डेल्ही विश्वविद्यालय का 332 करोड़ हाई‑टेक छात्रावास, 1,436 छात्रों के लिए

डेल्ही विश्वविद्यालय का 332 करोड़ हाई‑टेक छात्रावास, 1,436 छात्रों के लिए

जब दिल्ली विश्वविद्यालय ने भू‑मि पूजन समारोहमुख़र्जी नगर में आयोजित किया, तो विश्वविद्यालय की इन्फ्रास्ट्रक्चर योजना की नई दिशा स्पष्ट हो गई। इस समारोह में प्रो. योगेश सिंह, कुलपति और के.पी. महादेवस्वामी, NBCC के डायरेक्टर भी मौजूद थे, जिससे प्रोजेक्ट की महत्वता और भी उजागर हुई। 35‑मीटर ऊँचे, नौ मंजिला इस हाई‑टेक छात्रावास की लागत ₹332.83 करोड़ तय की गई है और यह 1,436 छात्रों को आधुनिक सुविधा प्रदान करेगा। इस कदम से दिल्ली विश्वविद्यालय के ‘इंस्टिट्यूशन ऑफ एमिनेंस’ (IoE) पहल में तेजी आएगी, जबकि साथ ही छात्रों के रहने‑सहनें की क्वालिटी भी अंतरराष्ट्रीय मानकों तक पहुँचेगी।

परियोजना की पृष्ठभूमि और जरूरत

दशकों से दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रावास बंद‑बस्ती और पुरानी सुविधाओं की समस्या से जूझते आए हैं। पिछले साल एक विस्तृत संरचनात्मक ऑडिट ने दिखाया कि कई मौजूदा इमारतों में सीवेज‑से‑पानी का मिश्रण, खारा पानी और कमजोर कंक्रीट जैसी समस्याएँ हैं। इस कारण महिला एवं कार्यरत महिलाओं के लिए एक अलग CPWD द्वारा 200 करोड़ की नई हॉस्टल योजना मंजूर की गई, जिससे मौजूदा पेड़-पौधे सुरक्षित भी रहेंगे। अब नया हाई‑टेक हॉस्टल न केवल छात्रों के रहने के अनुभव को बेहतर बनाएगा, बल्कि संस्थान के इन्फ्रास्ट्रक्चर में आधुनिकता की लहर लाएगा।

प्रोजेक्ट का तकनीकी विवरण

भवन 35‑मीटर ऊँचा होगा, जिसमें ग्राउंड लेवल के नीचे दो बेसमेंट, ऊपर नौ फ्लोर होंगे (B1+G+9)। प्रत्येक फ्लोर में प्री‑फ़ैब्रिकेटेड मॉड्यूलर ख़ासियतें, ऊर्जा‑संचायक विंडो, सॉलर पैनल और स्मार्ट एंट्री सिस्टम लगे होंगे। जल संरक्षण हेतु रेनवॉटर हार्वेस्टिंग और सीवेज रीसायक्लिंग प्लांट भी स्थापित किया जाएगा। यह सब NBCC की तकनीकी टीम ने तैयार किया है, जो पहले भी कई सरकारी कैंपस प्रोजेक्ट्स में शामिल रही है।

  • कुल लागत: ₹332.83 करोड़
  • सुविधा: 1,436 छात्र, दो‑तीन श्रेणी के कमरे, जिम, लाइब्रेरी, मल्टी‑मीडिया हॉल
  • ऊँचाई: 35 m, बिनॉ​वेटेड संरचना, B1+G+9
  • पर्यावरण‑स्नेही: सौर ऊर्जा, रेनवॉटर संग्रहण, LED लाइटिंग
  • न्यूनतम निर्माण‑समय: 24 महीने (अपेक्षित)

बजट के हिस्से के रूप में HEFA (हायर एजुकेशन फ़ंडिंग एजेंसी) ने भी कई अन्य प्रोजेक्ट्स को फंड किया है – फ़ैकल्टी ऑफ़ टेक्नोलॉजी ब्लॉक (₹195.6 crore), नया फ़ैकल्टी ब्लॉक (₹161 crore) और सूरत मॉल विहार (₹120 crore)। लेकिन इन सभी में अभी तक 10 % से कम ही फिज़िकल प्रगति दिखी है, जिससे निगरानी की जरूरत और बढ़ गई है।

सभी पक्षों की प्रतिक्रिया

भू‑मि पूजन के बाद कई प्रमुख व्यक्तियों ने अपने‑अपने विचार रखे। प्रो. योगेश सिंह ने कहा, "यह कदम हमारे छात्रों की समग्र भलाई को प्राथमिकता देता है, और NEP‑2020 के तहत चौथे वर्ष की तैयारी में भी सहायक होगा।" उन्होंने आगे बताया कि लगभग 60 % छात्रों को नया चौथा वर्ष चुनने की संभावना है, इसलिए ऐसे रहने‑सहनें की सुविधा जरूरी हो गई है।

के.पी. महादेवस्वामी ने भी बताया कि NBCC ने इस प्रोजेक्ट में टिकाऊ निर्माण तकनीक अपनाई है, जिससे भविष्य में रख‑रखाव के खर्च कम होंगे। CPWD के प्रतिनिधियों ने कहा, "हमारी टीम ने पर्यावरण‑सुरक्षा को ध्यान में रखकर डिजाइन किया है, इसलिए पेड़‑पौधे नहीं कटेंगे।"

छात्र संघ के प्रमुख ने भी इस कदम को सराहा, परन्तु उन्होंने कहा, "हमें आशा है कि इस प्रोजेक्ट का समय‑सीमा पालना होगा, क्योंकि कई सालों से पुरानी हॉस्टल की समस्याएँ बनी हुई हैं।"

प्रभाव और अनुमानित लाभ

एक नई, हाई‑टेक हॉस्टल से कई स्तरों पर असर पड़ेगा। पहले, छात्रों को आधुनिक सुविधा मिलेगी – तेज़ इंटरनेट, सुदूर‑शिक्षा के लिए स्टडी रूम, और सुरक्षित प्रवेश‑प्रणाली। दूसरे, इस प्रोजेक्ट से स्थानीय निर्माण कंपनियों को भी काम मिलेगा, जिससे रोजगार में वृद्धि होगी। तीसरा, इस प्रकार के इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश से विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार की संभावना है।

नवीनतम डेटा अनुसार, 2023‑24 में दिल्ली विश्वविद्यालय की कुल छात्र‑संख्या 2.5 लाख से अधिक थी, लेकिन केवल 30 % के पास कैंपस‑आधारित आवास था। इस नई हॉस्टल से इस प्रतिशत को 40 % तक ले जाने की उम्मीद है। इससे छात्रों के लिए आवासीय लागत कम होगी, और उन्हें दैनिक यात्रा की झंझट नहीं झेली पड़ेगी।

निगरानी, अगला चरण और चुनौतियां

निगरानी, अगला चरण और चुनौतियां

परियोजना की जटिलता को देखते हुए, विश्वविद्यालय ने एक हाई‑लेवल मॉनिटरिंग कमेटी बनायी है, जिसका चेयरपर्सन प्रो. बालराम पानी हैं। इस कमेटी को हर साइट का दो बार निरीक्षण करना होगा, और अगले बिल्डिंग कमेटी मीटिंग तक पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।

हालांकि, कुछ चुनौतियां भी सामने हैं। बड़ी राशि के कारण फंडिंग की समय‑सारिणी में देरी का जोखिम है, तथा कंक्रीट की गुणवत्ता नियंत्रण में कभी‑कभी समस्या आ सकती है। इसके अलावा, छात्रों के लिए हस्तांतरण प्रक्रिया, यानी पुराने हॉस्टल से नई हॉस्टल में शिफ्ट होना, एक लोजिस्टिक चुनौती बन सकता है। विश्वविद्यालय ने कहा है कि यह सब एक प्रॉपर ट्रांज़िशन प्लान के ज़रिये संभाला जाएगा।

इतिहासिक संदर्भ: दिल्ली विश्वविद्यालय की इन्फ्रास्ट्रक्चर यात्रा

दिल्ली विश्वविद्यालय ने पिछले दशक में कई बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की है – नई लाइब्रेरी, पुनःनिर्मित रेगन लॉज, और कई डिपार्टमेंटल ब्लॉक्स। 2019‑20 में IoE पॉलिसी के तहत कुल ₹1,900 crore की योजना बनाई गई थी, जिसमें कई हॉस्टल, अकादमिक ब्लॉक्स और कैंपस‑सुरक्षा सुधार शामिल थे। लेकिन COVID‑19 महामारी के कारण निर्माण कार्यों में काफी देरी हुई, जिससे आज तक कई प्रोजेक्ट्स की प्रगति 10 % से भी कम है। इसलिए, यह नवीनतम हॉस्टल परियोजना न केवल धन का सही उपयोग दिखाती है, बल्कि प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में सुधार की भी संकेत देती है।

भविष्य की दिशा

निर्माण समाप्त होने के बाद, विश्वविद्यालय का लक्ष्य इन प्रगतियों को और बेहतरीन बनाना है। नई छात्रावास को एक मॉडल के रूप में इस्तेमाल कर, अन्य कैंपस में भी समान तकनीकी पहल चलाने की योजना है। साथ ही, NEP‑2020 के तहत चौथे वर्ष को लागू करने से पहले, सभी अकादमिक और आवासीय सुविधाओं को समग्र रूप से तैयार किया जाएगा ताकि छात्रों को एक समग्र सीखने‑और‑जीने का अनुभव मिल सके।

Frequently Asked Questions

नया छात्रावास कब तक तैयार होगा?

निर्माण कार्य शुरू होने के बाद छह महीने में बेसमेंट पूरा हो जाएगा, और कुल 24 महीनों के भीतर पूरी इमारत तैयार होने की उम्मीद है। हालाँकि मौसम और फंडिंग की स्थिति के आधार पर यह समय‑सीमा बदल सकती है।

छात्रों को कौन‑सी सुविधाएँ मिलेंगी?

प्रत्येक कक्ष में एयर‑कंडिशन, हाई‑स्पीड इंटरनेट, निजी डेस्क और अलमारी होगी। साथ ही जिम, मल्टी‑मीडिया हॉल, रीडिंग रूम, और 24‑घंटे सुरक्षा व्यवस्था भी उपलब्ध होगी।

क्या यह परियोजना पर्यावरण‑सुरक्षित है?

हाँ, इमारत में सौर पैनल, LED लाइटिंग, रेनवॉटर हार्वेस्टिंग और सॉफ्ट‑वॉटर सिस्टम लगेगा, जिससे ऊर्जा‑बचत और जल‑संसाधन की रक्षा होगी।

पुरानी छात्रावासों की स्थिति क्या है?

हालिया ऑडिट में कई मौजूदा इमारतों में कंक्रीट की परत薄, नमक‑पानी का रिसाव और बिजली‑सुरक्षा समस्याएँ पाई गईं हैं। इनका निवारण करने के लिए वैकल्पिक मरम्मत योजनाएँ तैयार की जा रही हैं, परंतु नई हॉस्टल जल्द ही प्रमुख विकल्प बन जाएगी।

NEP‑2020 के तहत चार वर्षीय पाठ्यक्रम का क्या असर होगा?

आगे की योजना में, चार साल के कोर्स के लिए छात्रों को अतिरिक्त अनुसंधान और इंटर्नशिप सुविधाएँ चाहिए होंगी। नई छात्रावास इन छात्रों को लंबे समय तक कैंपस में रहने का अवसर देगी, जिससे शैक्षणिक और व्यावसायिक कौशल में सुधार होगा।

सित॰ 29, 2025 द्वारा Pari sebt

द्वारा लिखित Pari sebt

मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूँ और मुझे भारत में दैनिक समाचार संबंधित विषयों पर लिखना पसंद है।

Balaji Srinivasan

डेल्ही यूनिवर्सिटी का ये नया हाई‑टेक हॉस्टल वाकई में एक सकारात्मक कदम है। यह न केवल छात्रों की रहने की सुविधा को बेहतर बनाएगा, बल्कि पर्यावरण के प्रति भी संवेदनशील रहेगा। मॉड्यूलर डिज़ाइन और सोलर पैनल जैसी तकनीकें किफायती भी हैं। मुझे लगता है कि यह मॉडल अन्य कॉलेजों के लिए प्रेरणा बन सकता है। आशा है कि समय‑सीमा का पालन होगा।

Hariprasath P

यही तो है असली प्रगति, पर एक बात है… 332 करोड़ तो बस आंकड़ा है, असली क्वालिटी तो दिखेगी तभी। कभी‑कभी ये बड़े प्रोजेक्ट सिर्फ दिखावा लगते हैं, असली ज़रूरत तो स्टूडेंट्स की रोज़मर्रा की समस्याओं को सॉल्व करना है।

Vibhor Jain

बहुत बढ़िया, अब तो हर छात्र को पाँच सितारा होटल जैसा लाइफ मिल जाएगा। बस देखना ये है कि खर्चा किधर से आएगा।

Rashi Nirmaan

इस प्रोजेक्ट की सफल कार्यान्वयन राष्ट्रीय गर्व का कारण है।

Ashutosh Kumar Gupta

यह देखना वाकई दिल छू लेने वाला है कि कैसे एक बार फिर से विश्वविद्यालय ने खुद को पुनः स्थापित किया है। लेकिन मैं इस बात पर ज़ोर देना चाहता हूँ कि अगर फंडिंग में देरी हुई तो यह विद्यार्थियों के सपनों को धूमिल कर सकता है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर इंटरेस्टेड पार्टी अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करे। इस हॉस्टल के बिना अभी भी कई छात्र रातों-रात असहाय रहेंगे।

fatima blakemore

नए हॉस्टल को देख कर मन में एक सवाल उठता है-क्या आवासीय सुविधा ही शिक्षा का अंतिम लक्ष्य है? मैं मानती हूँ कि एक संतुलित जीवनशैली भी जरूरी है, जहाँ पढ़ाई और आराम दोनों का मेल हो। थोड़ा‑थोड़ा मनन करने से हमें पता चलता है कि ये प्रोजेक्ट सिर्फ इमारत नहीं, बल्कि एक सपने का रूप है।

vikash kumar

उल्लेखनीय बात यह है कि इस प्रोजेक्ट में प्रयुक्त प्री‑फैब्रिक्ड मॉड्यूलर तकनीक उद्योग मानकों के अनुरूप है। इस प्रकार की संरचनात्मक नवाचार केवल विश्वसनीयता को नहीं, बल्कि दीर्घकालिक रख‑रखाव को भी अनुकूल बनाती है।

Sandhya Mohan

बिलकुल सही कहा आपने, और साथ ही यह भी सोचना चाहिए कि ऐसी तकनीकें हमारे सामाजिक संरचना में कैसे परिवर्तन लाएँगी। यदि हम इसे एक शिक्षण उपकरण के रूप में देखें, तो छात्रों के भविष्य की दिशा भी पुनः निर्धारित हो सकती है।

Prakash Dwivedi

यह प्रोजेक्ट अंततः छात्रों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिए है, परंतु अगर समय‑सीमा पर भरोसा नहीं किया गया तो यह सब व्यर्थ रहेगा। हमें यह याद रखना चाहिए कि प्रत्येक छात्र इस सुविधा का पात्र है और उनका शोषण नहीं होना चाहिए।

Rajbir Singh

भवन बड़ा है पर लोगों को सही देखभाल चाहिए, नहीं तो सब फिज़िकल बन जाएगा।

Swetha Brungi

नए हॉस्टल की योजना देखकर दिल खुश हो जाता है, क्योंकि यह छात्रों को बेहतर माहौल देगा। मैं विशेष रूप से सोलर पैनल और रेनवॉटर हार्वेस्टिंग को सराहती हूँ-वो पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदारी दिखाते हैं। साथ ही, जिम और मल्टी‑मीडिया हॉल जैसे सुविधाएँ छात्रों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होंगे। आशा करती हूँ कि प्रबंधन इन सुविधाओं को सही तरीके से मेंटेन करे और सभी को समान पहुँच मिले।

Rashi Jaiswal

ये प्रोजेक्ट मज़ेदार है, बहुत आशा है कि ये काम जल्दी हो जाऐगा! चलो सभी मिलके इसका समर्थन करे।

Maneesh Rajput Thakur

आपके पास नहीं पता कि ऐसे बड़े प्रोजेक्ट्स में अक्सर बैकवरल रूट्स होते हैं, जहाँ फंड का एक हिस्सा अज्ञात खातों में जाता है। मैं कहूँगा कि इस हॉस्टल के पीछे छिपा हुआ इकॉनॉमिक मोशन समान्य जनता को नहीं दिखेगा। इसलिए निगरानी को कड़ी बनाना आवश्यक है ताकि हर पैसा सही दिशा में जाये।

ONE AGRI

भारत की शैक्षणिक महाशक्ति के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय को हमेशा ही बेजोड मान्यता मिली है।
नया हाई‑टेक छात्रावास इस प्रतिष्ठा का एक और प्रमाण है।
प्रोजेक्ट में इस्तेमाल हुई सौर ऊर्जा प्रणाली हमारे राष्ट्रीय ऊर्जा आत्मनिर्भरता लक्ष्य के साथ सामंजस्य रखती है।
यह राष्ट्रीय गर्व का एक प्रतीक भी है कि हम विदेशों से आयातित तकनीक पर निर्भर नहीं रहते।
परंतु इस सभी चमक-दमक के पीछे कई बार सरकारी रसद में अनियमितताओं की गुंजाइश रहती है।
मेरी नजर में यह आवश्यक है कि इस प्रोजेक्ट के हर चरण की पारदर्शिता सार्वजनिक स्थितियों में रखी जाये।
स्थानीय ठेकेदारों को प्राथमिकता देना हमारे आर्थिक स्वाभिमान को और भी मजबूत बनाता है।
वहीं, अगर विदेशी कंट्रैक्टर्स को बहुत अधिक भागीदारी दी गई तो वह हमारे स्वदेशी उद्यमों को नुकसान पहुँचा सकता है।
इसलिए यह देखना होगा कि किस तरह का फंडिंग मॉडल अपनाया गया है।
यदि इस मॉडल में निजी निवेशकों के दावे अधिक होंगे तो सार्वजनिक धन का दोहन हो सकता है।
मैं यह भी जोड़ूँगा कि इस हॉस्टल की सुरक्षा सुविधाएँ अत्याधुनिक हैं, परंतु हमें सुरक्षा प्रक्रियाओं की कठोर निगरानी भी करनी चाहिए।
बिना उचित निरीक्षण के, कोई भी इमारत समय के साथ कई जोखिम उत्पन्न कर सकती है।
यह जोखिम केवल निर्माण में ही नहीं, बल्कि उपयोग में भी बढ़ सकता है।
छात्रों को इन जोखिमों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए, ताकि वे उचित सावधानी बरत सके।
सरकार को चाहिए कि वह इस परियोजना में शामिल सभी पक्षों के साथ मिलकर एक स्पष्ट समय‑सीमा बनाये।
इससे न केवल छात्रों को फायदा होगा, बल्कि पूरे देश को एक प्रेरणा मिलेगी।
अंत में, मैं आशा करता हूँ कि इस प्रोजेक्ट की सफलता हमारे राष्ट्रीय विकास के सपनों को साकार करेगी।

Kiran Singh

ये शानदार पहल है 😊 नया हॉस्टल छात्रों को बेहतर सुविधाएँ देगा और साथ ही कैंपस की समग्र आकर्षण बढ़ाएगा 🎉

Anurag Narayan Rai

डेल्ही विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तावित हाई‑टेक छात्रावास कई पहलुओं पर ध्यान देने योग्य है। सबसे पहले, इमारत की ऊँचाई और मॉड्यूलर संरचना शहरी स्थान के सीमित संसाधनों को अधिकतम उपयोग करने की दिशा में एक महत्वाकांक्षी कदम है। दोऐसे, सौर पैनलों और रेनवॉटर हार्वेस्टिंग जैसी हरित तकनीकों का समावेश न केवल ऊर्जा व्यय को घटाता है, बल्कि पर्यावरणीय प्रभाव को भी न्यूनतम करता है। इसके अतिरिक्त, प्रक्रिया में दो बेसमेंट और नौ मंजिलें होने के कारण भविष्य में अतिरिक्त सुविधाओं को जोड़ने की सम्भावना बनी रहती है। यह लचीलापन विश्वविद्यालय को दीर्घकालिक योजना बनाने में मदद करेगा। जबकि इन सभी सकारात्मक पहलुओं को देखते हुए, यह भी मानना आवश्यक है कि फंडिंग और समय‑सीमा का सटीक पालन न हो तो इन सभी योजना केवल कागज़ पर ही रह जाएँगी। इसलिए, नियामक निकायों को चाहिए कि वे निरंतर निरीक्षण और रिपोर्टिंग प्रणाली स्थापित करें, जिससे प्रत्येक चरण का प्रगति स्तर स्पष्ट रूप से देखी जा सके। संक्षेप में, यह परियोजना अगर सही ढंग से कार्यान्वित हुई तो विश्वविद्यालय की इन्फ्रास्ट्रक्चर को नई ऊँचाईयों पर ले जा सकती है।