ईद-ए-मिलाद (जिसे जन्मदिन या मुहर्रम भी कहा जाता है) नबी मुहम्मद के जन्म दिन को याद करने वाला एक बड़ा इस्लामिक त्यौहार है। हर साल इस दिन मुसलमान मस्जिदों में इत्र, दवाओं और शरबत से तैयार मीठा वितरित करते हैं और ख़ुशी‑ख़ुशी मिलते‑जुलते हैं। भारत में यह त्योहार खासकर उत्तर‑पूर्वी राज्य, पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा व कर्नाटक में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
ईद-ए-मिलाद की तिथि और मुख्य रस्में
तारीख इस्लामी हिजरी कैलेंडर के तीसरे महीने रब्बीन‑अव्वल में पड़ती है, इसलिए हर साल ग्रेगोरियन कैलेंडर पर अलग‑अलग दिन आता है। 2025 में ईद-ए-मिलाद लगभग 14 अक्टूबर को पड़ेगी। इस दिन लोग नबी मुहम्मद की ज़िंद़गी से जुड़ी कहानियों को पढ़ते हैं, दुआ‑मंत्र करते हैं और गरीबों को खाने‑पीने का सामान देते हैं।
मुख्य रस्में सादे होते हैं: सुबह-सुबह मस्जिद में सामूहिक नमाज़ पढ़ी जाती है, फिर घर‑परिवार के साथ मिठाई (जैसे शरबत‑बर्फ़ या खीर) और हलवा बाँटा जाता है। कई शहरों में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं—नाटक, कवि सम्मेलन और इस्लामिक संगीत की प्रस्तुति दर्शकों को आकर्षित करती है।
भारत में ईद-ए-मिलाद से जुड़ी ताज़ा ख़बरें
साउंड्रा के अनुसार, पिछले महीने नई दिल्ली में बड़े पैमाने पर एक जागरूकता कैंपेन हुआ जहाँ सरकारी अधिकारी और सामाजिक संगठनों ने मिलकर इस त्यौहार की सही समझ फैलाई। कार्यक्रम में बच्चों को नबी मुहम्मद की नैतिक शिक्षाओं पर वार्ता दी गई और साथ ही दान‑धर्म के महत्व को बताया गया।
कोलकाता में स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने एक बड़़ी इफ्तार मेज तैयार की, जिसमें 5,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गरीब परिवारों को मुफ्त भोजन देना और सामाजिक सौहार्द बढ़ाना था। ऐसे आयोजन अक्सर मीडिया में कवरेज पाते हैं, जिससे जनता को त्योहार के वास्तविक मकसद का पता चलता है।
पिछले हफ्ते लखनऊ में एक बड़े इस्लामिक स्कूल ने छात्रों को ईद-ए-मिलाद की इतिहास पर वर्कशॉप दिया। शिक्षक ने बताया कि नबी मुहम्मद ने हमेशा इंसाफ, दया और सहनशीलता का समर्थन किया था, और यही बात आज के युवा वर्ग को सीखनी चाहिए।
अगर आप भी अपने शहर में ईद-ए-मिलाद की कोई इवेंट देखना चाहते हैं तो स्थानीय समाचार पत्र या ऑनलाइन पोर्टल जैसे साउंड्रा पर “ईद‑ए‑मिलाद” टैग से जुड़ी पोस्ट चेक कर सकते हैं। अक्सर यहाँ पर कार्यक्रम के टाइम टेबल, स्थान और सहभागिता की जानकारी मिलती है।
इस त्यौहार को मनाने में सबसे बड़ी बात यह है कि सभी वर्गों के लोग एक साथ आएँ, खुशी‑ख़ुशी बांटें और जरूरतमंदों का ख्याल रखें। चाहे आप मुस्लिम हों या नहीं, ईद-ए-मिलाद का संदेश – “समानता और दया” – हर किसी के लिए उपयोगी है।
आगे भी साउंड्रा पर इस टैग से जुड़े नवीनतम लेख पढ़ते रहें ताकि आप ईद-ए‑मिलाद की ताज़ा ख़बरों, कार्यक्रमों और रोचक पहलुओं से अपडेटेड रह सकें।
महाराष्ट्र सरकार ने मुस्लिम विधायकों और संगठनों के अनुरोध पर मुंबई में ईद-ए-मिलाद की छुट्टी को 16 सितंबर से बदलकर 18 सितंबर, 2024 कर दिया है। इसका उद्देश्य गणपति विसर्जन के साथ होने वाले टकराव को टालना है और समुदायों के बीच सामाजिक सामंजस्य को बनाए रखना है।