गणपति विसर्जन कब, कैसे और क्यों?

गणेश चतुर्थी के बाद सबसे बड़े सवाल में से एक होता है – गणपति विसर्जन कब करना चाहिए? बहुत लोग सिर्फ तिथि देख लेते हैं, पर सही समय और रिवाज जानने से पूजा का असर दो गुना हो जाता है। यहाँ हम आसान शब्दों में बता रहे हैं कि इस खास दिन को कैसे मनाना है और क्यों यह जरूरी है।

गणपति विसर्जन की तिथि और समय

आमतौर पर गणेश चतुर्थी के दसवें दिन, यानी अष्टमी के बाद के दोपहर में या शाम को विसर्जन किया जाता है। पंचांग में इसे "विसर्जन अष्टमी" कहा जाता है। अगर आप शाकाहारी हैं तो सुबह 8 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक का समय सबसे शुभ माना जाता है; जबकि माँग्य लोग दोपहर के बाद या सूर्यास्त से पहले विसर्जन पसंद करते हैं।

सटीक तिथि जानने के लिए अपने स्थानीय पंचांग या भरोसेमंद ऐप देख लें, क्योंकि हर साल ग्रेगोरियन कैलेंडर में थोड़ा बदलाव रहता है। लेकिन याद रखें – जो भी समय आप चुनें, वह साफ‑सुथरा और शान्त स्थान होना चाहिए ताकि भगवान का अन्नविचार सही रहे।

विसर्जन के सही रीति-रिवाज

पहले पूजा स्थल को पूरी तरह से साफ करें – मिट्टी या धूप की गंध वाले बर्तन नहीं, बल्कि स्वच्छ कपड़े और फूल रखें। फिर भगवान को स्नान कराएँ: दूध, दही, शहद और पनीर का मिश्रण सबसे उत्तम है। इससे भगवान के स्वरूप में चमक आती है और प्रसाद भी स्वादिष्ट बनता है।

अगले कदम में लड्डू, मोतीचूर या चॉकलेट जैसा मीठा अर्पित करें। इसे हाथ से बना हुआ होना चाहिए, क्योंकि घर की ऊर्जा को बढ़ावा मिलता है। फिर एक छोटी सी कथा सुनाएँ – गणेश की कहानी या आपके परिवार की कोई यादगार घटना। यह भावनात्मक जुड़ाव पूजा को और गहरा बनाता है।

विसर्जन के समय मंत्र "ॐ गं गणपतये नमः" तीन बार ज़ोर से पढ़ें, फिर पानी में भगवान को डुबोएँ। अगर आपके पास नदी या तालाब नहीं है, तो बड़े बर्तन में साफ़ पानी रखें और धीरे‑धीरे गिराते हुए कहें – "विसर्जन शुभ हो"।

ध्यान रहे कि विसर्जन के बाद घर का दरवाजा बंद न करें; इसे खुला छोड़ दें ताकि भगवान की ऊर्जा बाहर निकल सके। साथ ही, विसर्जित पानी को खेत या बगीचे में डाल देना फायदेमंद रहता है – कहा जाता है यह धरती को भी फल-फूल देता है।

इन सरल कदमों से आप न केवल पूजा पूरी कर रहे हैं, बल्कि परिवार के बीच सकारात्मक माहौल भी बना रहे हैं। अगली बार जब गणेश चतुर्थी आए, तो विसर्जन की तैयारी में ये टिप्स ज़रूर इस्तेमाल करें और देखिए कैसे आपका मन और घर दोनों ही खुशियों से भर जाता है।

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