टैक्स ऑडिट डेडलाइन विस्तार: राजस्थान हाई कोर्ट ने CBDT को दिया नया आदेश

टैक्स ऑडिट डेडलाइन विस्तार: राजस्थान हाई कोर्ट ने CBDT को दिया नया आदेश

हाई कोर्ट का आदेश और उसके पीछे के कारण

राजस्थान हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसमें केंद्रीय आयकर बोर्ड (CBDT) को टैक्स ऑडिट रिपोर्ट (TAR) के जमा करने की अंतिम तिथि को टैक्स ऑडिट डेडलाइन 30 सितंबर 2025 से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 करने का निर्देश दिया गया। यह कदम उस तनाव को कम करने के लिए उठाया गया, जो करदाताओं और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स (सीए) को आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि (16 सितंबर 2025) के बाद सिर्फ 14 दिनों में ऑडिट पूरा करने के कारण झेलना पड़ा था।

कोर्ट ने यह फैसला कई तकनीकी और व्यवसाई कारणों के आधार पर दिया:

  • आयकर ई‑फ़ाइलिंग पोर्टल पर लगातार तकनीकी गड़बड़ियाँ, जिससे रिटर्न जमा करना कठिन हो गया।
  • आईटीआर और ऑडिट यूटिलिटीज़ का देर से जारी होना, जिससे समयसीमा घट गई।
  • नए फॉर्मेट के कारण कन्फ्यूज़न और डेटा एंट्री में अतिरिक्त समय लगना।
  • इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के बाद ही ऑडिट करने की बाध्यता, जिससे 50‑100 ऑडिट्स एक साथ पूरा करना असंभव हो गया।
  • केंद्रीय और राज्य स्तर पर अन्य नियामक दायित्वों (जैसे जीएसटी रिटर्न) की समान अवधि में समाप्ति, जिससे कार्यभार दुगुना हो गया।
  • उत्तरी राज्यों में हाल की बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने व्यावसायिक गतिविधियों को बाधित किया।

इन सभी बिन्दुओं को सुनकर कोर्ट ने पाया कि बिना अतिरिक्त समय के करदाताओं पर दंड, ब्याज और कर लाभ (जैसे लोस कैरी‑फॉरवर्ड) का नुकसान अनिवार्य हो जाएगा। इसी कारण से कोर्ट ने CBDT को विस्तारित समय देने का आदेश दिया।

राष्ट्रीय स्तर पर संभावित प्रभाव और प्रतिक्रिया

राष्ट्रीय स्तर पर संभावित प्रभाव और प्रतिक्रिया

राजस्थान के इस निर्णय के बाद कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी समान आदेश देकर 31 अक्टूबर 2025 को अंतिम तिथि तय की। दो राज्यों में एकसाथ ये फैसले सामने आने से राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे की अहमियत स्पष्ट हो गई है। अब कई सांसद, संस्थाएँ और व्यापारिक समूह CBDT से समान राहत की मांग कर रहे हैं।

गुजरात के सांसद देवु सिंह जेसेनभाई चौहान सहित कम से कम पाँच सांसदों ने इस दिशा में आधिकारिक प्रतिनिधि लिखे हैं। इनके अलावा, ICAI (इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया) ने भी CBDT चेयरमैन को एक विस्तृत पत्र भेजा, जिसमें सभी टैक्स‑ऑडिट‑आवश्यकियों के लिए समान अनुपालन‑समय की माँग की गई है।

हैदराबाद के CA नितिन बंसल, जो BJP हरियाणा के CA सेल के स्टेट कन्वेनर हैं, ने दिल्ली में CBDT चेयरमैन से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की और विस्तारित समय के पक्ष में अपने तर्क रखे। बांसल ने बताया कि उन्होंने 22 सितंबर को पहिली बार 30 नवंबर 2025 तक की डेडलाइन की माँग की थी, जिससे आयकर रिटर्न फाइलिंग के लिये भी समान रियायत मिल सके। उन्होंने कहा कि चेयरमैन ने उनके प्रस्ताव को सकारात्मक रूप से सुना है और अब इंतजार है कि आधिकारिक आदेश कब आएगा।

इन सभी दबावों के बीच आयकर विभाग इस फैसले को चुनौती देने की योजना बना रहा है। विश्वसनीय सूत्रों ने बताया कि विभाग जल्द ही राजस्थान हाई कोर्ट में एक रिव्यू पेटीशन दायर करेगा और संभवतः इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने की भी तैयारी कर रहा है। विभाग का मुख्य कारण यह बताया जा रहा है कि न्यायालय द्वारा निर्धारित समय‑सीमा में बदलाव करने से राष्ट्रीय स्तर पर एकसमान अनुपालन‑धारा टूट सकती है।

यह विस्तार मुख्यतः उन करदाताओं को प्रभावित करता है, जिनके वार्षिक टर्नओवर 2024‑25 के लिए 1 करोड़ रुपए से अधिक या सेवा राजस्व 50 लाख रुपए से अधिक है, और जिन्हें आयकर रिटर्न दाखिल करने से पहले CA द्वारा ऑडिट करवाना अनिवार्य है। इनके लिये अब तक के आंकड़े दिखाते हैं कि लाखों करदाता और हजारों चार्टर्ड अकाउंटेंट्स इस सीमा में आते हैं, जिससे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में एक बड़ा भाग इस नियम से जुड़ा हुआ है।

जैसे-जैसे विभिन्न राजनैतिक और पेशेवर समूहों की आवाज़ें तेज़ हो रही हैं, करदाताओं के बीच भी असहजता का माहौल बन रहा है। कई फर्में अब अपने ऑडिट प्लान को फिर से व्यवस्थित कर रही हैं, जबकि कुछ ने पहले से ही अपने क्लाइंट्स को संभावित दंड के बारे में चेतावनी दे दी है। दूसरी ओर, यदि CBDT इस आदेश को लागू नहीं करता और विभाग का रिसीवर दायर हो जाता है, तो पूरे देश में असमानता उत्पन्न हो सकती है और छोटे‑बड़े व्यापारियों के बीच भ्रम की स्थिति बन सकती है।

भविष्य में क्या होगा, यह अभी अनिश्चित है; लेकिन एक बात स्पष्ट है कि टैक्‍स ऑडिट के नियमों में बदलाव, चाहे वह विस्तार हो या मौजूदा समय‑सीमा का पालन, भारतीय कर प्रणाली की विश्वसनीयता और सहजता पर गहरा असर डालेगा। अब सबकी नज़रें CBDT के अंतिम कदम पर टिकी हैं, जो या तो हाई कोर्ट के आदेश को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करेगा, या फिर न्यायिक चेन में आगे बढ़ते हुए सुप्रीम कोर्ट तक इस मुद्दे को ले जाएगा।

सित॰ 26, 2025 द्वारा Pari sebt

द्वारा लिखित Pari sebt

मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूँ और मुझे भारत में दैनिक समाचार संबंधित विषयों पर लिखना पसंद है।

mala Syari

ये सब तो बस एक और बड़े बाजार का शोर है। जब तक आयकर विभाग का इंटरफेस नहीं बदलेगा, तब तक डेडलाइन बढ़ाने से कुछ नहीं होगा। 🤷‍♀️

Kishore Pandey

यह निर्णय विधिवत् रूप से अवैध है। कराधान अधिनियम की धारा 44AB में कोई विस्तार का प्रावधान नहीं है। न्यायालय की भूमिका नियम बनाने की नहीं, बल्कि नियमों की व्याख्या करने की है।

Kamal Gulati

सच बताऊँ तो ये सब एक बड़ा धोखा है। जब तक चार्टर्ड अकाउंटेंट्स अपनी आय बढ़ाने के लिए डेडलाइन को जटिल नहीं बनाते, तब तक ये सब चलता रहेगा। ये लोग अपनी जेब भरने के लिए तो अपने क्लाइंट्स को डरा देते हैं।

Atanu Pan

मुझे लगता है कि ये फैसला लोगों के लिए अच्छा है। बस एक दो हफ्ते का विस्तार, बहुत बड़ी बात नहीं। अगर टेक्निकल गड़बड़ियाँ हैं, तो उन्हें ठीक करना चाहिए, न कि लोगों को दंड देना।

Pankaj Sarin

कोर्ट ने जो किया वो बहुत अच्छा किया अब आयकर विभाग को अपनी गलतियों को स्वीकार करना चाहिए और इसे लागू करना चाहिए नहीं तो ये देश बस एक बड़ा बाजार है जहाँ नियम बनाने वाले खुद नियम तोड़ते हैं

Mahesh Chavda

क्या ये विस्तार सिर्फ राजस्थान और कर्नाटक के लिए है? या फिर ये एक नियम बनने वाला है? अगर ये नियम बन गया तो फिर देश के अन्य हिस्सों में जो लोग डेडलाइन पर फाइल कर चुके हैं, उनका क्या होगा? ये असमानता का नया नाम है।

Sakshi Mishra

हम अक्सर इस बात को भूल जाते हैं: कर एक जिम्मेदारी है, न कि एक बोझ। और जब तक हम इसे एक नैतिक दायित्व के रूप में नहीं देखेंगे, तब तक डेडलाइन, ऑडिट, फॉर्मेट्स, और टेक्निकल गड़बड़ियाँ-सब कुछ बस एक धोखा होगा, जिसके पीछे बस एक बड़ी बात है-हमारी आत्मा का अभाव।

Radhakrishna Buddha

अरे भाई! ये तो बस एक जाने का बाजार है! एक दिन डेडलाइन बढ़ा देते हैं, अगले दिन फिर नया फॉर्म लाते हैं! अब तो हर एक को एक एक्सपर्ट बनना पड़ रहा है! जिंदगी इतनी आसान क्यों नहीं होती?

Govind Ghilothia

इस निर्णय का ऐतिहासिक महत्व अत्यंत उल्लेखनीय है। न्यायालय के इस कदम ने भारतीय नागरिक के अधिकारों को एक नए स्तर पर स्थापित किया है। यह केवल एक डेडलाइन का विस्तार नहीं, बल्कि एक नए नैतिक आधार की शुरुआत है, जिसमें व्यावसायिक जीवन की वास्तविकताओं को सम्मान दिया जा रहा है।

Sukanta Baidya

अरे ये सब बकवास है। जब तक हम अपने ऑडिटर्स को अपने बिजनेस के बारे में बताते नहीं, तब तक कोई डेडलाइन बढ़ाएगा नहीं। ये लोग तो बस फीस लेने के लिए बैठे हैं।

Adrija Mohakul

हमने कभी सोचा भी नहीं कि एक ऑडिट रिपोर्ट के लिए इतनी बड़ी बात होगी। मैंने अपने दोस्त को देखा, जिसका बिजनेस छोटा है, वो तो डर के मारे फाइल नहीं कर पा रहा था। ये विस्तार उनके लिए एक बचाव है। बस अब आयकर विभाग को इसे स्वीकार करना चाहिए, न कि इसे चुनौती देना।