ईविएम विवाद – समझिए क्यों हर चुनाव में ये चर्चा बनता है
जब भी भारत में बड़े चुनाव होते हैं, ईविएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) का नाम ज़रूर सुनने को मिलता है। लोग अक्सर पूछते हैं – क्या वाकई वोट गड़बड़ी हुई? या यह सिर्फ राजनीतिक जटिलता है? इस लेख में हम साफ‑साफ बताएँगे कि ईविएम विवाद क्यों उठते हैं, कौन‑से केस सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहे और आम मतदाता को इससे क्या समझना चाहिए।
ईविएम विवाद क्या होता है?
सरल शब्दों में कहा जाए तो ईविएम विवाद उन सभी सवालों, आरोपों और जांचों का समूह है जो वोटिंग मशीनों की विश्वसनीयता को लेकर उठते हैं। आमतौर पर दो तरह के मुद्दे सामने आते हैं – तकनीकी गड़बड़ी (जैसे सॉफ्टवेयर बग या हार्डवेयर फ़ॉल्ट) और मानवीय छेड़छाड़ (जैसे ऑपरेटर्स का दुरुपयोग)। जब इनमें से कोई भी बात सार्वजनिक होती है, तो मीडिया, विपक्षी दल और नागरिक समाज तुरंत सवाल उठाते हैं।
हाल के प्रमुख मामले और उनका असर
पिछले कुछ सालों में कई हाई‑प्रोफ़ाइल केस हुए हैं। 2023 के बिहार विधानसभा चुनाव में कुछ उम्मीदवारों ने कहा कि ईविएम पर ‘बैकडोर’ है, जिससे वोटों की गिनती बदल सकती है। इस पर इलेक्ट्रॉनिक लॉजिकल डिवाइस (ELD) की जाँच हुई और कुछ मशीनें रिप्लेस कर दी गईं। इसी तरह, 2024 में उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में एक रिपोर्ट आई थी जिसमें बताया गया था कि कई थर्ड‑पार्टी सॉफ़्टवेयर को अपडेट करने की प्रक्रिया में देर से बदलाव हुए थे, जिससे मतगणना में देरी हुई। इन मामलों ने न सिर्फ चुनावी परिणामों पर सवाल उठाए, बल्कि मतदान प्रक्रिया के भरोसे को भी कमजोर किया।
इन घटनाओं का सबसे बड़ा असर आम जनता में है – कई बार लोग वोट डालते‑डालते थक जाते हैं या फिर पूरी तरह से मतदान ही छोड़ देते हैं। जब हमें लगता है कि हमारी आवाज़ मशीनों की गलती से बदल सकती है, तो लोकतंत्र की नींव ही डगमगा जाती है। इसलिए पारदर्शिता और त्वरित जांच बेहद जरूरी होती है।
सामने रखिए कुछ आसान कदम जो आप अपने वोट को सुरक्षित रखने के लिए उठा सकते हैं:
भोटिंग बूथ पर मशीन की सीरियल नंबर जाँचें; यह सरकारी निर्देशों में लिखा होता है।
यदि कोई तकनीकी समस्या दिखे, तो तुरंत चुनाव अधिकारी से शिकायत दर्ज कराएँ।
वोट डालने के बाद रसीद (VVPAT) देखें – यह प्रिंटेड वोटर पेरपिचुअल ऑडिट ट्रेल है और आपके वोट का प्रमाण देता है।
सरकार भी ईविएम सुरक्षा को बढ़ाने के लिए कई पहल कर रही है। 2025 में नई एन्क्रिप्शन तकनीक और रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम लागू होगा, जिससे किसी भी अनधिकृत परिवर्तन का पता तुरंत चल जाएगा। साथ ही चुनाव आयोग ने स्वतंत्र ऑडिट टीमों को अधिक अधिकार दिए हैं ताकि हर मशीन की जांच निष्पक्ष हो सके।
समाप्ति में कहना चाहूँगा कि ईविएम विवाद सिर्फ राजनीतिक बहस नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जाँच है। जब हम इस प्रक्रिया को समझते और अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं तो मतदान प्रणाली मजबूत बनती है। इसलिए अगली बार जब आप बिंदु दबाएँ, याद रखें – आपका वोट आपके हाथों में सुरक्षित है, बस सही जानकारी और सतर्कता चाहिए।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने लोकसभा में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) का मुद्दा उठाया और 2024 के आम चुनावों में पेपर बैलेट के इस्तेमाल की मांग की। उन्होंने EVM की विश्वसनीयता पर संदेह जताया और कहा कि पेपर बैलेट का उपयोग चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा। अन्य विपक्षी दलों ने भी उनके इस कदम का समर्थन किया।