जया बच्चन ने राज्यसभा अध्यक्ष जगदीप धनखड़ से मांगी माफी, विवाद के बाद विपक्ष ने किया वाकआउट
जया बच्चन ने क्या कहा?
समाजवादी पार्टी की वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने हाल ही में उपराष्ट्रपति और राज्यसभा चेयरमैन जगदीप धनखड़ से माफी की मांग की है। एक heated exchange के दौरान धनखड़ ने जया बच्चन को उनके पूर्ण आधिकारिक नाम 'जया अमिताभ बच्चन' से बुलाया। इसके बाद बच्चन ने इसे 'नया ड्रामा' बताते हुए आपत्ति जताई और कहा कि वह अपने पति के नाम के साथ नहीं, बल्कि अपने निर्वाचित सदस्य के रूप में पहचान चाहती हैं। उन्होंने कहा कि यह उन्हें असहज महसूस कराता है और इस तरह का संबोधन अनावश्यक है।
जगदीप धनखड़ का जवाब
धनखड़ ने बच्चन को जवाब देते हुए कहा कि अगर उन्हें अपने नाम को आधिकारिक तौर पर बदलवाना है, तो वे नियमों का पालन कर ऐसा कर सकती हैं। यह बात धृष्टतापूर्वक कहने के बाद दोनों के बीच तनाव और बढ़ गया। जया बच्चन ने इसके जवाब में कहा कि उनका टोन सांसदों को बच्चों की तरह मानने वाला है, जो कि अपमानजनक है।
विरोध और वाकआउट
इसी दौरान विपक्षी नेताओं ने इस बात पर कड़ा रुख दिखाते हुए कहा कि विपक्ष के नेता का माइक बंद कर दिया गया था और यह सांसदों के सम्मान के खिलाफ है। इस बयान के बाद सांसदों ने सदन से वाकआउट किया। जया बच्चन के साथ शामिल अन्य महिला सांसदों में सोनिया गांधी भी थीं, जिन्होंने बच्चन के दावे का समर्थन किया।
अन्य सांसदों की प्रतिक्रिया
विरोध में शिवसेना (यूबीटी) की प्रियंका चतुर्वेदी और तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन ने भी जया बच्चन का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि बैचेन को उनके सेलिब्रिटी स्टेटस की बिना किसी प्रकार की अनादर्यता के साथ सम्मानित किया जाना चाहिए।
राज्यसभा की कार्यवाही प्रभावित
राज्यसभा की कार्यवाही में इस विवाद का असर साफ दिखा। इसके बाद चेयरमैन ने ब्रिटिश शासनकाल में 'भारत छोड़ो आंदोलन' की वर्षगांठ का जिक्र करते हुए कहा कि विपक्ष अपने कर्तव्यों को छोड़कर संसद छोड़ रहा है। इस परि से विपक्ष के सदन छोड़ने की घटना को भी एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है।
सत्ता पक्ष की प्रतिक्रिया
सत्तापक्ष के नेता जेपी नड्डा ने विपक्ष के व्यवहार की आलोचना की और इस संदर्भ में एक प्रस्ताव रखा, जिसमें विपक्ष की आलोचना की गई। यह घटना राज्यसभा के अंदर चल रहे तनाव और मर्यादाओं के concerns को उजागर करती है।
राज्यसभा में बढ़ती तनातनी
यह विवाद एक बड़े पैमाने पर पिछले कुछ समय से राज्यसभा में चल रहे तनाव और decorum concerns को दर्शाता है। राज्यसभा में इस प्रकार की घटनाएं न केवल इसके सदस्यों के गरिमा को प्रभावित करती हैं, बल्कि लोक तंत्र के उस पवित्र मंच की मर्यादा भी धूमिल करती हैं। स्थिति को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों को सामंजस्य और समझदारी से काम लेना होगा, ताकि संसद का कामकाज सुचारू रूप से चल सके।
रास्ते की तलाश करते सांसद
यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में इस विवाद को कैसे सुलझाया जाता है। विपक्षी दलों को जहाँ अपने मांगों को लेकर एकसाथ आना होगा, वहीं सत्तापक्ष को भी धैर्य और समझदारी से पालन करना होगा। संसद का कार्यकाल देश के लिए अति महत्वपूर्ण है और सभी दलों को मिलकर स्थिति सुधारने के प्रयास करने होंगे।
हमेशा की तरह, हमारी कोशिश होगी कि आगे आने वाले घटनाक्रमों पर नजर रखी जा सके और पाठकों तक सटीक और निष्पक्ष जानकारी पहुंचाई जा सके।
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