प्रियंका चोपड़ा ने महेश बाबू की फैमिली को धन्यवाद दिया, 'वाराणसी' का टीजर रिलीज
15 नवंबर 2025 को हैदराबाद के रामोजी फिल्म सिटी में आयोजित ग्लोब ट्रॉटर इवेंटहैदराबाद में 50,000 से अधिक लोगों की भीड़ ने एक ऐतिहासिक पल देखा — एसएस राजामौली की नई फिल्म वाराणसी का आधिकारिक टीजर। यह फिल्म सिर्फ एक नई रिलीज नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा के तीन बड़े नामों की मिलीभगत है: प्रियंका चोपड़ा जोनस, महेश बाबू, और राजामौली। और ये सब एक ऐसे निर्माण के साथ आ रही है जिसका बजट 1,000 करोड़ रुपये से भी ऊपर है — राजामौली की अब तक की सबसे महंगी फिल्म।
वापसी का जश्न, लेकिन एक अलग तरह से
प्रियंका चोपड़ा जोनस (42) की भारतीय फिल्मों में वापसी 2019 की द स्काई इज पिंक के बाद छह साल बाद हो रही है। लेकिन ये वापसी कोई छोटी सी गैर-प्रमुख भूमिका नहीं। वह मंदाकिनी के किरदार में एक शक्तिशाली, जटिल और भावनात्मक चरित्र निभा रही हैं — जिसके लिए उन्होंने 30 करोड़ रुपये की फीस ली है। ये उन्हें 2025 की सबसे अधिक फीस लेने वाली अभिनेत्री बना देता है। लेकिन इसका सबसे बड़ा मतलब? वह अब सिर्फ बॉलीवुड की स्टार नहीं, बल्कि तेलुगु सिनेमा की एक नई पीढ़ी की हिस्सा बन रही हैं।
इवेंट के दौरान उन्होंने एक ऐसा भावुक भाषण दिया जिसने सबको हैरान कर दिया। 'मैं खुद को बहुत भाग्यशाली मानती हूं कि मैं ऐसे शानदार कलाकारों के साथ काम कर पाई,' उन्होंने कहा। और फिर आया वो पल — जब उन्होंने महेश बाबू की परिवार को धन्यवाद दिया। 'आपकी फैमिली ने मुझे इतना प्यार दिया, जैसा मैंने कभी सोचा भी नहीं था,' उन्होंने कहा। ये बात बहुत कम अभिनेत्रियां कहती हैं। ये एक गहरा सांस्कृतिक संकेत है — जहां स्टार अपने साथी के परिवार को भी सम्मान देते हैं।
महेश बाबू का अनोखा समझौता: बिना फीस, बस लाभ
यहां सबसे अजीब और शानदार बात ये है कि महेश बाबू (49) ने इस फिल्म के लिए कोई फीस नहीं ली। नहीं, वो निःशुल्क नहीं हैं — बल्कि उन्होंने एक लाभ साझा करने का समझौता किया है। यानी उनकी आय पूरी तरह फिल्म के कमाए गए मुनाफे पर निर्भर करेगी। ये एक ऐसा फैसला है जो सिर्फ एक दिग्गज ही कर सकता है। जब आप इतने बड़े स्टार हों, तो फीस लेना सामान्य है। लेकिन महेश बाबू ने कहा — 'मैं इस फिल्म को अपने दिल से बना रहा हूं। अगर ये सफल हुई, तो मेरा नाम भी सफल होगा।'
ये समझौता राजामौली के साथ उनकी पहली साझेदारी है। जिन्होंने बाहुबली और आरआरआर जैसी फिल्मों के जरिए भारतीय सिनेमा को दुनिया भर में ले गए हैं। अब वो एक ऐसे स्टार के साथ काम कर रहे हैं जिन्होंने अपनी कमाई को फिल्म की सफलता से जोड़ दिया है। ये एक नए युग की शुरुआत है — जहां अभिनेता और निर्देशक एक साथ जोखिम लेते हैं।
एक फिल्म, तीन भाषाएं, एक देश
फिल्म वाराणसी का नाम शायद उत्तर भारत के पवित्र शहर से लिया गया है, लेकिन इसकी जड़ें दक्षिण भारत में हैं। इसकी कहानी एक ऐसे परिवार के बारे में है जो अपनी जड़ों से जुड़ने की कोशिश करता है — जहां भाषा, धर्म और संस्कृति एक ही नदी में मिल रही हैं। इस फिल्म का निर्माण राजामौली क्रिएशंस के साथ हो रहा है, जिसका अनुमान है कि ये एक बहुभाषी प्रोजेक्ट होगा।
मलयालम सुपरस्टार पृथ्वीराज सुकुमारन भी इस फिल्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ये तीनों अभिनेता — एक हिंदी, एक तेलुगु, एक मलयालम — एक ही कहानी में आ रहे हैं। ये भारत के सिनेमा की असली ताकत है। जब दक्षिण भारत का सिनेमा उत्तर भारत के स्टार को अपनाता है, तो ये कोई अलग बात नहीं — ये एक राष्ट्रीय अभियान है।
14 जनवरी 2027: संक्रांति का बड़ा जश्न
फिल्म की रिलीज तिथि 14 जनवरी 2027 को निर्धारित है — संक्रांति के दिन। दक्षिण भारत में ये एक ऐसा दिन है जब पूरा राज्य फिल्म देखने के लिए बाहर निकलता है। इस दिन ब्लॉकबस्टर रिलीज होते हैं। और ये फिल्म उसी दिन आ रही है। राजामौली ने इसे एक ऐसा वक्त चुना है जब लोग घरों में बैठे होते हैं, परिवार के साथ जुड़े होते हैं। ये फिल्म उनके लिए एक भावनात्मक अनुभव बनने वाली है।
निक जोनस ने भी फिल्म के पोस्टर देखकर टीम को बधाई दी। इस फिल्म के लिए प्रियंका ने अपने पति को भी शामिल किया है। ये एक अंतरराष्ट्रीय जोड़ी है जो भारतीय सिनेमा के लिए एक नई दिशा बना रही है।
क्यों ये फिल्म बदल सकती है भारतीय सिनेमा का नक्शा?
इस फिल्म का सबसे बड़ा असर वहीं होगा जहां आज भी बॉलीवुड और तेलुगु सिनेमा के बीच एक दीवार है। प्रियंका ने बताया — 'तेलुगु सिनेमा में जुड़ने का सबसे अच्छा और एकमात्र तरीका है कि इसे दिग्गजों के साथ किया जाए।' ये बात बहुत गहरी है। उन्होंने न केवल एक फिल्म की शुरुआत की, बल्कि एक नए मानक की शुरुआत की।
इस फिल्म के बाद अगर और बॉलीवुड स्टार्स दक्षिण भारत के साथ काम करने लगे, तो ये एक भारतीय सिनेमा का नया युग होगा — जहां भाषा अब बाधा नहीं, बल्कि समृद्धि का साधन होगी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रियंका चोपड़ा ने क्यों तेलुगु सिनेमा चुना?
प्रियंका ने स्पष्ट किया कि तेलुगु सिनेमा आज दुनिया के सबसे बड़े सिनेमा उद्योगों में से एक है, जिसकी तकनीकी और कहानी निर्माण की गुणवत्ता बहुत ऊंची है। उन्होंने कहा कि इस उद्योग में दिग्गजों के साथ काम करना ही सीखने का सबसे अच्छा तरीका है। उनकी वापसी सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और कार्यकर्ता चयन है।
महेश बाबू ने फीस नहीं ली — ये कैसे संभव है?
महेश बाबू ने एक लाभ साझा करने का समझौता किया है, जिसका मतलब है कि उनकी आय फिल्म के बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन पर निर्भर करेगी। ये एक ऐसा रिस्क है जो सिर्फ एक दिग्गज ही ले सकता है। उनके पास पहले से ही अरबों रुपये की कमाई है, लेकिन वो चाहते हैं कि ये फिल्म उनके नाम के साथ इतिहास बने।
'वाराणसी' का बजट क्यों इतना ज्यादा है?
इस फिल्म का बजट 1,000 करोड़ रुपये से अधिक है क्योंकि इसमें विश्व स्तरीय विजुअल इफेक्ट्स, 15+ लोकेशन्स, एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय कलाकार टीम और एक बहुभाषी निर्माण प्रक्रिया शामिल है। राजामौली ने इसे एक ग्लोबल प्रोजेक्ट के रूप में डिज़ाइन किया है, जिसका उद्देश्य भारतीय कहानी को वैश्विक दर्शकों तक पहुंचाना है।
इस फिल्म का असर बॉलीवुड पर क्या होगा?
अगर ये फिल्म सफल हुई, तो बॉलीवुड के कई बड़े स्टार्स दक्षिण भारतीय सिनेमा में काम करने के लिए प्रेरित होंगे। ये एक नया मॉडल है — जहां एक्टर्स अपनी भाषा के बारे में नहीं, बल्कि कहानी और निर्देशक के बारे में चिंता करते हैं। ये भारतीय सिनेमा की एकता की ओर एक बड़ा कदम है।
क्या ये फिल्म हिंदी में भी रिलीज होगी?
हां, ये फिल्म हिंदी, तेलुगु, मलयालम और अंग्रेजी में डब की जाएगी। राजामौली क्रिएशंस ने पहले ही बताया है कि ये एक बहुभाषी प्रोजेक्ट है, जिसका लक्ष्य भारत के हर कोने तक पहुंचना है। इसके लिए एक विशेष डबिंग टीम भी बनाई गई है।
राजामौली और महेश बाबू की पहली साझेदारी क्यों इतनी खास है?
राजामौली ने अब तक अपनी सभी बड़ी फिल्मों में अलग-अलग अभिनेता काम किए हैं — जैसे प्रभास, रम्या कृष्णा, रमेश यादव। महेश बाबू उनके लिए एक अलग तरह का चुनाव हैं — एक अकेले अपने जमाने के अधिकारी जिन्होंने अपने करियर को अपनी अदाकारी से बनाया है। ये जोड़ी एक नए युग का संकेत देती है।
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