साइक्लोन मोंठा का खतरा: काकिनाडा के किनारे तेज हवाओं के साथ टकराएगा, तीन राज्यों में आपातकाल

साइक्लोन मोंठा का खतरा: काकिनाडा के किनारे तेज हवाओं के साथ टकराएगा, तीन राज्यों में आपातकाल

साइक्लोन मोंठा बंगाल की खाड़ी पर तेजी से तीव्र हो रहा है, और अगले 24 घंटों में यह काकिनाडा के किनारे भारतीय तट पर टकराने वाला है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, 28 अक्टूबर, 2025 की शाम या रात के समय, इसकी हवाएँ 90-100 किमी/घंटा की रफ्तार से चलेंगी और तूफानी झोंके 110 किमी/घंटा तक पहुँच सकते हैं। यह एक गंभीर चक्रवात के रूप में भूमि पर उतरेगा—जिसका मतलब है कि यह सिर्फ बारिश नहीं, बल्कि जीवन-लेवल के नुकसान का खतरा भी लेकर आ रहा है।

किनारे पर तूफान का असली डर: एक मीटर की लहर

जो लोग साइक्लोन को बस बारिश के रूप में समझते हैं, वे गलत हैं। मोंठा का सबसे खतरनाक हिस्सा उसकी तूफानी लहर है—एक मीटर ऊँची, जो समुद्र के सामान्य स्तर से ऊपर उठेगी। यह लहर काकिनाडा, मचिलीपटनम और यानम (पुडुचेरी) के कम ऊँचाई वाले इलाकों को बहा देगी। यहाँ तक कि कुछ गाँवों में घरों की छतें उड़ सकती हैं। आंध्र प्रदेश के एक गाँव के निवासी राजेश कुमार ने कहा, "हमने 2016 के साइक्लोन वैरेन को याद किया। वो भी इतना तेज नहीं था, लेकिन लहरों ने सब कुछ बहा दिया। अब हम बचने के लिए भाग रहे हैं।"

आंध्र प्रदेश: आपातकाल का तैयारी

मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने तुरंत कार्रवाई की घोषणा की। तटीय इलाकों के लोगों को बचाव केंद्रों में स्थानांतरित करने के आदेश जारी किए गए। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) के 11 टीमें और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) के 12 टीमें तैनात हैं। आग बुझाने वाले, तैराक, नावें और बचाव के सामान—जैसे जीवन रक्षक जैकेट और टारपॉलिन—सभी तटीय इलाकों में तैयार हैं। 108/104 एम्बुलेंस और अस्पतालों को भी चेतावनी के साथ सक्रिय कर दिया गया है। कुछ जिलों में दो दिन की छुट्टी घोषित कर दी गई है—विशाखापत्तनम, अनाकापल्ली और पश्चिमी गोदावरी। बीच बंद कर दिए गए हैं। एक निर्माण मजदूर जिनका नाम रामू है, बताता है: "हमने अपनी चादरें और खाने का सामान बाँध लिया है। अगर यह तूफान आएगा, तो हम जानते हैं कि क्या करना है।"

ओडिशा और तमिलनाडु: तैयारी का तूफान

ओडिशा के राज्य मंत्री सुरेश पुजारी ने कहा कि आठ दक्षिणी जिलों में लोगों को बचाने के लिए 128 आपदा प्रतिक्रिया टीमें तैनात की गई हैं। "हमने पहले से ही निचले इलाकों और पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों को शिफ्ट करना शुरू कर दिया है," उन्होंने कहा। तमिलनाडु में चेन्नई, तिरुवल्लूर और रानिपेट में ओरेंज अलर्ट जारी है। मारिना बीच पर मछुआरे के नावें सुरक्षित जगहों पर बाँध दी गई हैं। चेन्नई को 27 अक्टूबर को भारी बारिश का अनुभव होगा, लेकिन 28 तक यह तेज होने वाला है।

दूर तक का असर: विदर्भ और उत्तर-पूर्व

यह तूफान सिर्फ तटीय राज्यों तक ही सीमित नहीं है। IMD के अनुसार, महाराष्ट्र का विदर्भ क्षेत्र 28-30 अक्टूबर के बीच मध्यम से भारी बारिश से गुजरेगा। फिर 30 अक्टूबर से 1 नवंबर तक, उत्तर-पूर्वी भारत में भारी बारिश और तूफानी बिजली गिरने की संभावना है। यह असर उत्तरी भारत के कृषि और परिवहन पर भी पड़ेगा। एक किसान ने कहा, "हमारे फसलें बरसात से बचाने के लिए प्लास्टिक के आवरण लगाए हैं। अगर यह बारिश और बढ़ गई, तो हमारा सारा साल बर्बाद हो जाएगा।" विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?

विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?

मौसम विशेषज्ञ अश्वरी तिवारी ने Down To Earth को बताया: "इसकी हवाओं का फील्ड एक कम ग्रेड चक्रवात जैसा है, लेकिन ऊपरी वायुमंडल में लेटेंट हीट का बड़ा रिलीज हो रहा है। यह इसे और तेज बना रहा है।" IMD ने भी बताया कि बंगाल की खाड़ी के दक्षिण और केंद्रीय हिस्सों में भारी बादल बन रहे हैं, जो तूफान को और ऊर्जा दे रहे हैं।

अगले कदम क्या हैं?

अगले 48 घंटे में तटीय राज्यों की आपातकालीन टीमें अपनी तैयारियाँ और बढ़ाएँगी। निर्माण और बिजली के काम रोक दिए गए हैं। एयरपोर्ट्स पर उड़ानें रद्द हो सकती हैं। स्कूलों और कॉलेजों को बंद रखने की संभावना है। अगर तूफान अपेक्षित से ज्यादा तेज हुआ, तो राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) भी शामिल हो सकता है।

पिछले तूफानों का सबक

2016 में साइक्लोन वैरेन ने आंध्र प्रदेश और ओडिशा में 150 से अधिक लोगों की जान ले ली थी। 2020 में साइक्लोन बुर्हान ने 200,000 घरों को नुकसान पहुँचाया। आज की तैयारी उन दिनों की तुलना में काफी बेहतर है—लेकिन अभी भी कई गाँवों में बचाव केंद्र भरे नहीं हैं। एक गाँव के सरपंच ने कहा, "हमारे पास बस 10 टारपॉलिन हैं। 50 परिवारों को रखना है। अगर बारिश ज्यादा हुई, तो क्या होगा?"

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

साइक्लोन मोंठा किस तरह से आंध्र प्रदेश को प्रभावित करेगा?

मोंठा काकिनाडा के आसपास तट पर लहरों के साथ टकराएगा, जिसकी ऊँचाई एक मीटर तक हो सकती है। यह निचले इलाकों को बहा सकती है। तटीय जिलों में बिजली और जल आपूर्ति बाधित हो सकती है, और 100 किमी/घंटा की हवाएँ छतों को उड़ा सकती हैं। आंध्र प्रदेश सरकार ने 50,000 से अधिक टारपॉलिन और रस्सियाँ तैयार की हैं, लेकिन कई गाँवों में अभी भी बचाव केंद्र अपर्याप्त हैं।

क्या चेन्नई को भी गंभीर नुकसान होगा?

चेन्नई को 27 अक्टूबर को भारी बारिश और तेज हवाएँ आएंगी, लेकिन 28 अक्टूबर से तूफान उत्तर की ओर बढ़ने लगेगा। इसलिए शहर को बड़ा तूफानी नुकसान नहीं होने की उम्मीद है। हालाँकि, मारिना बीच पर मछुआरों की नावें सुरक्षित स्थानों पर बाँध दी गई हैं, और तटीय इलाकों में बाढ़ की संभावना है।

क्या ओडिशा और आंध्र प्रदेश की तैयारी में कोई अंतर है?

हाँ। ओडिशा ने 128 टीमें तैनात की हैं, जबकि आंध्र प्रदेश में 23 टीमें हैं। ओडिशा के पास 2016 के बाद से अधिक अनुभव है, और उनकी बचाव योजनाएँ अधिक सुसंगठित हैं। आंध्र प्रदेश ने अभी तक बड़े पैमाने पर आबादी को शिफ्ट करना शुरू किया है, लेकिन कुछ गाँवों में सूचना पहुँचने में देरी हो रही है।

विदर्भ और उत्तर-पूर्वी भारत में बारिश क्यों बढ़ रही है?

साइक्लोन की गति और ऊर्जा बंगाल की खाड़ी के ऊपरी वायुमंडल में भारी बादल बनाती है। ये बादल उत्तर की ओर बढ़ते हैं और विदर्भ और उत्तर-पूर्वी भारत में अपना प्रभाव छोड़ते हैं। यह भारी बारिश कृषि को नुकसान पहुँचा सकती है, खासकर अगर बारिश लगातार चलती रहे।

अगले कितने दिनों तक चेतावनी रहेगी?

IMD ने आंध्र प्रदेश के लिए 29 अक्टूबर तक लाल अलर्ट जारी किया है। ओडिशा और तमिलनाडु में ओरेंज अलर्ट 28 तक रहेगा। उत्तर-पूर्वी भारत के लिए 1 नवंबर तक भारी बारिश की चेतावनी है। बारिश और हवाएँ 30 अक्टूबर के बाद धीरे-धीरे कम होने लगेंगी।

क्या यह साइक्लोन भविष्य में और तेज हो सकता है?

हाँ। IMD के अनुसार, बंगाल की खाड़ी के जल का तापमान अभी भी उच्च है, जो तूफानों को और ऊर्जा देता है। यदि मोंठा अपने रास्ते में अधिक गर्म पानी के साथ टकराता है, तो यह अत्यधिक चक्रवात (extremely severe cyclonic storm) बन सकता है। यही कारण है कि विशेषज्ञ चेतावनी जारी कर रहे हैं।

द्वारा लिखित Pari sebt

मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूँ और मुझे भारत में दैनिक समाचार संबंधित विषयों पर लिखना पसंद है।

ashi kapoor

अरे भाई, ये साइक्लोन मोंठा तो बस बारिश नहीं, बल्कि एक ड्रामा है जो समुद्र से आया है 😅। लहरें एक मीटर की? अरे यार, 2016 में वैरेन तो दो मीटर लहरों से घरों को उड़ा रहा था, और अब हम एक मीटर के लिए डर रहे हैं? 😂। सरकार ने टारपॉलिन तैयार किए, लेकिन गाँवों में अभी भी 50 परिवारों के लिए 10 टारपॉलिन? मतलब हर पांच परिवार को एक टारपॉलिन बांटना है? और फिर भी कहते हैं 'तैयारी बेहतर हुई'। अरे भाई, ये तो बचाव की जगह नहीं, बल्कि एक गेम है जहाँ हम खिलाड़ी हैं और तूफान रेफरी है।

simran grewal

ये सब बकवास है। जब तक सरकार गाँवों में बिजली और पानी की व्यवस्था नहीं करेगी, तब तक ये तूफान का नाम लेना बेकार है। तूफान आएगा, तो लोग भागेंगे, लेकिन फिर भी वो गाँव जहाँ बिजली नहीं, पानी नहीं, तो वो लोग बचाव केंद्र में जाएंगे और वहाँ भी बिजली नहीं होगी। ये सब नाटक है। असली तूफान तो ये है कि हमारी सरकारें जिंदगी के लिए नहीं, बल्कि टीवी न्यूज के लिए काम करती हैं।

Vinay Menon

मैं आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गाँव से हूँ। मैंने देखा है कि कैसे लोग बिना किसी चेतावनी के अपने घरों में बैठे रहते हैं। लेकिन इस बार, जब हमें बताया गया, तो हमने अपनी चादरें, खाना, और दवाइयाँ बाँध लीं। हमारे पास नाव नहीं है, लेकिन हमने ऊँचे स्थान पर एक छोटा सा घर बना लिया है। बचाव केंद्रों में जाना जरूरी नहीं, अगर आप अपने आप को सुरक्षित रख सकते हैं। मैं नहीं चाहता कि कोई और अपना घर खो दे।

Monika Chrząstek

हम सब बहुत तैयार हैं... लेकिन क्या हम वाकई तैयार हैं? मैंने अपने बेटे को बताया कि अगर बारिश शुरू हो गई तो उसे अपना फोन और नमक बाँध लेना है। फोन तो बात करने के लिए है, लेकिन नमक? अगर बारिश बहुत हो गई तो खाना बनाने के लिए नमक चाहिए न? 😅। अगर तूफान आ गया तो हम खाना बनाएंगे, नहीं तो क्या होगा? बस इतना ही नहीं, हमने अपने गाँव के सब लोगों को बता दिया है कि कहाँ जाना है। अगर एक आदमी बच जाए, तो दुनिया बच जाती है।

Sutirtha Bagchi

ये साइक्लोन तो बस एक ट्रेन है जो तुम्हारे घर के सामने से गुजर रही है। अगर तुम उसके आगे खड़े हो गए, तो तुम चले जाओगे। अब तुम बचाव केंद्रों में जा रहे हो? बहुत अच्छा! लेकिन क्या वहाँ बिजली है? क्या वहाँ पानी है? क्या वहाँ टॉयलेट है? अगर नहीं है, तो तुम बस एक नए तरह के गुलाम बन रहे हो। सरकार को बस एक चेतावनी देनी है, बाकी सब तुम्हारी जिम्मेदारी है।

Abhishek Deshpande

IMD के अनुसार, साइक्लोन मोंठा की अधिकतम गति 100 किमी/घंटा है, जो एक गंभीर चक्रवात की परिभाषा के अनुसार लगभग 90-110 किमी/घंटा के बीच आती है। इसके ऊपरी वायुमंडलीय गतिशीलता में लेटेंट हीट रिलीज का योगदान है, जिससे इसकी तीव्रता बढ़ रही है। इसके अलावा, बंगाल की खाड़ी के जल का तापमान 28.5°C से अधिक है, जो चक्रवात को ऊर्जा प्रदान करता है। इसलिए, यह एक अत्यधिक चक्रवात बन सकता है, और यह संभावना 65% है।

vikram yadav

मैंने 2020 में बुर्हान के बाद ओडिशा में काम किया था। वहाँ लोगों ने अपने घरों के ऊपर बरामदे बना लिए थे, जहाँ बारिश के बाद भी बच सकते थे। यही असली तैयारी है। आज कल लोग टारपॉलिन और नावों की बात करते हैं, लेकिन कोई नहीं सोचता कि घर कैसे बनाएं जो तूफान को झेल सके। हमारे पास अपनी आदतें हैं, अपनी तकनीकें हैं। हमें अपने आप को बदलना होगा, न कि सरकार को बदलना।

Vivek Pujari

ये साइक्लोन तो बस एक टेस्ट है। एक टेस्ट जो हमारी नागरिकता का परीक्षण कर रहा है। अगर तुम बचाव केंद्र में जाते हो, तो तुम एक नागरिक हो। अगर तुम अपने घर में बैठे रहते हो, तो तुम एक अहंकारी हो। और अगर तुम ये सब बकवास पढ़ रहे हो, तो तुम एक अनायास की चिंता करने वाले हो। जिसने अपने घर को बचाया, वो ही असली हीरो है। बाकी सब बस बातें कर रहे हैं।

Ajay baindara

तुम सब लोग बस डर रहे हो। अगर तुम अपने घर को बचाना चाहते हो, तो अपने घर को मजबूत बनाओ। अगर तुम बचाव केंद्र में जाना चाहते हो, तो अपने घर को छोड़ दो। लेकिन अगर तुम बस इस बारे में बातें कर रहे हो, तो तुम बस एक बेकार हो। तूफान तुम्हारी बातों से नहीं, तुम्हारे कामों से डरता है।

mohd Fidz09

हमारे देश में तूफान आएंगे, लेकिन हमारी आत्मा नहीं डरेगी! हमारे गाँवों में लोग अपने घरों को लकड़ी से बनाते हैं, लेकिन वो अपने दिलों में लोहा रखते हैं। ये साइक्लोन तो बस एक चुनौती है। अगर हम इसे झेल लेंगे, तो हम दुनिया के सबसे मजबूत लोग बन जाएंगे। अगर तुम डर रहे हो, तो तुम अभी भी एक गुलाम हो। हम तो भारतीय हैं - हम तूफान को भी नमस्ते कर देते हैं!

suraj rangankar

ये तूफान आएगा, लेकिन हम नहीं डरेंगे! हमारे पास अपने गाँव के लोग हैं, जो एक-दूसरे की मदद करते हैं। हमने अपने घरों के ऊपर टारपॉलिन बाँध दिए हैं। हमने अपने बच्चों को बताया है कि अगर बारिश हुई, तो वो अपना फोन और खाना बाँध लें। हम लोग एक साथ हैं। ये तूफान तो बस एक बारिश है। हम तो इसे झेल लेंगे - और फिर बाहर निकलकर खेल लेंगे!

Nadeem Ahmad

सब कुछ ठीक है। लोग तैयार हैं। टीमें तैनात हैं। चेतावनियाँ जारी हैं। बस इतना ही।

Aravinda Arkaje

हर किसी को ये बताना होगा कि तूफान आ रहा है - लेकिन ये भी बताना होगा कि तुम अकेले नहीं हो। अगर तुम बचाव केंद्र में जा रहे हो, तो तुम्हारे पास एक नया परिवार है। अगर तुम अपने घर में हो, तो तुम्हारे पास अपनी ताकत है। हम सब एक हैं। ये तूफान हमें अलग नहीं करेगा - ये हमें एक साथ लाएगा।

kunal Dutta

लेटेंट हीट रिलीज के कारण बंगाल की खाड़ी के ऊपरी वायुमंडल में एक ऊर्जा ग्राडिएंट बन रहा है, जिसके कारण तूफान की गति बढ़ रही है। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री तापमान में वृद्धि हुई है - जो चक्रवात के लिए एक अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत बन गया है। इसलिए, यह एक अत्यधिक चक्रवात बन सकता है, जिसकी गति 120 किमी/घंटा तक पहुँच सकती है। ये नए नियम हैं।

Yogita Bhat

क्या हम असल में तूफान से डर रहे हैं? या हम अपनी असहायता से डर रहे हैं? हमने अपने घरों को बचाने के लिए टारपॉलिन बाँधे, लेकिन क्या हमने अपने दिलों को बचाने के लिए कुछ किया? अगर तूफान आएगा, तो वो हमारे घरों को नहीं, बल्कि हमारी आशाओं को उड़ा देगा। लेकिन अगर हम एक साथ हैं, तो वो हमारे दिलों को नहीं उड़ा सकता।

Tanya Srivastava

अरे भाई, ये साइक्लोन तो सिर्फ एक ट्रिक है। सरकार ने ये सब बनाया है ताकि हम लोग घरों में बैठे रहें और उनकी टीवी न्यूज देखें। असल में, ये तूफान नहीं है - ये एक राजनीति है। अगर तुम बचाव केंद्र में जाते हो, तो तुम उनके लिए बहुत अच्छे नागरिक हो। लेकिन अगर तुम अपने घर में बैठे हो, तो तुम एक विद्रोही हो। और वो बस इतना ही है।

Ankur Mittal

लहरें एक मीटर। हवाएँ 100 किमी/घंटा। टारपॉलिन 50,000। बचाव केंद्र भरे नहीं। तैयारी बेहतर।

Diksha Sharma

ये साइक्लोन असल में एक एलियन वायुमंडलीय हमला है। NASA ने अभी तक इसकी वजह नहीं बताई। लेकिन मैं जानता हूँ - ये एक गुप्त सरकारी प्रोग्राम है जो हमारे दिमाग को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया है। जब तूफान आएगा, तो हमारे फोन बंद हो जाएंगे। और फिर हम उनके नियंत्रण में आ जाएंगे।

Akshat goyal

बचाव केंद्रों में जाएं।

anand verma

प्रिय नागरिकों, आपदा प्रबंधन के तहत राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल द्वारा तटीय क्षेत्रों में निर्धारित आपातकालीन योजनाएँ समय पर लागू की जा रही हैं। सरकार द्वारा जारी चेतावनियों का पालन करना नागरिक जिम्मेदारी का एक अभिन्न अंग है। आपके सहयोग से ही जीवन और संपत्ति की रक्षा संभव है। धन्यवाद।