हाइड्रोलिक फेल्योर: क्यों होता है और कैसे बचें?

अगर आपका मशीन अचानक धीरज खो देता है या आवाज़ों में बदलाव आता है, तो शायद हाइड्रॉलिक फेल्योर का सामना कर रहे हैं। यह समस्या छोटे‑छोटे लीक से लेकर पूरी सिस्टम के टूटने तक हो सकती है, पर सही जानकारी और देखभाल से इसे रोका जा सकता है। चलिए जानते हैं कि इस समस्या की जड़ कहाँ होती है और तुरंत क्या किया जा सकता है।

हाइड्रॉलिक फेल्योर के आम कारण

सबसे पहले समझें कि हाइड्रॉलिक सिस्टम में कौन‑कौन से चीज़ें गड़बड़ी कर सकती हैं:

  • लीकेज (रिसाव): सिलिंडर, पाइप या सील्स के पुराने होने पर तेल बाहर निकलता है। यह दबाव घटाता है और सिस्टम को सही काम करने से रोकता है।
  • दूषित तेल: धूल, पानी या मलबा मिल जाने से तरल गंदा हो जाता है, जिससे पंप की लाइफ कम हो जाती है।
  • ओवरहीटिंग: लगातार उच्च लोड पर चलने से तापमान बढ़ता है और तेल के गुण बदल जाते हैं।
  • गलत प्रेशर सेटिंग: यदि दबाव बहुत ज्यादा या कम रखा जाए, तो सिलिंडर स्ट्रोक अनियमित हो जाता है।
  • घिसा हुआ वैल्व: वाल्व की सीट सही नहीं रहती, जिससे नियंत्रण में गड़बड़ी होती है।

लक्षण और तुरंत क्या करें?

हाइड्रॉलिक फेल्योर के संकेत अक्सर पहले ही दिखते हैं। कुछ आम लक्षण देखें:

  • सिस्टम की गति अचानक धीमी हो जाना।
  • हॉज़ या मशीन के पास तेल का दाग देखना।
  • अचानक आवाज़ें जैसे चटक या सीटिंग जैसी ध्वनि।
  • दबाव मीटर पर रीडिंग में लगातार गिरावट।

इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत पावर बंद करें, रिसाव वाले हिस्सों को साफ रखें और तेल का स्तर जांचें। अगर तेल बहुत कम या गंदा लगे, तो बदल दें। छोटे लीकेज के लिए सीलेंट किट इस्तेमाल कर सकते हैं, पर बड़ी समस्या में प्रोफ़ेशनल की मदद लेनी चाहिए।

रखरखाव आसान है—हर 3‑6 महीने में तेल बदलें, फ़िल्टर साफ करें और सभी गैस्केट व सिलिंडर की जाँच करें। नियमित रूप से प्रेशर सेटिंग को कॅलिब्रेट कर लें ताकि सिस्टम स्थिर रहे।

याद रखें, छोटे कदमों से बड़ी समस्या रोकी जा सकती है। अगर आप रोज़मर्रा के उपकरण (जैसे फ़ार्म मशीन या औद्योगिक प्रेस) में हाइड्रॉलिक फेल्योर का सामना करते हैं, तो इस चेकलिस्ट को अपनाएँ और अपने काम को बिना रुकावट चलाते रहें।

Trichy हवाई अड्डे पर हाइड्रोलिक फेल्योर के बाद Air India का विमान सुरक्षित लैंड हुआ

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Air India की ट्रिची से शारजाह जाने वाली उड़ान को हाइड्रोलिक फेल्योर का सामना करना पड़ा, जिसके बाद वह सुरक्षित लैंडिंग के लिए दो घंटे हवा में चक्कर लगाती रही। पाइलेट्स ने ईंधन और वजन को कम करने के लिए यह अभ्यास किया। DGCA ने इस घटना की जांच के आदेश दिए हैं। सभी यात्रियों और चालक दल को सुरक्षित लैंडिंग में सफलता मिली है।

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