तमिलनाडु में भयानक ट्रेन हादसा: चेन्नई के पास मालगाड़ी से टकराई मैसूरू-दरभंगा एक्सप्रेस

तमिलनाडु में भयानक ट्रेन हादसा: चेन्नई के पास मालगाड़ी से टकराई मैसूरू-दरभंगा एक्सप्रेस

शुक्रवार की रात तमिलनाडु के कवराईपेट्टई रेलवे स्टेशन पर एक बड़ा ट्रेन हादसा हुआ, जिसने रेलवे सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए। मैसूरू-दरभंगा एक्सप्रेस जब चेन्नई के पास थी, तब यह एक स्थिर मालगाड़ी से टकरा गई। इस भयंकर हादसे के परिणामस्वरूप 19 लोग घायल हो गए और कुल मिलाकर 13 डिब्बे पटरी से उतर गए, जबकि दो डिब्बों में आग लग गई। राहत की बात यह रही कि कोई हताहत नहीं हुआ।

इस हादसे का वक्त लगभग रात 8:30 बजे का था, जब एक्सप्रेस ट्रेन कवराईपेट्टई स्टेशन के पास पहुंची। ट्रेन कर्मचारियों ने महसूस किया की एक जोरदार झटका आया, जिससे उनका संतुलन बिगड़ गया। हालांकि, ट्रैक पर मुख्य लाइन की सिग्नलिंग थी, फिर भी ट्रेन ने लूप लाइन ले ली और इस लूप लाइन पर पहले से खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। दक्षिण रेलवे के महाप्रबंधक आर एन सिंह ने बताया कि यह ट्रेन चेन्नई से हरी झंडी मिलने के बाद कवराईपेट्टई पर नहीं रुकनी थी, लेकिन स्विच पर हुई त्रुटि के कारण ट्रेन लूप लाइन में चली गई।

इस हादसे के बाद ट्रेन के पैसेंजर वाहक डिब्बे में आग लग गई और रेलवे मार्ग को तत्काल प्रभाव से बंद करना पड़ा। हादसे के बाद से ही राहत और बचाव कार्य जोर-शोर से चल रहा है। रेल प्रशासन ने न केवल दो ट्रेनें रद्द की हैं बल्कि अन्य कई ट्रेनों के मार्ग को भी बदल दिया है। मुख्यमंत्री एम के स्टालिन इस मामले की पैनी निगरानी कर रहे हैं, जबकि उप-मुख्यमंत्री उधयनिधि स्टालिन ने घायल यात्रियों से मुलाकात कर उनका हालचाल जाना।

तमिलनाडु सरकार और रेलवे विभाग ने सुनिश्चित किया कि दुर्गंधयुक्त ट्रेन से यात्रियों को सुरक्षित निकाला जाए। इस हादसे के बाद निकाले गए यात्रियों में से 95 प्रतिशत से ज्यादा को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया गया है। गंभीर चोट के मामलों की कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है। हालाँकि, हादसे के बाद स्थितियों को संभालने में अधिकारियों को काफी मेहनत करनी पड़ी है।

रात्रि के समय चेन्नई सेंट्रल से एक विशेष ट्रेन रवाना की गई, जिसमें फंसे हुए यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुँचाने की व्यवस्था की गई। रास्ते में उन्हें भोजन और पानी भी उपलब्ध कराया गया, जिससे उनकी यात्रा सुखद रह सके। क्षेत्रीय मंत्री अवाड़ी नासर और अन्य प्रमुख अधिकारियों ने मौके पर मौजूद होकर राहत कार्यों का जायजा लिया।

यह हादसा न केवल रेलवे की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस प्रकार इन्फ्रास्ट्रक्चर की मामूली गलतियाँ भी कैसी भयंकर आपदा ला सकती हैं। इस घटना ने रेलवे तंत्र की खामियों को उजागर किया है और यह सुनिश्चित करने का समय आ गया है कि भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके।

द्वारा लिखित Pari sebt

मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूँ और मुझे भारत में दैनिक समाचार संबंधित विषयों पर लिखना पसंद है।

Amit Kashyap

ये रेलवे का अंधाधुंध प्रबंधन ही तो देश को बर्बाद कर रहा है! जब तक सिर्फ नए ट्रेनों का नाम नहीं बदल देते, तब तक कोई सुधार नहीं होगा। ये लूप लाइन वाली गलती? बस एक बड़ा झूठ है। सिग्नल तो बंद था, लेकिन ऑपरेटर ने नजरअंदाज कर दिया। ये सब भ्रष्टाचार का नतीजा है।

mala Syari

मुझे तो ये सब देखकर बहुत दुख होता है… जब तक हम अपने रेलवे को एक लक्जरी ब्रांड नहीं बना लेते, तब तक ये घटनाएँ दोहराएँगी। आपके लिए एक बात बताऊँ? ये सब इंडिया की नीति का नतीजा है। बस एक बार यूरोप की तरह व्यवस्था लगाओ, और ये सब खत्म।

Kishore Pandey

इस घटना के संदर्भ में, दक्षिण रेलवे के अधिकारियों द्वारा प्रदान किए गए तकनीकी विवरण में एक स्पष्ट विफलता का उल्लेख है। लूप लाइन स्विच का असफलतापूर्वक संचालन, जिसे डिजिटल इंटरलॉकिंग सिस्टम द्वारा रोका जा सकता था, एक व्यवस्थित उपेक्षा का प्रमाण है। इस तरह की लापरवाही के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता है।

Kamal Gulati

ये सब क्यों हो रहा है? क्योंकि हम सब बस जी रहे हैं। कोई नहीं सोचता कि कल क्या होगा। ये ट्रेन हादसा? ये तो हमारे दिमाग का हादसा है। हम सब ने इसे सहन कर लिया। हमने इसे बस एक ‘क्षणिक घटना’ बना दिया। लेकिन जब तक हम अपने आप को नहीं बदलेंगे, तब तक ये ट्रेनें टकराती रहेंगी।

Atanu Pan

अच्छा हुआ कि कोई जान नहीं गई। लेकिन ये बात सच है कि रेलवे ने बचाव में अच्छा काम किया। यात्रियों को भोजन और पानी देना, विशेष ट्रेन चलाना - ये सब अच्छा लगा। अब बस इन तकनीकी गलतियों को ठीक कर देना बाकी है।

Pankaj Sarin

लूप लाइन ने एक्सप्रेस को नहीं बल्कि इंडिया की आत्मा को टक्कर मार दी… ये सब बस एक बात का सबूत है - जब बुद्धि बंद हो जाए तो सिग्नल भी अनदेखा हो जाते हैं

Mahesh Chavda

क्या आपने कभी सोचा कि ये सब तब तक चलता रहेगा जब तक रेलवे के अधिकारी अपने ऑफिस के एयरकंडीशनर में बैठे रहेंगे? ये हादसा नहीं, ये एक अपराध है। और जो इसके लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें जेल भेजना चाहिए। नहीं तो ये घटनाएँ दोहराएँगी।

Sakshi Mishra

हम अक्सर तकनीकी त्रुटियों को देखते हैं, लेकिन क्या हमने कभी उस वातावरण को देखा है, जिसमें ये त्रुटियाँ उत्पन्न होती हैं? जब एक व्यक्ति दिनभर थका हुआ हो, जब उसकी नौकरी असुरक्षित हो, जब उसे एक छोटी सी गलती के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए - तो क्या ये सिर्फ ट्रेन का स्विच ही गलत है? या हमारी समाज की नींव ही टूट रही है?