हिंदू कुश में 5.9 तीव्रता का भूकंप: अफगानिस्तान फिर संकट में

हिंदू कुश में 5.9 तीव्रता का भूकंप: अफगानिस्तान फिर संकट में

भूकंप की दहशत: हिंदू कुश में धरती हिली

अफगानिस्तान के हिंदू कुश क्षेत्र में 16 अप्रैल, 2025 की सुबह 5.9 तीव्रता का जबरदस्त भूकंप आया। भूकंप का झटका भारतीय समयानुसार 04:43:58 पर महसूस किया गया। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक़, इसका केंद्र समुंदर तल से 75 किलोमीटर गहराई पर था, जबकि यूरोपियन-मेडिटेरेनियन सिस्मोलॉजिकल सेंटर ने इसकी तीव्रता को थोड़ा कम यानी 5.6 और गहराई 121 किलोमीटर बताई है। इस डेटा में थोड़ा फर्क हो सकता है, मगर दोनों रिपोर्टों में भूकंप के झटकों की गंभीरता पर कोई दोराय नहीं है।

इस क्षेत्र में लगातार हलचल रहती है क्योंकि यहां की ज़मीन भारतीय और यूरेशियाई टेक्टॉनिक प्लेटों के टकराने से बनी है। गहरे भूकंप का मतलब है कि सतह पर कम कंपन महसूस हो सकते हैं, लेकिन असर दूर तक जाता है। ईएमएससी के अनुसार, इस भूकंप का केंद्र बाघलान शहर से करीब 164 किलोमीटर पूर्व में था।

अफगानिस्तान: हर झटके के साथ बढ़ती मुश्किलें

अफगानिस्तान: हर झटके के साथ बढ़ती मुश्किलें

इस भूकंप के बाद अभी तक किसी के घायल या मारे जाने की सूचना सामने नहीं आई है। स्थानीय प्रशासन ने इमरजेंसी अलर्ट पर टीमें तैनात कर दी हैं, और हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है।

समस्या ये है कि अफगानिस्तान की गिनती उन मुल्कों में होती है जहां प्राकृतिक आपदा एक और बड़ा सिरदर्द बन जाती है। लंबे समय से जारी संघर्ष, बुनियादी संरचनाओं की कमी, और विकास की धीमी रफ्तार ने इस देश को बेहद नाज़ुक बना दिया है। यूनाइटेड नेशन्स ऑफिस फॉर द कोऑर्डिनेशन ऑफ ह्यूमैनिटेरियन अफेयर्स कई बार चेतावनी दे चुका है कि यहां का कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर किसी भी आपदा को बड़ा संकट बना देता है। प्राकृतिक आपदा और मानवीय संघर्ष एक साथ चलते हैं, जिससे राहत कार्य और मुश्किल हो जाता है।

अफगानिस्तान का नॉर्दर्न बेल्ट, खासकर हिंदू कुश क्षेत्र, दशकों से भूकंपीय रूप से सक्रिय रहा है। यहां अक्सर हल्के या मध्यम दर्जे के झटके महसूस किए जाते हैं, लेकिन कई बार महाविनाशक भूकंप भी आए हैं। घाटियों में बसे गांव, कच्चे-पक्के मकान—इन सबके लिए ऐसे भूकंप मामूली नहीं होते। फरवरी और मार्च में भी मध्य एशिया के कुछ हिस्सों में इसी तरह के झटके आए थे, जिसने चिंता और बढ़ा दी है।

  • अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था कमजोर है, जिससे बचाव और राहत कार्य में बाधाएं आती हैं।
  • जनसंख्या का बड़ा हिस्सा पहाड़ी क्षेत्रों में रहता है, जहां पहुंचना मुश्किल होता है।
  • बीते दशक में भूकंप, बाढ़ और सूखे के मामले लगातार बढ़े हैं।

फिलहाल राहत की बात यही है कि ताजा भूकंप में कोई जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है। लेकिन अफगानिस्तान में हर झटका स्थानीय लोगों के लिए एक नई चिंता और डर का सबब बन जाता है।

द्वारा लिखित सुनन्दा सिंह

मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूँ और मुझे भारत में दैनिक समाचार संबंधित विषयों पर लिखना पसंद है।