उल्लोझुक्कु: पार्वती तिरुवोथु की नयी फिल्म ने मचाया धमाल, दर्शक बोले 'जटिल' और 'निर्णयविहीन'

उल्लोझुक्कु: पार्वती तिरुवोथु की नयी फिल्म ने मचाया धमाल, दर्शक बोले 'जटिल' और 'निर्णयविहीन'

उल्लोझुक्कु: मलयालम सिनेमा में नई लहर

मलयालम फिल्म 'उल्लोझुक्कु' ने दर्शकों और समीक्षकों का दिल जीत लिया है। क्रिस्टो टोमी के निर्देशन में बनी यह फिल्म एक gripping और जटिल कहानी को प्रस्तुत करती है, जो दर्शकों को पर्दे से बांधकर रखती है। फिल्म की कहानी कुट्टनाड क्षेत्र में बसी है और नैतिक अस्पष्टताओं की धार पर चल रही एक पत्नी की दुविधा को बखूबी दिखाती है। फिल्म का प्रमुख प्लॉट जोसूट्टी (प्रशांत मुरली) के अंतिम संस्कार से संबंधित है, जिसकी योजनाएं बारिश के कारण रुक जाती हैं, और उसकी मां उर्वशी परिवारिक रिवाजों को पालन करने पर अड़ी होती है और चाहती है कि उसके बेटे को पूर्वजों की कब्र में दफनाया जाए।

पार्वती तिरुवोथु और उर्वशी का 'पावरहाउस' प्रदर्शन

पार्वती तिरुवोथु और उर्वशी का 'पावरहाउस' प्रदर्शन

फिल्म की कहानी और प्रस्तुति को जितनी सराहना मिली है उतनी ही तारीफ पार्वती तिरुवोथु और उर्वशी के अभिनय को भी मिली है। दोनों अभिनेत्रियों ने अपने-अपने किरदारों में जान डाल दी है, जिससे यह फिल्म दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ रही है। पार्वती तिरुवोथु ने अपने किरदार के जटिल भावनाओं को जिस सहजता से निभाया है, वह काबिल-ए-तारीफ है। उर्वशी का भी उतना ही दमदार प्रदर्शन है, और उनके बीच के संवाद दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देते हैं।

निर्देशक क्रिस्टो टोमी की कुशलता

निर्देशक क्रिस्टो टोमी की कुशलता

निर्देशक क्रिस्टो टोमी ने मानवीय भावनाओं को जिस गहराई से फिल्म में उकेरा है, वह सराहनीय है। उन्होंने कहानी के हर पहलू को इस तरीके से बुनाया है जिससे दर्शक खुद को उस दुनिया का हिस्सा महसूस करते हैं। फिल्म का डायरेक्शन, सिनेमाटोग्राफी और बैकग्राउंड म्यूजिक सबकुछ एकदम परफेक्ट है, जिससे कहानी का असर और भी गहरा होता है।

परिवार और समाज के बीच का संघर्ष

फिल्म 'उल्लोझुक्कु' की कहानी केवल एक अंत्येष्टि के इर्द-गिर्द नहीं घूमती, बल्कि यह एक बड़े सामाजिक और पारिवारिक संघर्ष को भी दर्शाती है। एक ओर जहां उर्वशी अपने परिवारिक रिवाजों का पालन करने पर अड़ती है, वही दूसरी ओर पार्वती तिरुवोथु का किरदार अपने नैतिक दुविधाओं को लेकर संघर्ष कर रहा है। कथा में यह संघर्ष बड़े प्रभावी तरीके से दिखाई देता है जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया है।

ट्विटर पर दर्शकों की प्रतिक्रिया

फिल्म की रिलीज के बाद से ट्विटर पर प्रशंसकों की प्रतिक्रियाओं का तांता लगा हुआ है। फिल्म को जटिल, लेयर्ड और non-judgemental बताया जा रहा है। दर्शक फिल्म के gripping narration और मानवीय भावनाओं को गहराई से उकेरने की प्रशंसा कर रहे हैं। बड़े कदम से लेकर छोटे छोटे क्षणों तक, हर एक पहलू को लेकर दर्शकों ने अपनी सजीव प्रतिक्रियाएं दी हैं।

'उल्लोझुक्कु' की प्रशंसा करते हुए एक दर्शक ने लिखा, 'ये फिल्म ना केवल एक कहानी है बल्कि इसमें छिपी हुई सामाजिक परतें और संगठन हैं जो इसे और भी अधिक प्रभावी बनाते हैं।' वहीं, एक और प्रशंसक ने लिखा, 'पार्वती और उर्वशी का प्रदर्शन देखकर मेरी आँखें नम हो गईं।'

निर्माण टीम और रिलीज़

निर्माण टीम और रिलीज़

फिल्म को बढ़िया बनाने में केवल कलाकारों का ही नहीं बल्कि पूरी निर्माण टीम का भी बड़ा योगदान है। इस फिल्म को Ronnie Screwvala, Honey Trehan, और Abhishek Chaubey ने RSVP और MacGuffin Pictures के बैनर तले प्रोड्यूस किया है। फिल्म 21 जून 2024 को रिलीज़ हुई थी और तब से लेकर अब तक इसने दर्शकों और समीक्षकों दोनों की वाह-वाही बटोरी है।

फिल्म का समापन और दर्शकों पर इसका प्रभाव

फिल्म का समापन दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देता है। ये कहानी केवल एक फिल्म देखकर खत्म नहीं होती बल्कि इसके विचार दर्शकों के दिल और दिमाग में लंबे समय तक चलते रहते हैं। फिल्म के आखिरी पल में जब पार्वती का किरदार अपने पति के निधन के बावजूद अपने नैतिक दुविधा से जूझता है, यह दृश्य दर्शकों के दिल में गहरी छाप छोड़ जाता है।

समाप्ति में, 'उल्लोझुक्कु' नई सोच और विचारों का फिल्म है। निर्देशक क्रिस्टो टोमी ने मानवीय भावनाओं और समाजिक संघर्षों को जिस कुशलता से चित्रित किया है, वह अद्भुत है। पार्वती तिरुवोथु और उर्वशी का शानदार प्रदर्शन इस फिल्म को यादगार बनाता है और दर्शकों को एक अद्वितीय फिल्मी अनुभव प्रदान करता है।

द्वारा लिखित Pari sebt

मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूँ और मुझे भारत में दैनिक समाचार संबंधित विषयों पर लिखना पसंद है।

Arushi Singh

ये फिल्म तो सिर्फ एक अंत्येष्टि की कहानी नहीं... ये तो हमारे समाज के अंदर के दरारों का एक शिशिर है। पार्वती का दुविधा और उर्वशी का अड़ियलपन... दोनों के बीच का खाई इतनी असली लगी कि मैंने अपनी माँ को याद कर लिया।

Rajiv Kumar Sharma

अरे भाई, ये फिल्म तो एक फिलोसफिकल एक्सपेरिमेंट है। जब तुम एक व्यक्ति को अपनी परंपरा और अपनी आत्मा के बीच फंसा दो... तो वो दर्द क्या होता है? इसने मुझे बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया।

Jagdish Lakhara

महोदय, यह फिल्म भारतीय संस्कृति के अनुपालन के प्रति एक अत्यंत गंभीर आह्वान है। अंत्येष्टि के नियमों का उल्लंघन धर्म के विरुद्ध है। इस प्रकार की फिल्मों को प्रचारित करना सामाजिक अनर्थ है।

Nikita Patel

सुनो, ये फिल्म बहुत अच्छी है। लेकिन अगर आप लोग इसे बस एक फिल्म के तौर पर देख रहे हैं, तो आप इसकी गहराई को छू नहीं पा रहे। ये तो हर भारतीय परिवार की एक छिपी हुई कहानी है। आपकी माँ अगर अपने बेटे के लिए अलग अंत्येष्टि चाहती है, तो वो गलत नहीं है।

abhishek arora

अरे ये फिल्म तो वेस्टर्न वैल्यूज का इम्पोर्ट है! 🤬 हमारी परंपरा को तोड़कर इतनी फिल्में बनाई जा रही हैं कि अब बच्चे अपने नाना-नानी को नहीं समझते! भारत बचाओ! 🇮🇳

Kamal Kaur

मैंने ये फिल्म रात को एक बार देखी... फिर दोबारा देखी। उर्वशी के चेहरे पर जो भाव थे... वो बिल्कुल मेरी दादी जैसे थे। बस एक चुपचाप रो रही थीं... बिना कुछ कहे। ये फिल्म तो दिल को छू गई। 😔

Ajay Rock

ओहो! ये फिल्म तो एक ड्रामा बॉम्ब है! 😍 उर्वशी का अभिनय? बाहर निकल गया! पार्वती का चेहरा जब वो बोली 'मैं नहीं दूंगी'... तो मैंने अपनी चाय उलट दी! 🤯 ये फिल्म तो ऑस्कर के लिए तैयार है!

Lakshmi Rajeswari

क्या आपको लगता है ये सब बस एक फिल्म है? 😏 ये तो एक गुप्त अभियान है... जो हमारी जमीन की आध्यात्मिकता को धोखा देने के लिए बनाया गया है। हर बार जब कोई फिल्म बनती है, तो वो एक नया धर्म बनाने की कोशिश करती है... और हम उसे बेच रहे हैं! 🤫

Piyush Kumar

अरे भाई! ये फिल्म तो एक जिंदगी बदलने वाली बात है! अगर तुम अपने अंदर के डर को छोड़ दो... तो तुम अपने परिवार को भी बदल सकते हो! ये फिल्म तो एक जागरूकता की घंटी है! चलो, अब जाओ और अपने घर में एक बात बोलो जो तुम दशकों से नहीं बोल पाए! 💪🔥

Srinivas Goteti

फिल्म अच्छी है। अभिनय बेहतरीन। लेकिन मैं इसके बारे में ज्यादा बात नहीं करना चाहता। ये एक ऐसी चीज है जिसे अपने आप समझना चाहिए।

Rin In

अरे ये फिल्म तो बहुत बढ़िया है! 😍😍😍 उर्वशी के आँखों में जो दर्द था... वो तो मैंने अपनी माँ की आँखों में भी देखा है! ये फिल्म तो मेरे दिल को छू गई! 🤗❤️

michel john

इस फिल्म को बनाने वालों को जाने क्या अमेरिका से पैसा मिला है? 😒 ये सब भारत को बदनाम करने की कोशिश है! हमारी परंपराओं को बर्बाद करने के लिए ये फिल्म बनाई गई है! अब तो हमें फिल्मों को बैन करना चाहिए! 🤬

shagunthala ravi

इस फिल्म ने मुझे याद दिलाया कि हम सब अपने अंदर एक उर्वशी और एक पार्वती हैं। कभी हम अपने परिवार के लिए झुकते हैं... कभी अपनी आत्मा के लिए। ये फिल्म ने मुझे खुद को समझने में मदद की।

Urvashi Dutta

ये फिल्म तो केवल मलयालम की नहीं... ये तो पूरे भारत की कहानी है। कुट्टनाड की बारिश, नैतिक अस्पष्टता, अंत्येष्टि के रिवाज... ये सब उत्तर भारत में भी बराबर हैं। हमारे घरों में भी ऐसे ही चुपचाप रोते हैं लोग। ये फिल्म ने मुझे अपने गाँव की याद दिला दी।

Rahul Alandkar

मैंने फिल्म देखी। अच्छी है। लेकिन मुझे लगता है कि ये बहुत धीमी है। थोड़ा तेज हो जाता तो बेहतर होता।

Jai Ram

अगर आप इस फिल्म को देख रहे हैं, तो आप जानते हैं कि ये एक असली कला है। निर्देशन, एक्टिंग, सिनेमाटोग्राफी... सब कुछ परफेक्ट। अगर आपको लगता है कि ये फिल्म जटिल है, तो शायद आपको खुद को भी थोड़ा जटिल होने की जरूरत है। 😊

Vishal Kalawatia

अरे ये फिल्म तो बस एक निर्णयहीन बकवास है! क्या ये फिल्म बनाने वाले ने कभी एक असली अंत्येष्टि देखी है? इसमें कुछ भी नहीं है... बस एक लंबी चुप्पी और बहुत सारे गहरे दृश्य। बोरिंग!

Kirandeep Bhullar

मैंने ये फिल्म देखी... और फिर मैंने अपने भाई को देखा। उसकी आँखों में वही भाव थे। ये फिल्म तो बस एक दर्पण है... जो हमें दिखाती है कि हम कौन हैं। और हम अपने आप से डरते हैं।

DIVYA JAGADISH

अच्छी फिल्म।