अखिलेश यादव ने लोकसभा में उठाया ईवीएम का मुद्दा, 2024 चुनावों में पेपर बैलेट की मांग

अखिलेश यादव ने लोकसभा में उठाया ईवीएम का मुद्दा, 2024 चुनावों में पेपर बैलेट की मांग

अखिलेश यादव ने उठाया ईवीएम का मुद्दा

लोकसभा के चल रहे सत्र में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का मुद्दा उठाया है। यादव ने सुझाव दिया कि 2024 के आम चुनावों में पुरानी प्रणाली पर वापस जाकर पेपर बैलेट का उपयोग किया जाए। उनका तर्क है कि ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होते रहे हैं और पेपर बैलेट अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करेंगे।

ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल

अखिलेश यादव ने अपने वक्तव्य में कहा कि ईवीएम को मॉडिफाई किया जा सकता है और इस प्रकार की मशीनों का उपयोग चुनावी प्रक्रिया की शुद्धता को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कई देशों ने ईवीएम का उपयोग पूरी तरह से बन्द कर दिया है, जो इस बात का सबूत है कि इनके साथ छेड़छाड़ की संभावना होती है।

यादव के बयान के बाद, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे पर समर्थन जताया। यादव के इस कदम को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता

ईवीएम का मुद्दा भारतीय राजनीति में अत्यधिक विवादास्पद रहा है। चुनाव आयोग ने लगातार यह कहा है कि ईवीएम टेम्पर-प्रूफ होती हैं और चुनाव की प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष रहती है। इसके बावजूद, विपक्षी दल इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ईवीएम की विश्वसनीयता संदिग्ध है।

अखिलेश यादव का कहना है कि पेपर बैलेट का वापस उपयोग करने से चुनावी प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी अधिक बढ़ जाएगी और वोटों की गणना आसान और अधिक विश्वसनीय होगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार की पारदर्शी व्यवस्था से जनता का विश्वास चुनाव परिणामों पर और पक्का होगा।

क्या अंतरराष्ट्रीय तजुर्बे से कुछ सीखा जा सकता है?

क्या अंतरराष्ट्रीय तजुर्बे से कुछ सीखा जा सकता है?

अखिलेश यादव ने अपने तर्क को मजबूती देने के लिए अंतरराष्ट्रीय उदाहरणों का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि कई देशों ने ईवीएम का उपयोग बन्द कर दिया है और पेपर बैलेट पर वापस लौट आए हैं। उनका मानना है कि यह निर्णय शायद ईवीएम की अस्थिरता और छेड़छाड़ की संभावना को ध्यान में रखते हुए लिया गया हो।

यह मुद्दा अब लोकसभा में एक नई बहस का कारण बन गया है। इसके साथ ही, जनता में भी इस विषय पर विचार-विमर्श शुरू हो गया है कि क्या आने वाले चुनावों में पेपर बैलेट का उपयोग अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष होगा।

विपक्ष का समर्थन

यादव के इस कदम को विपक्षी दलों का व्यापक समर्थन मिल रहा है। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी कदम बताया है। उन्होंने कहा कि ईवीएम के खिलाफ उठाई गई आपत्तियों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और इसके लिए एक व्यापक बहस और समीक्षा की जरूरत है।

यह भी देखा गया है कि कुछ अन्य प्रांतीय और क्षेत्रीय दलों ने भी यादव के इस प्रस्ताव को समर्थन दिया है। अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार इस मांग पर विचार करेगी या नहीं।

चुनाव आयोग की स्थिति

चुनाव आयोग की स्थिति

इसके विपरीत, चुनाव आयोग का कहना है कि ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित हैं और इनका उपयोग करते हुए चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी रखा जा सकता है। आयोग का दावा है कि अब तक जो भी चुनाव हुए हैं, वे सभी ईवीएम की मदद से सही तरीके से और बिना किसी छेड़छाड़ के संपन्न हुए हैं।

चुनाव आयोग का कहना है कि वह ईवीएम की सुरक्षा के लिए निरंतर नये तकनीकी उपाय और सुझाव अपनाता रहता है। इसके बावजूद, विपक्षी दल इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हैं।

इस प्रकार, ईवीएम का मुद्दा एक बार फिर से भारतीय राजनीति में गर्मा गया है और अगले चुनावों में पेपर बैलेट के उपयोग की मांग जोर पकड़ रही है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह बहस कहां तक पहुंचती है और सरकार और चुनाव आयोग इस पर क्या रुख अपनाते हैं।

द्वारा लिखित सुनन्दा सिंह

मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूँ और मुझे भारत में दैनिक समाचार संबंधित विषयों पर लिखना पसंद है।