, जहाँ डेवलपर्स, लिंगविस्ट्स और एजुकेटर्स मिलकर काम करें। ये असली इनोवेशन है।