आपने समाचार में बार‑बार आंसू गैस का ज़िक्र सुनते होंगे—पुलिस भीड़ नियंत्रण के लिए, प्रोटेस्ट में विरोधियों को शांत करने के लिये। लेकिन असली में ये क्या चीज़ है और कब उपयोग होती है? चलिए, सरल शब्दों में समझते हैं।
आंसू गैस का मूल सिद्धांत
आँसू गैस एक रासायनिक मिश्रण होता है, आमतौर पर CS (ऑरेंज) या OC (पिपरस्प्रे) से बना। जब ये हवा में फेंका जाता है तो आँखों, नाक और गले की झिल्ली को जलाता है। परिणामस्वरूप आँसू निकलते हैं, सांस फूलती है और कुछ समय के लिये असहज महसूस होता है—इससे लोगों को हटना आसान हो जाता है।
इसे थ्रोयर या ग्रेनेड के रूप में फेंका जाता है, लेकिन कभी‑कभी गैस कैनिस्टर से धुंध बनाकर भी छोड़ा जा सकता है। प्रभाव जल्दी शुरू होता है और कुछ मिनटों तक रहता है, फिर धीरे‑धीरे कम हो जाता है।
जब उपयोग किया जाए तो क्या ध्यान रखें?
आँसू गैस का इस्तेमाल केवल वैध उद्देश्यों के लिये ही होना चाहिए—जैसे बड़े प्रदर्शन में जन सुरक्षा बनाए रखना। अगर गलत हाथों में पड़े तो यह भीड़ को डराने या हिंसा भड़काने के लिए इस्तेमाल हो सकता है, इसलिए कई देशों ने इसके प्रयोग पर कड़ी नियम बनाये हैं।
सुरक्षा कर्मी गैस फेंकते समय चेहरे पर गॉगल्स और दास्ताने पहनते हैं, ताकि खुद को नुकसान न पहुँचे। आम लोगों को भी अगर अचानक गैस का सामना करना पड़े तो कुछ आसान उपाय मददगार होते हैं:
आँखों में पानी डालकर धुंध हटाएँ—स्वच्छ बोतल या आँसू‑रहित पानी काम करेगा।
नाक और मुँह को कपड़े से ढकें, ताकि गैस अंदर न जा सके।
बिना गंदे हवा वाले कमरे में जाएँ या बाहर निकलेँ जहाँ हवा चल रही हो।
यदि सांस लेने में दिक्कत महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
इन उपायों से आप जल्दी ठीक हो सकते हैं और अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन अगर लक्षण गंभीर हों—जैसे लगातार खाँसी, उल्टी या दिल‑धड़कन तेज़ हो—तो तुरंत मेडिकल मदद लें।
आँसू गैस के कानूनी पहलु
भारत में आंसू गैस का प्रयोग पुलिस को ‘अराजकता रोकने’ की स्थिति में ही अनुमति है, और उसे न्यायालय द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर इस्तेमाल करना पड़ता है। कई राज्य सरकारें इस पर विशेष दिशा‑निर्देश बनाती हैं, जैसे कि कितनी मात्रा में फेंकी जा सकती है और किस दूरी तक लोगों को प्रभावित किया जा सकता है।
यदि कोई निजी व्यक्ति या समूह बिना अनुमति के गैस का उपयोग करता है तो यह अपराध माना जाता है, जिसमें जुर्माना और जेल की सजा भी हो सकती है। इसलिए हमेशा आधिकारिक सूचना पर भरोसा करें, अफवाहों से नहीं घबराएँ।
ताज़ा खबरें: आंसू गैस के इस्तेमाल के हालिया मामले
पिछले कुछ महीनों में कई बड़े शहरों में प्रदर्शन हुए थे—कुछ में पुलिस ने जल्दी ही आंसू गैस का इस्तेमाल किया, जिससे लोगों को सुरक्षित दूरी बनाए रखने में मदद मिली। लेकिन कुछ जगहों पर गैस के अधिक उपयोग से असंतोष भी बढ़ा और सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। ये घटनाएँ दिखाती हैं कि सही समय और सही मात्रा में गैस का प्रयोग ही फायदेमंद होता है, ना कि अंधाधुंध इस्तेमाल।
अगर आप किसी प्रोटेस्ट या बड़ी सभा के पास हों तो स्थानीय समाचार चैनल या पुलिस की आधिकारिक घोषणा पर नज़र रखें। इससे आपको पता रहेगा कि कब सावधानी बरतनी है और कब सुरक्षित रूप से आगे बढ़ना है।
समझदारी भरा इस्तेमाल, सही जानकारी और तुरंत उपाय—इन सबसे आंसू गैस के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। आशा है अब आप इस विषय पर बेहतर समझ रखेंगे और जरूरत पड़ने पर ठीक से प्रतिक्रिया दे पाएँगे।
वेनेजुएला में चुनाव परिणाम के खिलाफ जनता सड़कों पर उतर आई है। प्रदर्शन हिंसक हो गए हैं, पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस छोड़ी है। विवादित चुनाव प्रक्रिया ने व्यापक अशांति को जन्म दिया है। छवियों में लोग आंसू गैस के कनस्तरों से बचाव करते और पुलिस से भागते दिखाई दे रहे हैं। स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है, चुनाव परिणाम अब भी अनिश्चित है।