देवली-उनियारा उपचुनाव में एसडीएम थप्पड़ मामले में नरेश मीणा की गिरफ्तारी
राजस्थान के टोंक जिले में चुनावी हंगामा
राजस्थान के टोंक जिले में देवली-उनियारा उपचुनाव के दौरान हुई एक विवादास्पद घटना ने सभी का ध्यान खींचा है। यह घटना उस समय हुई जब नरेश मीणा, जो कि एक पूर्व कांग्रेसी नेता और वर्तमान में निर्दलीय प्रत्याशी थे, ने समरावता गांव में एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया। घटना के तुरंत बाद गुरुवार, 14 नवंबर, 2024 को मीणा को गिरफ्तार कर लिया गया।
निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मीणा का चुनावी सफर
मीणा, जो पहले कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे, को तब निलंबित कर दिया गया जब उन्होंने कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। यह सब तब शुरू हुआ जब पार्टी ने उन्हें टिकट न देकर किसी और को उम्मीदवार बना दिया। इस कदम ने पार्टी में मतभेद पैदा कर दिए और मीणा ने भारत आदिवासी पार्टी के समर्थन से चुनाव लड़ने का फैसला किया।
विगत वर्षों में, मीणा ने कांग्रेस के खिलाफ कई बार बगावत की है। उनके खिलाफ पहले से ही 23 मामले दर्ज हैं, जिनमें से पांच मामलों में कार्रवाई अभी भी लंबित है। यह घटनाक्रम बताते हैं कि उनके राजनीतिक करियर में उठापटक के कारण उन्हें चुनाव लड़ने की आवश्यकता महसूस हुई।
पूर्व एसडीएम के साथ मारपीट
इस विवादास्पद घटना का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें मीणा एसडीएम को कॉलर से पकड़कर थप्पड़ मारते नजर आ रहे हैं। मीणा का आरोप है कि एसडीएम ने गांव में कुछ मतदाताओं को जबरदस्ती वोट डालने पर मजबूर किया और उनका चुनावी निशान भी ईवीएम पर अस्पष्ट था, जिससे उनके समर्थकों को समझने में कठिनाई हुई।
जब पुलिस अधिकारी मीणा को गिरफ्तार करने के लिए पहुंचे, तो उन्होंने आत्मसमर्पण से इनकार कर दिया। साथ ही, मीणा ने कांग्रेस के सांसद हरिश चंद्र मीणा पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह सब उन्हीं के द्वारा रचा गया षड्यंत्र है।
हिंसा और उथल-पुथल के बादल
हंगामा इस घटना से ही समाप्त नहीं हुआ। इसके बाद टोंक जिले में समर्थकों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुईं। आगजनी और पत्थरबाजी की घटनाओं की वजह से करीब 60 व्यक्तियों को गिरफ्तार भी किया गया। कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया और सार्वजनिक परिसंपत्तियों का नुकसान किया गया। इन अप्रिय घटनाओं के कारण, राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) संघ ने एक कलम-डाउन हड़ताल का आह्वान किया, जिससे सुबह के समय सरकारी कार्य प्रभावित हुए।
मामले की गंभीरता को देखते हुए, प्रशासन ने मीणा के खिलाफ चार मुक़दमे दर्ज किए हैं, जिनमें सार्वजनिक कार्यों में बाधा डालना और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना शामिल है।
दीर्घकालिक राजनीतिक प्रभाव
यह घटना केवल एक व्यक्तिगत या स्थानीय मामला नहीं है। इसने आगामी चुनावों पर संभावित प्रभाव डालते हुए एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा खड़ा कर दिया है। कांग्रेस के लिए यह एक बड़ी चुनौती है क्योंकि इससे पार्टी में विभाजन और मतदाताओं में असंतोष बढ़ सकता है। मीणा की गिरफ्तारी और उनके समर्थकों की हिंसा पार्टी के लिए एक बड़ी सीख हो सकती है।
देश में लोकतंत्र के भविष्य और चुनावों की निष्पक्षता की दिशा में इस घटना ने कई प्रश्न उठाए हैं। एक समझौते और शांतिपूर्ण चुनाव हेतु यह जरूरी है कि प्रशासन मजबूत कदम उठाए और चुप्पी तोड़े। यह भी आवश्यक है कि चुनाव आयोग अधिक सतर्कता बरते और सभी राजनैतिक दल निष्पक्षता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हों।
लोकतंत्र के प्रति एक नई दृष्टि
इन सारी घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाए रखने में सभी भागीदारियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। लोकतंत्र के इस महान पर्व में सबकी भागीदारी होनी चाहिए और इसे शांतिपूर्ण तरीके से मनाना आवश्यक है। ऐसे समय में जब राजनीति में कई बदलाव और विवाद उठ रहे हैं, यह आवश्यक है कि हर उम्मीदवार और पार्टी जिम्मेदार भूमिका निभाए और सुनिश्चित करे कि लोकतंत्र की जड़ों को मजबूती से खड़े किया जाए।
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